डीएनए हिंदी: आर्थिक संकट (Economic Crisis) से जूझ रहे श्रीलंका के लोग खाने-पीने की छोटी-मोटी चीजों के लिए तरस गए हैं. सत्ता परिवर्तन के साथ श्रीलंका के लोगों ने यह मान लिया है कि अभी हालात सुधरने में समय लग सकता है. ऐसे में लोगों ने इस संकट से जूझने के लिए अपना-अपना तरीका निकाल लिया है. खाने की समस्या (Food Crisis) की वजह से लोगों ने खाने में कटौती कर दी है और कुछ परिवार तो एक या दो बार का खाना ही नहीं खा रहे हैं. कुछ परिवारों ने युवाओं और बच्चों के खाने को तरजीह देना शुरू कर दिया है. आपको बता दें कि श्रीलंका में नई सरकार का गठन हो गया है और राजपक्षे परिवार का राज पूरी तरह से समाप्त हो गया है.
वर्ल्ड फूड प्रोग्राम के डायरेक्टर अब्दुर रहीम सिद्दीकी का कहना है, 'श्रीलंका अपने पिछले कुछ सालों के इतिहास में सबसे बुरे आर्थिक संकट से जूझ रहा है. जून महीने में खाद्यान्न महंगाई 80 प्रतिशत पर थी और आशंका जताई जा रही है कि आने वाले महीनों में यह और बढ़ेगी. श्रीलंका की लगभग एक चौथाई जनता खाने की समस्या से जूझने के लिए अलग-अलग तरीके अपना रही है.'
यह भी पढ़ें- Shiv Sena Symbol: किसकी होगी शिवसेना? उद्धव ठाकरे या एकनाथ शिंदे, चुनाव आयोग ने मांगे दस्तावेज
34 लाख लोगों को मदद करगे वर्ल्ड फूड प्रोग्राम
अब्दुर रहीम सिद्दीकी ने आगे कहा, 'लोग कम खाना खा रहे हैं, एक-दो बार खाना ही नहीं खा रहे या बच्चों और कम उम्र के लोगों को खाना खिलाने में वरीयता दी जा रही है. हम प्रयास कर रहे हैं कि श्रीलंका के 34 लाख लोगों की मदद की जा सके. इसमें से 14 लाख लोगों बिना किसी शर्त के ही सहायता दी जाएगी.' तमाम संगठन कोशिश कर रहे हैं कि श्रीलंका को इस संकट से उबरने में मदद की जाए और कम से कम लोगों को खाने-पीने की समस्या से जूझना पड़े.
श्रीलंका में नई सरकार बनने के बाद मंत्रिमंडल को सूचित किया गया है कि एक महीने के लिए पर्याप्त ईंधन है और कोटा व्यवस्था के तहत वितरण तेज किया जाना चाहिए. राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने कहा कि उन्होंने सुरक्षाबलों को संविधान बरकरार रखने और ऐसा माहौल बनाने का अधिकार दिया है, जिसमें लोग बिना डर के रह सकें. मंत्रिमंडल ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से बातचीत पर भी चर्चा की, जो वित्तीय सहायता हासिल करने के लिए की जा रही है. इस बीच, विपक्ष ने प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने से 25 जुलाई को संसद सत्र बुलाने का अनुरोध किया ताकि सुरक्षाबलों द्वारा शुक्रवार को गाले फेस में शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर की कार्रवाई और देश के मौजूदा हालात पर चर्चा की जा सके.
यह भी पढ़ें- Ukraine में MBBS की पढ़ाई छोड़कर भारत लौटे छात्र भूख हड़ताल पर बैठे, जानिए क्या है उनकी मांग
प्रदर्शनकारियों को जबरन हटाया गया
गौरतलब है कि असॉल्ट राइफल तथा लाठी-डंडों से लैस श्रीलंकाई सुरक्षाबलों और पुलिस ने शुक्रवार को राष्ट्रपति कार्यालय के बाहर डेरा जमाए सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों को जबरन हटा दिया. प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के आवासों तथा प्रधानमंत्री के कार्यालय को खाली कर दिया है, जिस पर उन्होंने 9 जुलाई को कब्जा जमाया था लेकिन उन्होंने राष्ट्रपति सचिवालय के कुछ कमरों पर अब भी कब्जा जमाया हुआ था. उन्होंने विक्रमसिंघे को नया राष्ट्रपति स्वीकार करने से भी इनकार कर दिया.
9 अप्रैल के बाद से राष्ट्रपति कार्यालय तक प्रवेश बाधित करने वाले मुख्य प्रदर्शनकारी समूह ने कहा कि विक्रमसिंघे के इस्तीफा देने तक उनका प्रदर्शन जारी रहेगा. श्रीलंका की नई सरकार की सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों को हटाने में बल का इस्तेमाल करने के लिए आलोचना की गई है. गौरतलब है कि 2.2 करोड़ की आबादी वाला देश श्रीलंका सात दशकों में सबसे खराब आर्थिक संकट से जूझ रहा है, जिसके चलते लोग खाद्य पदार्थ, दवा, ईंधन और अन्य जरूरी वस्तुएं खरीदने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.
- Log in to post comments
Sri Lanka Crisis: संकट से कुछ यूं लड़ रहा श्रीलंका, कम किया खाना, युवाओं को अपना खाना दे रहे लोग