सीरिया में कई दशकों से चले आ रहे असद शासन का अंत हो चुका है. बशर अल असद सरकार का तख्तापलट हो चुका है. बावजूद इसे गृहयुद्ध और हिंसा का माहौल अभी भई व्याप्त है. सीरिया के बड़े शहर और अधिकतर इलाके बागी जेहादियों के कब्जे में आ चुके हैं. बाग़ी गुटों को की अगुवाई जेहादी संगठन आल शाम कर रहा है. इस संगठन के सरबरा अल जुलनी हैं. सीरिया में हुए गृहयुद्ध और तख्तापलट के पीछे शिया-सुन्नी विवाद का भी अहम रोल रहा है.
सीरिया में तख्तापल्ट और शिया-सुन्नी विवाद
दरअसल सीरिया के पूर्व शासक बशर अल-असद शिया तबके से आते हैं. वहीं देश में सुन्नी बहुमत में हैं. असद परिवार सीरिया में पिछले 4-5 दशकों से सत्ता में काबिज थे. सीरिया में शियाओं की आबादी क़रीब 20% के है. वहीं सुन्नियों की आबादी करीब 75% है. असद परिवार के शिया होने की वजह से ही शिया बहुल देश ईरान का उनको पूरा समर्थन प्राप्त रहा. वहीं सुन्नी इस्लाम को मानने वाले देश सऊदी और दूसरे बड़े देश असद शासन के खिलाफ थे. असद का झुकाव रूस की तरफ होने की वजह से अमेरिका और पश्चिमी देशों का समर्थन उन्हें हासिल नहीं रहा था.
सुन्नी तबके से बागी गुटों और जोलानी का नाता
सीरिया में लंबे समय से शिया और सुन्नी तबकों के बीच एक संघर्ष चला आ रहा है. सुन्नी अक्सर असद पर सुन्नी विरोधी होने का आरोप लगाते आए हैं. यही वजह रही कि सुन्नियों की इतनी बड़ी आबादी का प्रतिरोध असद बिना किसी बाहरी मदद के नहीं झेल सके, और उन्हें मुल्क छोड़कर जाना पड़ा. वहीं बाग़ी गुट और अल शाम सुन्नी वादी संगठन है. उसके मुखिया और इस वक्त सीरिया के नेता अल जोलानी खुद सुन्नी तबके से आते हैं.
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Syria: सीरिया में हुए तख्तापल्ट में शिया-सुन्नी विवाद का कितना अहम रोल, किस तबके से आते हैं असद और जोलानी?