डीएनए हिंदी: रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) को लेकर एक तरफ जहां अमेरिका (USA) समेत नाटो और पश्चिमी देश लगातार रूस की आलोचना कर रहे हैं तो वहीं भारत केवल शांति की बात कर दोनों देशों से बातचीत करने का सुझाव देता रहा है. रूस यूक्रेन के खिलाफ अपने हमले बढ़ाता जा रहा है. इस बीच रूस को एक बार फिर नाटो समेत अन्य देशों ने निशाने पर लिया और रूस द्वारा यूक्रेन के शहरों पर किए गए कब्जों को अवैध बताया. इस मुद्दे पर भारत ने एक बार फिर रूस का साथ देते हुए खुद को ही किनारे कर लिया.
दरअसल, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में अमेरिका एवं अल्बानिया द्वारा एक प्रस्ताव पेश किया गया था. इसमें रूस के ‘अवैध जनमत संग्रह’ और यूक्रेनी क्षेत्रों पर उसके कब्जे की निंदा की गई है और इस प्रस्ताव को पास करने की मांग की गई थी. अमेरिका को उम्मीद थी कि भारत इस मुद्दे पर उसके प्रस्ताव का समर्थन करेगा लेकिन भारत ने इस मुद्दे पर किनारा कर अमेरिका समेत नाटो देशों को ही झटका दे दिया. भारत इस प्रस्ताव से संबंधित वोटिंग तक में शामिल नहीं हुआ.
India abstains from a resolution condemning referendums in Ukraine at United Nations Security Council (UNSC) pic.twitter.com/Sqt0I342nB
— ANI (@ANI) September 30, 2022
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क्या था रूस के खिलाफ प्रस्ताव?
वहीं UNSC में अमेरिका और अल्बानिया द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव की बात करें तो इस प्रस्ताव में मांग की गई थी कि रूस यूक्रेन से अपनी सेना तत्काल प्रभाव से हटाए. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 15 देशों को इस प्रस्ताव पर मतदान करना था लेकिन रूस ने इसके खिलाफ वीटो का इस्तेमाल किया जिसके कारण प्रस्ताव पारित नहीं हो सका. इस प्रस्ताव के समर्थन में 10 देशों ने मतदान किया और भारत समेत चार देश मतदान में शामिल नहीं हुए जो कि सीधे तौर पर पर्दे के पीछे से रूस का ही समर्थन माना जा रहा है.
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भारतीय प्रतिनिधि ने दिया अहम बयान
UNSC में रूस के खिलाफ वोटिंग में शामिल नहीं होने के बाद भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने एक अहम बयान देते हुए कहा,"यूक्रेन में हाल के घटनाक्रम से भारत बहुत परेशान है और इस बात पर जोर दिया कि मतभेदों और विवादों को सुलझाने के लिए बातचीत ही एकमात्र जवाब है. हम आग्रह करते हैं कि हिंसा और शत्रुता को तत्काल समाप्त करने के लिए संबंधित पक्षों द्वारा सभी प्रयास किए जाएं. मतभेदों और विवादों को सुलझाने के लिए संवाद ही एकमात्र जवाब है, चाहे वह इस समय कितना भी कठिन क्यों न हो."
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पीएम मोदी ने की थी शांति की बात
संयुक्त राष्ट्र में भारत प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने भारत का पक्ष दृढ़ता से रखते हुए कहा है कि शांति के मार्ग के लिए हमें कूटनीति के सभी चैनलों को खुला रखने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की सहित विश्व नेताओं के साथ अपनी चर्चा में स्पष्ट रूप से यही कहा है जिससे वैश्विक स्तर पर शांति स्थापित की जा सके.
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