बांग्लादेश में आरक्षण में सुधार को लेकर शुरू हुआ बवाल थम नहीं रहा है. लोग अपने नेताओं की रिहाई की मांग को लेकर फिर सड़कों पर उतर आए हैं. वहीं शेख हसीन सरकार ने बड़ा एक्शन लेते हुए आतंकवाद रोधी कानून के तहत जमात-ए-इस्लामी और इसकी छात्र शाखा इस्लामी छात्र शिबिर पर प्रतिबंध लगा दिया है. सरकार ने कहा कि जमात-ए-इस्लामी उस आंदोलन को भड़का रही है, जिसमें कम से कम 150 लोग मारे गए.

गृह मंत्रालय ने कहा गया है कि सरकार के पास पर्याप्त सबूत हैं कि जमात-ए-इस्लामी और उसके अग्रणी संगठन इस्लामी छात्र शिबिर के कार्यकर्ता हाल की हत्याओं, विध्वंसकारी और चरमपंथी गतिविधियों में प्रत्यक्ष रूप से शामिल थे. पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की प्रमुख सहयोगी जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध के मद्देनजर पूरे देश में सुरक्षा बढ़ा दी गई है.

प्रधानमंत्री शेख हसीना ने एक कार्यक्रम में कहा कि जमात-ए-इस्लामी और इस्लामी छात्र शिबिर के कार्यकर्ता प्रतिबंध लगाए जाने के बाद भूमिगत हो सकते हैं और विनाशकारी गतिविधियों में संलिप्त हो सकते हैं. उनसे चरमपंथी समूह के रूप में निपटा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस तरह हमें उनसे एक चरमपंथी समूह के रूप में निपटना होगा और लोगों की सुरक्षा के लिए मिलकर काम करना होगा. बांग्लादेश की धरती पर चरमपंथियों के लिए कोई जगह नहीं है.

किसकी पार्टी है जमात-ए-इस्लामी?
जमात-ए-इस्लामी के प्रमुख डॉ. शफीकुर रहमान ने संविधान का उल्लंघन करके बांग्लादेश की सबसे पुरानी पारंपरिक लोकतांत्रिक पार्टी पर प्रतिबंध लगाने वाले आदेश की कड़ी निंदा की. उन्होंने एक बयान में कहा, ‘हम सरकार के इस असंवैधानिक, अलोकतांत्रिक और अन्यायपूर्ण निर्णय की कड़ी निंदा करते हैं और इसका विरोध करते हैं.’ रहमान ने बांग्लादेश के लोगों से अपील की कि वे सरकार द्वारा किए गए सामूहिक नरसंहार, मानवाधिकारों की अवहेलना, उत्पीड़न और उनकी पार्टी पर प्रतिबंध लगाने के हालिया असंवैधानिक निर्णय के खिलाफ व्यवस्थित रूप से अपनी आवाज बुलंद करें.

इस बीच गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल ने कहा कि किसी भी हिंसक घटना पर सख्ती से निपटा जाएगा और सुरक्षा एजेंसियों को कड़ी निगरानी रखने के आदेश दिए गए हैं. यह घटनाक्रम प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग के नेतृत्व वाले 14-दलों गठबंधन की बैठक के बाद हुआ है. इस बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया गया था कि जमात को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए. बता दें कि नौकरी में आरक्षण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में कम से कम 150 लोग मारे गए. (इनपुट- PTI)

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Sheikh Hasina government banned Jamaat-e-Islami and its Islamic student camp in Bangladesh
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क्या है जमात-ए-इस्लामी, जिसपर बांग्लादेश की शेख हसीना सरकार ने लगाया प्रतिबंध
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