डीएनए हिंदी: अमेरिकी संसद की अध्‍यक्ष नैंसी पेलोसी की प्रस्तावित ताइवान यात्रा पर चीन आग-बबूला है. चीन की हमेशा से ताइवान पर नजर रही है और उसने कहा है कि अगर पेलोसी की यात्रा होती है तो चीन को सैन्य कार्रवाई से कोई नहीं रोक सकता है. ड्रैगन के आक्रामक रवैये के बाद अमेरिका के सामने असमंजस की स्थिति बन गई है.  अमेरिका अगर प्रस्तावित यात्रा को रद्द करता है तो इसे चीन के सामने बैकफुट पर जाना माना जाएगा. दूसरी ओर अगर यात्रा के बाद चीन सैन्य आक्रमण कर देता है तो भी स्थितियां असहज बन जाएंगी. 

China-Taiwan History
चीन और ताइवान के बीच दूसरे विश्व युद्ध के बाद से स्थितियां असहज हैं. 1949 में च्यांग काई-शेक के वक्त से दोनों देशों के बीच टकराव जारी है. चीन ताइवान को अपने विद्रोही प्रांत के तौर पर मानता है. दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक तौर पर कुछ समानताएं और बहुत सी भिन्नताएं हैं. 

70 के दशक तक ताइवान को संयुक्त राष्ट्र में भी मान्यता प्राप्त थी. 1971 में अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन ने चीन को मान्यता देते हुए कहा कि ताइवान को सुरक्षा परिषद से हटना होगा. इसके साथ ही एक संप्रभु राष्ट्र के तौर पर ताइवान का अस्तित्व क्षीण होने लगा था.

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अमेरिका की ताइवान को लेकर क्या है राय 
ताइवान को चीन संप्रभु राष्ट्र नहीं मानता है और रणनीतिक तौर पर अहम इलाके पर अपना पूर्ण कब्जा चाहता है. दुनिया के सिर्फ 13 देशों ने ही ताइवान को मान्यता दी है. चीन दूसरे देशों पर कूटनीतिक दबाव बनाता रहा है ताकि ताइवान को संप्रभु राष्ट्र के तौर पर मान्यता नहीं मिले. 

ताइवान को लेकर अमेरिका की स्थिति वेट एंड वॉच की रही है. अमेरिका एक ओर चीन की साम्राज्यवादी नीतियों की आलोचना करता है. साथ ही, ताइवान को संप्रभु राष्ट्र के तौर पर औपचारिक मान्यता भी नहीं दी है. 

नैंसी पेलोसी की यात्रा पर क्यों है बवाल? 
नैंसी पेलोसी (US House of Representatives Nancy Pelosi) पहले अप्रैल में ही ताइवान की यात्रा करने वाली थीं. उनके कोरोना संक्रमित होने की वजह से यात्रा की डेट आगे बढ़ानी पड़ी है. अब वह अगस्त में प्रतिनिधिमंडल के साथ दौरा कर सकती हैं. ताइवान यात्रा पर मचे बवाल के पीछे मुख्य वजह है कि चीन किसी भी तरह से ताइवान की संप्रभुता को बर्दाश्त नहीं करना चाहता है. अमेरिकी संसद अध्यक्ष की यात्रा के कूटनीतिक मायने हैं और यह चीन को अखर रहा है. 

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ताइवान के पास चीन बढ़ा सकता है गतिविधियां 
चीन की पूरी कोशिश पिछले लगभग 7 दशक से ताइवान पर जबरन कब्जा जमाने की है. इसी साल कुछ महीने पहले चीन ने ताइवान के हवाई क्षेत्र में युद्धक विमानों के साथ घुसपैठ की थी. बताया जा रहा है कि ताइवान के हवाई क्षेत्र के आसपास चीन अपनी गतिविधियां बढ़ा सकता है. चीन ने 1995 में भी अमेरिका के सामने अपनी ताकत दिखाने के लिए ऐसा ही किया था. 

पेलोसी की चीन यात्रा पर क्या कहते हैं एक्सपर्ट 
अमेरिकी मीडिया में इस वक्त खास तौर पर जोर दिया जा रहा है कि इस वक्त चीन की आक्रामकता को देखते हुए प्राथमिकता ताइवान के आत्मरक्षा के लिए जरूरी कदम उठाने की है. ऐसे में पेलोसी की यात्रा चीन के लिए उकसावे की तरह हो सकता है.

फिलहाल इस यात्रा से बड़े पैमाने पर 'रिस्क फैक्टर' जुड़े हुए हैं. हाल ही में चीन ने साउथ चाइना सी में एक एयरक्राफ्ट कैरियर किलर मिसाइल का परीक्षण किया था. शी जिनपिंग अपने अगले कार्यकाल को लेकर हर मोर्चे पर खुद को ताकतवर दिखाना चाहते हैं. ऐसे में स्थितियों को नियंत्रण में रखने के लिए  विशेषज्ञों का मानना है कि यात्रा को रोका जा सकता है. 

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US House Speaker Pelosi Taiwan visits why china against it and warns action 
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नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा पर चीन आग बबूला, जानें चीन-ताइवान झगड़े की कहानी
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नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा पर चीन आग बबूला, जानें चीन-ताइवान झगड़े की पूरी कहानी