Lebanon Device Explosion: इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच एक बार फिर तनाव बढ़ता जा रहा है. इजरायल ने लेबनान में हिजबुल्लाह के मेंबर्स के पहले पेजर और फिर हाथ मे पकड़े वॉकी-टॉकी को हैक कर उनमें सीरियल ब्लास्ट किया है. दो दिन लगातार हुए इन ब्लास्ट्स में अब तक 15 लोगों की मौत हो चुकी है और 4,500 से अधिक लोग घायल हुए हैं. इन हमलों का श्रेय इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद को दिया जा रहा है, जो अपने दुश्मनों को चुन-चुनकर निशाना बनाने के लिए जानी जाती है.
पेजर और वॉकी टॉकी में ब्लास्ट्स से बढ़ी हिजबुल्लाह की चिंता
घटना के बाद स्थानीय अधिकारियों का दावा है कि इजरायल ने लेबनान में आए पेजरों और वॉकीटॉकी के साथ छेड़छाड़ की थी. पेजर कंपनी का कहना है कि भले ही इन डिवाइसों पर उनके ब्रांड का नाम अंकित था, परंतु वे बुडापेस्ट स्थित एक कंपनी द्वारा निर्मित थे. New York Times की रिपोर्ट के अनुसार, इन पेजरों में बैटरी के पास 1 से 2 औंस विस्फोटक डाली गई थी. इसके साथ ही, एक स्विच भी लगाया गया था जिसे दूर से नियंत्रित कर विस्फोट करवाया जा सकता था.
पहले भी ऐसे कारनामे करती रही है मोसाद
इस पूरे हमले के पीछे मोसाद की भूमिका मानी जा रही है. इसी क्रम में हम आज आपको मोसाद के ऐसे 5 खुफिया ऑपरेशन के बारे में,बताने जा रहे हैं जिसे सुनने के बाद आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे .लेकिन उससे पहले आपको मोसाद के बारे में बता देते हैं. इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद, दुनिया की सबसे ताकतवर और खतरनाक खुफिया एजेंसियों में से एक मानी जाती है. इजरायल की सुरक्षा के लिए तीन प्रमुख खुफिया संगठन काम करते हैं. मोसाद की दो काउंटर-टेररिज्म इकाइयां खासकर कुख्यात हैं, जिसमें एक मेटसाडा है जो दुश्मनों पर सीधे हमले करती है, और दूसरा किडोन, जो आतंकवादियों के खिलाफ गुप्त ऑपरेशनों को अंजाम देती है. 1949 में स्थापित मोसाद का मुख्य उद्देश्य आतंकवाद से लड़ना था. बताते चलें 1951 से यह इजरायल के प्रधानमंत्री के अधीन काम करती है.
ये हैं वो 5 खतरनाक खुफिया ऑपरेशन जिसे मोसाद ने अंजाम दिया है-
1. ऑपरेशन एन्तेबे (1976)
यह ऑपरेशन इतिहास की सबसे हैरतअंगेज बचाव अभियानों में से एक माना जाता है. जून 1976 में, एयर फ्रांस की एक उड़ान को आतंकवादियों द्वारा हाईजैक कर युगांडा के एंटेबे हवाई अड्डे पर उतारा गया था.उसके बाद 3 जुलाई 1976 की रात को, इजरायली सेना और मोसाद ने मिलकर एक ऑपरेशन की शुरुआत की. ऑपरेशन के तहत 100 से अधिक कमांडो ने हिस्सा लिया, जो ब्लैक मर्सिडीज और लैंड रोवर्स में सवार होकर युगांडा के एंटेबे एयरपोर्ट पर पहुंचे. वे राष्ट्रपति ईदी अमीन के काफिले का नाटक करते हुए उस टर्मिनल तक पहुंच गए, जहां यात्रियों को बंधक बनाकर रखा गया था. ऑपरेशन को इतने सटीक और तेजी से अंजाम दिया गया कि केवल 90 मिनट में 102 बंधकों को बचा लिया गया. इस दौरान सभी आतंकवादियों और युगांडा के 45 सैनिकों को भी मार गिराया गया.
2. ऑपरेशन रैथ ऑफ गॉड (1972-1988)
5 सितंबर को म्यूनिख ओलंपिक के दौरान 11 इजरायली खिलाड़ियों की हत्या फलस्तीन लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन (पीएलओ) के आतंकवादियों द्वारा कर दी गई. इस हमले के बाद, इजरायल ने भी बदला लेने के लिए मिशन 'रैथ ऑफ गॉड' चलाया, जिसमें मोसाद के एजेंटों ने उन सभी लोगों की हत्या की योजना बनाई जो ऑपरेशन ब्लैक सितंबर में शामिल थे. मोसाद के एजेंटों ने इस मिशन को पूरा करने के लिए कई सालों तक अलग-अलग देशों में घूम-घूम कर काम किया था.
3. ऑपरेशन ऑपेरा (1981)
इजरायल ने कभी भी अपने पड़ोस में किसी परमाणु शक्ति को स्वीकार नहीं किया. जब इराक ने 1980 के दशक में अपना परमाणु कार्यक्रम शुरू किया, तो इजरायल ने इसे अपने देश के प्रति खतरा मानकर ओसिरक परमाणु रिएक्टर पर हवाई हमला किया, जिसे ऑपरेशन ओपेरा कहा गया. यह रिएक्टर निर्माणाधीन था और तेल अबीब को डर था कि इसका इस्तेमाल परमाणु हथियारों के निर्माण के लिए किया जा सकता है. पहले मोसाद के एजेंटों ने इराक में घुसकर रिएक्टर की पूरी जानकारी इकट्ठा कर ली थी. इसके बाद, इजरायली वायुसेना ने एयरस्ट्राइक की और रिएक्टर को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया.
4. ईरानी परमाणु वैज्ञानिक मोहसिन फखरीजादे की हत्या (2020)
इजरायल और ईरान के रिश्ते हमेशा सुर्खियों में रहे हैं. दोनों देश हमेशा एक-दूसरे को लेकर हमलावर रहते हैं. विशेषकर ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर इजरायल हमेशा चिंतित रहता है. नवंबर 2020 में ईरान के प्रमुख परमाणु वैज्ञानिक मोहसिन फखरीजादेह की एक बेहद गुप्त तरीके से हत्या कर दी गई थी. शुरू में मोसाद ने इस हमले की जिम्मेदारी से इनकार किया, लेकिन जून 2021 में मोसाद के प्रमुख ने इस हत्या को स्वीकार कर लिया.इसके बाद ईरान के खुफिया विभाग के मंत्री महमूद अलावी ने इशारे में बताया कि हत्याकांड में शामिल व्यक्ति ईरान की सेना और विशेष रूप से इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड (आईआरजीसी) का सदस्य था.
5. ऑपरेशन डायमंड (1966)
1960 के दशक में सोवियत संघ ने अपने मिग-19 को अपग्रेड कर मिग-21 बनाया और इसे मिस्र, लेबनान, और इराक को बेचा था. इन विमानों के जरिए इन देशों ने इजरायल को धमकाना शुरू कर दिया. जिसके बाद इजरायल ने मिग-21 को चुराने का निर्णय लिया और मोसाद ने 'ऑपरेशन डायमंड' शुरू किया. बता दें कि तत्कालीन मोसाद प्रमुख मीर एमिट ने इस अभियान को अपने करियर की सबसे बड़ी उपलब्धि माना. पहले दो प्रयास असफल रहे, लेकिन अंत में एक लेडी जासूस ने इराकी पायलट मुनीर रेड्फा को मिग-21 इजरायल लाने के लिए राजी किया. मुनीर ने 16 अगस्त 1966 को मिग-21 को लेकर इजरायल पहुंचा.
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