डीएनए हिंदी: आपने सियासत में एक शब्द खूब सुना होगा बनाना रिपब्लिक लेकिन ये होता क्या है? अब आप एक ऐसे देश की कल्पना कीजिए जो कहने को तो लोकतांत्रिक मुल्क है और हर पांच वर्ष में वहां चुनाव करवाए जाते हैं. एक ऐसा देश जहां कहने को तो संविधान भी है, संसद भी है और स्वतंत्र न्यायपालिका भी है. इस लोकतांत्रिक मुल्क में चलती सेना की है, सेना जब चाहती है किसी की भी सरकार बनवा देती है, जब चाहती है गिरवा देती है. यह ऐसा मुल्क है, जहां प्रधानमंत्रियों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप तो हैं ही ज़्यादातर प्रधानमंत्री जेल भी जा चुके हैं. कुछ को देश निकाला मिला तो एक को तो फांसी पर ही लटका दिया गया. आप समझ ही चुके होंगे कि हम किस देश की बात कर रहे हैं क्योंकि बनाना रिपब्लिक के उदाहरण के लिए आपको ज़्यादा दूर जाने की ज़रूरत नहीं है. हमारे बिल्कुल पड़ोस में ही मौजूद है और उसका नाम है पाकिस्तान क्योंकि पाकिस्तान में आज तक कोई भी प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है. उसे कुर्सी के साथ साथ पाकिस्तान भी छोड़ना पड़ा है और कई बार तो दुनिया ही छोड़नी पड़ी है.
इमरान खान जा सकते हैं विदेश
दरअसल पाकिस्तान में सत्ता में रहना जितना आसान है, विपक्ष में रहना उतना ही मुश्किल. इसलिए पाकिस्तान में ज़्यादातर पूर्व प्रधानमंत्री या तो जेल में रहते हैं या फिर विदेश में. पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान का भी यही हाल है. फिलहाल तो वो जेल में हैं लेकिन पाकिस्तान की मीडिया की मानें तो इमरान ख़ान जेल में रहने वाले विकल्प की जगह विदेश में सुकून से रहने वाले विकल्प पर ज़्यादा गंभीरता से विचार कर रहे हैं. दरअसल पाकिस्तान के कई बड़े मीडिया संस्थानों के मुताबिक़ इमरान ख़ान और पाकिस्तान की फ़ौज के बीच एकसीक्रेट डील पर बातचीत चल रही है. इस डील के तहत इमरान ख़ान जेल से रिहा किए जा सकते हैं लेकिन बदले में उन्हे राजनीति ही नहीं पाकिस्तान भी छोड़ना होगा. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इमरान ख़ान ने सेना के इस ऑफर को मंजूर भी कर लिया है.
जेल में हुई गुपचुप डील
कहा जा रहा है कि कुछ दिन पहले इमरान की दोनों बहनों ने अटक जेल में इमरान ख़ान से मुलाक़ात की थी. इस मुलाक़ात के दौरान उन्होंने इमरान ख़ान को उनके एक दोस्त का मैसेज दिया था.सूत्रों के अनुसार इमरान को मैसेज भिजवाने वाला ये शख़्स कोई और नहीं बल्कि इमरान की पहली पत्नी जेमिमा गोल्डस्मिथ ही हैं जो ब्रिटेन में रहती हैं और उनके परिवार का वहां अच्छा ख़ासा प्रभाव भी है. इमरान ख़ान फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं. इससे पहले वो तोशाखाना केस में जेल में बंद थे. मंगलवार को इस्लामाबाद हाई कोर्ट ने इस मामले में उन्हे रिहा करने का आदेश भी दे दिया. इससे पहले कि वो जेल से बाहर आते उन्ंहे नए मामले में हिरासत में ले लिया गया.
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इमरान खान को सेना ने दिया ऑफऱ
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार फ़ौज ने इमरान ख़ान को यह ऑफर भी दिया है कि अगर इमरान पाकिस्तान छोड़ देते हैं तो उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ यानी PTI को चुनाव लड़ने से नहीं रोका जाएगा. हालांकि इमरान का इसमें कोई रोल नहीं होगा. लेकिन अगर इमरान ख़ान सियासत और पाकिस्तान नहीं छोड़ते हैं तो फिर उनका तो जेल में रहना तय है ही. उनकी पार्टी के कई दूसरे नेताओं के साथ भी यही हो सकता है. दरअसल अभी तक जो तय शेड्यूल है उसके अनुसार पाकिस्तान में इस साल के अंत तक चुनाव होने हैं. हालांकि केयरटेकर सरकार किसी तरह इसे अगले साल march तक टालना चाहती है और इसी बीच इमरान से deal करने की कोशिशें भी जारी हैं.
पाकिस्तान की सियासत को गहराई से जानने वालों का मानना है कि आलीशान जिंदगी गुजारने वाले इमरान ज्यादा वक्त जेल में नहीं रह पाएंगे और आज नहीं तो कल वो फौज से deel कर ही लेंगे....और काफ़ी हद तक संभावना है कि वो अपनी पहली पत्नी जेमिमा गोल्डस्मिथ के पास लंदन चले जाएं. इमरान ख़ान को पिछले वर्ष अप्रैल में अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी थी और उसके बाद से ही उनके नवाज़ शरीफ़ की तरह पाकिस्तान छोड़ने की चर्चा चल रही थी. हालांकि इमरान ख़ान कई बार साफ़ कर चुके हैं कि चाहे जान भले ही चली जाए लेकिन वो पीठ नहीं दिखाएंगे.
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इमरान खान के ऊपर 120 केस हैं दर्ज
दरअसल इसकी सबसे बड़ी वजह है, पाकिस्तान की बदलापुर वाली सियासत और इमरान ख़ान इसका सबसे ताज़ा शिकार हैं. इमरान ख़ान फिलहाल साइफ़र केस में जेल में हैं. इससे पहले वो तोशाख़ाना मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद जेल की सज़ा काट रहे थे. इस मामले में उन्हे इस्लामाबाद हाई कोर्ट से राहत भी मिल गई थी लेकिन इससे पहले कि वो जेल से बाहर आते उन्ंहे एक नए केस में अंदर कर दिया गया. एक बार को अगर उन्हें इस मामले में भी राहत मिल जाए तो भी उनकी मुश्किलें कम नहीं होंगी क्योंकि पाकिस्तान की जांच एजेंसी नेशनल अकाउंटिबिलिटी ब्यूरो यानी NAB भी इमरान ख़ान से हिंसा के एक मामले में पूछताछ करना चाहती है.
ख़ास बात यह है कि NAB उन्ंहें पूछताछ के नाम पर तीन महीनों तक हिरासत में रख सकती है और इस दौरान उन्हें हाईकोर्ट तो दूर सुप्रीम कोर्ट भी ज़मानत नहीं दे पाएगी. अगर पाकिस्तान में तय समय के अनुसार चुनाव हुए तो भी इमरान ख़ान का जेल में रहना तय माना जा रहा है. अब ध्यान देने की बात है कि इमरान ख़ान के ऊपर ऐसे एक या दो नहीं पूरे 120 मामले दर्ज हैं. देशद्रोह, ईशनिंदा, हिंसा और आतंकवाद को बढ़ावा देने जैसे मामले भी शामिल हैं. इसमें भी 22 मामले तो सिर्फ़ आतंकवाद से जुड़े हैं. यानी अगर कोर्ट इमरान ख़ान को एक मामले में बरी भी कर देती है तो उनके लिए दूसरा मामला पहले ही तैयार होगा. शायद इमरान ख़ान भी जानते हैं कि अगर वो अड़े रहे तो शायद जेल में पड़े रहेंगे और शायद इसलिए वो फ़ौज के इस ऑफ़र पर विचार कर रहे हैं.
नवाज शरीफ और बेनजीर को भी छोड़ना पड़ा देश
अब आपको सिक्के का दूसरा पहलू दिखाते हैं क्योंकि इधर इमरान ख़ान के पाकिस्तान छोड़ने की ख़बरें चल रही है तो वहीं दूसरी तरफ़ नवाज़ शरीफ़ के पाकिस्तान लौटने की अटकलें भी तेज़ हो गई हैं. कहा जा रहा है कि पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ15 अक्टूबर तक पाकिस्तान लौट सकते हैं. यहां लौटकर वो अपनी पार्टी PML-N की कमान संभालेंगे. दरअसल नवाज़ शरीफ़ जानते हैं कि इस वक्त उनकी पार्टी की सरकार के ख़िलाफ़ लोगों में काफ़ी गुस्सा है, जबकि इमरान ख़ान पाकिस्तान में काफ़ी लोकप्रिय हो चुके हैं. ऐसे में अगर निष्पक्ष तरीक़े से चुनाव हुए, तो इमरान ख़ान की सत्ता में वापसी भी तय है. वाज़ शरीफ़ अपने रास्ते से इमरान ख़ान को हटाना चाहते हैं. इसके लिए उन्होने वही तरीक़ा चुना है, जो कभी इमरान ख़ान ने उनके ख़िलाफ़ चुना था.
दरअसल नवाज शरीफ ने भी फौज से डील के बाद ही पाकिस्तान छोड़ा था. इसके पहले इसके पहले पूर्व राष्ट्रपति और आर्मी चीफ परवेज मुशर्रफ ने भी यही किया था. बेनजीर भुट्टो भी डील के तहत ही पाकिस्तान से ब्रिटेन गईं थीं. बेनज़ीर साल 1988 में पाकिस्तान की प्रधानमंत्री बनीं थीं और उन्होने वर्ष उन्नीस सौ अट्ठासी से वर्ष उन्नीस सौ नब्बे और वर्ष उन्नीस सौ तिरानवे से वर्ष उन्नीस सौ छयानवे तक दो बार पाकिस्तान की सत्ता संभाली थी. 1999 में बेनज़ीर भुट्टो को भ्रष्टाचार के आरोप में 5 वर्ष की सज़ा सुना दी गई. सेना से हुई एक डील के बाद बेनज़ीर को पाकिस्तान छोड़ना पड़ा और उन्हे करीब 10 वर्ष ब्रिटेन और सऊदी अरब में बिताने पड़े थे. बाद में वो वर्ष 2007 में एक बार फिर चुनाव लड़ने के लिए पाकिस्तान लौटी थीं लेकिन एक रैली के दौरान हुए हमले में उनकी जान चली गई थी.
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