डीएनए हिंदी: पाकिस्तान इन दिनों भयंकर महंगाई से जूझ रहा है. खराब इकोनॉमी की वजह से खाने-पीने की चीजों के दाम आसमान छू रहे हैं. पहले भी कई बार ऐसा हो चुका है लेकिन तब उसने अपने दोस्त देशों जैसे कि चीन या सऊदी अरब से मदद मिल जाया करती थी. इस बार पाकिस्तान की सबसे बड़ी परेशानी है कि उसके दोस्तों ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं. एक तरफ देश खाने-पीने के लिए जूझ रहा है, दूसरी ओर तालिबान पाकिस्तान को तीन टुकड़ों में बांट देने की धमकी दे रहा है. संकट की घड़ी में मदद न मिल पाने से पाकिस्तान कंगाली के मुहाने पर खड़ा है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान के खजाने में कुछ ही दिनों का पैसा बचा है. अगर कोई चमत्कार नहीं हुआ या किसी ने कोई मदद नहीं की तो पाकिस्तान दिवालिया होने की कगार तक पहुंच सकता है.
पाकिस्तान के वित्त मंत्री इसहाक डार ने कुछ दिनों पहले कहा था कि एक-दो हफ्तों में पाकिस्तान के दोस्त देशों से सहायता मिल जाएगा. इससे पाकिस्तान को उम्मीद थी कि इकोनॉमी में सुधार होगा और विदेशी मुद्रा भंडार भी बढे़गा. अब अमेरिका ने पाकिस्तान को मदद की बजाय सलाह दे डाली है. दरअसल, पाकिस्तान ने IMF से बेलआउट प्रोग्राम के तहत कर्ज लेने की शर्तों में कुछ छूट मांगी थी. अब अमेरिका ने कहा है कि जब पाकिस्तान में आर्थिक या मानवीय संकट होगा. IMF ने कहा है कि पाकिस्तान को अपने खर्च में कटौती करनी होगी. इसके अलावा, टैक्स और निर्यात में भी बढ़ोतरी करनी होगी.
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IMF ने मदद की तभी बचेगा पाकिस्तान?
सऊदी अरब ने मदद का ऐलान तो कर दिया है लेकिन अभी उसके संबंधित विभाग इस पर विचार करेंगे तब उसे मदद मिल सकेगी. अब पाकिस्तान की आखिरी उम्मीद IMF ही है. हालांकि, IMF की शर्तों को देखते हुए पाकिस्तान के लिए टिक पाना काफी मुश्किल हो सकता है. हाल ही में पाकिस्तान ने संयुक्त अरब अमीरात का 1 अरब से ज्यादा का कर्ज चुकाया है जिससे उसका हिसाब गड़बड़ हो गया है.
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IMF और पाकिस्तान के समीकरण ठीक न होने के चलते बाकी के देश भी मदद देने से हिचक रहे हैं और गोलमोल बातें बना रहे हैं. हाल ही में पाकिस्तान के गृहमंत्री राणा सनाउल्लाह खान ने कहा भी था कि मित्र देशों का कहना है कि पहले IMF से अपना मामला सुलझाइए तब मदद मांगने आइए. अब पाकिस्तान यह नहीं बता पा रहा है कि IMF ने उसके सामने ऐसी कौनसी शर्त रख दी है कि वह फंस गया है.
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