डीएनए हिंदी: यमन के सु्प्रीम कोर्ट ने भारतीय मूल की नर्स निमिषा प्रिया की मौत की सजा के खिलाफ अपील को खारिज कर दी है. निमिषा को 2018 में यमन की निजली अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी, जिसे उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन वहां से भी निराशा हाथ लगी. निमिषा पर आरोप है कि उन्होंने यमनी नागरिक तलाक अब्दो मेहंदी की जहरीला इंजेक्शन देकर हत्या कर दी.
इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट नें केंद्र सरकार से निमिषा प्रिया की मां के यमन जाने के अनुरोध पर एक सप्ताह में फैसला लेने के लिए कहा है. प्रिया की मां ने पिछले महीने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. उन्होंने पीड़ित परिवार से बातचीत करने के लिए पश्चिम एशियाई देश की यात्रा की अनुमति मांगी थी. वह अपनी बेटी को मृत्युदंड से बचाने के लिए पीड़ित परिवार को 'ब्लड मनी' की पेशकश करके बातचीत करना चाहती हैं.
दरअसल, यमन ने गृहयुद्ध के कारण 2017 से भारतीय नागरिकों के आने-जाने पर पाबंदी लगा रखी है. इस पाबंदी के बावजूद अपनी बेटी की रक्षा के लिए प्रिया की मां यमना जाना चाहती है.गृह मंत्रालय (एमएचए) के वकील ने कहा कि मुद्दा यह है कि वे यमन जाना चाहते हैं. अब एक रोक है. यह गजट अधिसूचना है जिसमें उन्हें गृह मंत्रालय (एमएचए) में आवेदन करना होता है और उन्हें अनुमति मिल जाएगी, फिर वे आवेदन कर सकते हैं.
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कोर्ट ने केंद्र को दिया एक हफ्ते का समय
हालांकि, याचिकाकर्ता प्रिया की मां के वकील ने अदालत को बताया कि वे पहले ही 25 अप्रैल, 2022 को एक आवेदन दे चुके हैं. जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा कि केंद्र द्वारा सीमित समय के लिए विशिष्ट और आवश्यक कारणों से यात्रा प्रतिबंध में ढील दी जा सकती है. अदालत ने आदेश दिया कि राजपत्र अधिसूचना का खंड 3 इस प्रकार है. अधिसूचना के मद्देनजर, वर्तमान रिट याचिका को एक प्रतिनिधित्व के रूप में माना जाना चाहिए. केंद्र को एक सप्ताह के अंदर अभ्यावेदन पर निर्णय लेने का निर्देश दिया जाता है और रिट याचिका का निपटारा किया जाता है. हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील को 2 दिन के भीतर अपने पासपोर्ट की एक प्रति के साथ परिवार के अन्य सदस्यों का विवरण निर्दिष्ट करने को कहा है जो यमन जाना चाहते हैं.
कौन हैं निमिषा प्रिया?
निमिषा प्रिया केरल के पलक्कड़ जिले की रहने वाली हैं. वह 2014 में अपने पति के साथ यमन गई थीं. गृहयुद्ध और वित्तीय संकट की वजह से उनके पति और बच्चे वापस भारत लौट आए लेकिन निमिषा वहीं रह गईं. निमिषा ने कुछ साल तक यमन के निजी अस्पतालों में नौकरी की, लेकिन कुछ समय बाद उन्होंने यमन की राजधानी में सना में अपना क्लिनिक खोल लिया. यह क्लिनिक उन्होंने तलाल अब्दु महादी सहयोग से खोला, क्योंकि यमन के कानून के तहत केवल उसके नागरिक ही यमन में अस्पताल और व्यावसायिक फर्म स्थापित कर सकते हैं.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ समय बाद निमिषा प्रिया और तलाल अब्दु महादी के संबंध बिगड़ गए. वह क्लिनिक का सारा पैसा खुद ही रखने लगा. इस बात को लेकर निमिषा ने ऐतराज जताया तो दोनों की बीच झगड़ा हो गया. इस दौरान महादी ने निमिषा का पासपोर्ट भी जब्द कर लिया. महादी ने ऐसा इसिलए किया ताकि प्रिया यमन छोड़कर न भाग सके. उसे बेरहमी से प्रताड़ित करता रहा, आखिर में निमिषा में इसकी शिकायत पुलिस में करा दी. पुलिस ने महादी को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया.
2017 में सुनाई गई मौत की सजा
जेल से छूटने के बाद महादी का अत्याचार और बढ़ गया, निमिषा को यातनाएं देने लगा. निमिषा को भी एहसास हो गया कि वह उसे चैन से अब इस देश में नहीं रहने देगा. इसके बाद उसने भारत आने का प्लान बनाया. लेकिन महादी को उसके प्लान की भनक लग गई. उसने निमिषा का पासपोर्ट जब्त कर लिया. निमिषा पर आरोप है कि 2017 में उन्होंने अपना पासपोर्ट वापस पाने के लिए तलाल अब्दो महदी को नशीला इंजेक्शन दे दिया, ताकि उसे काबू कर सके. लेकिन इंजेक्शन के ओवरडोज की वजह से उसकी मौत हो गई.
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कौन हैं निमिषा प्रिया, जिन्हें यमन ने सुनाई मौत की सजा, मां करेगी 'ब्लड मनी' की पेशकश