पाकिस्तान और तालिबान (Pakistan Taliban Clash) के बीच संघर्ष बढ़ता जा रहा है. डूरंड लाइन पर अफगान लड़ाकों ने पाकिस्तान की कई पुलिस चौकियों पर हमला किया है. तालिबान को आश्रय देने से लेकर बढ़ाने में पाकिस्तान का पूरा श्रेय है. वही तालिबान आज खुद पाकिस्तान की सेना और पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बनता जा रहा है. इस संघर्ष की वजह से आम लोगों में काफी आक्रोश है. डूरंड लाइन पड़ोसी मुल्क के लिए रणनीतिक तौर पर अहम है.
डूरंड लाइन क्यों है पाकिस्तान के लिए अहम
डूरंड लाइन पाकिस्तान के लिए रणनीतिक तौर पर अहम है. भारत और अफगानिस्तान के बीच डूरंड लाइन को सीमा रेखा के तौर पर घोषित किया गया था. उस वक्त पाकिस्तान भी भारत का ही हिस्सा था. बंटवारे के बाद भी इसे ही बॉर्डर लाइन माना गया. डूरंड लाइन को दुनिया के सबसे खतरनाक बॉर्डर में शामिल किया जाता है.
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ब्रिटिश हुकूमत ने इस सीमा रेखा को खींचते वक्त स्थानीय जनजातियों और भौगोलिक परिस्थितियों का ध्यान नहीं रखा था. अब यहां चल रहे संघर्ष ने पाकिस्तान की टेंशन बढ़ा दी है. इस्लामाबाद में पीएम शहबाज शरीफ ने आर्मी चीफ के साथ हाई लेवल मीटिंग की है.
पाकिस्तान की सेना का हो रहा भारी विरोध
डूरंड लाइन पर हुए खूनी संघर्ष ने पाकिस्तान के आम लोगों को भी परेशान कर दिया है. दरअसल डूरंड लाइन के पास पंजाबी और पश्तून रहते हैं. पश्तून अफगानिस्तान का सबसे बड़ा जातीय समूह है, जबकि पंजाबी पाकिस्तान का सांख्यिकी दृष्टि से प्रभावी जातीय समूह है. डूरंड लाइन पर हुए खूनी संघर्ष का विरोध पाकिस्तान के स्थानीय लोग ही कर रहे हैं. इस हिंसा ने पाकिस्तान की सेना और पुलिस के खिलाफ आम लोगों को गुस्से से भर दिया है. 1990 के दशक में जिस तालिबान को फलने-फूलने का पूरा अवसर पाकिस्तान में मिला था, आज वही उसकी सुरक्षा के लिए बड़ी चुनौती बन गया है.
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डूरंड लाइन पर पाकिस्तान और अफगानिस्तान में घमासान, रणनीतिक तौर पर क्यों है अहम ये जगह?