डीएनए हिंदी: भारत और पाकिस्तान (India Pakistan Diplomatic Relation) ने आज अपने ‘परमाणु प्रतिष्ठानों और सुविधाओं’(Nuclear Installation Location) की सूची का आदान-प्रदान किया है. दोनों ने ही एक दूसरे को जानकारी दी है कि आखिर किस देश ने अपने परमाणु हथियार कहां लगा रखे हैं. अब सवाल यह है कि आखिर वैश्विक स्तर पर एक दूसरे को खरी-खोटी सुनाने वाले और दुश्मन समझने वाले देश एक दूसरे के सबसे बड़े परमाणु हथिायारों की जानकारी कैसे साझा कर सकते हैं और इसका राज क्या है.
दरअसल, भारत और पाकिस्तान के बीच साल 1988 की आखिरी तारीख यानी 31 दिसंबर को एक समझौता हुआ था. यह कहता है कि भारत और पाकिस्तान प्रत्येक कैलेंडर ईयर की पहली जनवरी को अपने परमाणु प्रतिष्ठानों और सुविधाओं के बारे में एक दूसरे के साथ जानकारी साझा करेंगे. यह समझौता साल 1991 में लागू हो गया था तब से दोनों देश ने अपनी परमाणु ताकत से जुड़ी जानकारी साझा करते हैं.
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बता दें कि दोनों देशों के बीच परमाणु ताकतों की जानकारी का यह 32वां लेन-देन हुआ है. इस समझौते के तहत पहला लेन-देन 1 जनवरी साल1992 को हुआ था. आदान-प्रदान है. बता दें कि इस समय भारत और पाकिस्तान के बीच भयंकर टकराव की स्थिति है.
तनाव पूर्ण है स्थिति
फरवरी 2019 में पुलवामा हमले की जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान के बालाकोट में एयरस्ट्राइक के बाद से ही दोनों देशों के बीच स्थिति तनावपूर्ण हैं. इसके अलावा कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटने के बाद से ही यह तनाव और बढ़ गया था. पाकिस्तान ने 370 के मुद्दे पर विरोध किया था जिसे भारत ने अपना आंतरिक मामला ठहरा दिया था.
दोगुनी हो गई परमाणु हथियारों की संख्या
गौरतलब है कि भारत और पाकिस्तान दोनों ही धीरे-धीरे अपनी परमाणु ताकत में विस्तार कर रहे हैं. दुनिया में हथियारों की स्थिति और वैश्विक सुरक्षा का विश्लेषण करने वाले स्वीडन की संस्था ‘स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट’ ने पिछले साल अपनी सालाना रिपोर्ट में बताया था कि पाकिस्तान में पिछले 10 वर्षों में परमाणु बमों की संख्या दोगुनी से अधिक हो गई है.
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पाकिस्तान में ज्यादा बने परमाणु हथियार
हाल के वर्षों में पाकिस्तान ने भारत की तुलना में अधिक परमाणु बम बनाए हैं. इंस्टिट्यूट के परमाणु निरस्त्रीकरण, शस्त्र नियंत्रण और अप्रसार कार्यक्रम के निदेशक शेनन काइल ने बीबीसी को बताया था कि दुनिया में परमाणु हथियारों का कुल उत्पादन कम हो गया है लेकिन दक्षिण एशिया में यह बढ़ रहा है जिसका मुख्य केंद्र पाकिस्तान साबित हुआ है.
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भारत ने दुश्मन पाकिस्तान को क्यों बता दी अपने परमाणु सेंटरों की लोकेशन, समझिए