डीएनए हिंदी: चीन के शिनजियांग प्रांत (Xinjiang Province) में रहने वाले उइगर मुस्लिमों (Uyghur Muslims) के मानवाधिकार हनन का मुद्दा बेहद चर्चा में रहा है. भारत ने भी कई बार चीन पर इस रीजन में मानवाधिकार हनन का आरोप लगाया है, लेकिन बृहस्पतिवार को भारत संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UN Human Rights Council) में इस मुद्दे पर चीन को घेरने से पीछे हट गया. भारत ने शिनजियांग प्रांत में मानवाधिकार की स्थिति पर चर्चा के लिए पेश मसौदा प्रस्ताव पर वोटिंग में हिस्सेदारी नहीं की. भारत के हिस्सा नहीं लेने पर चीन इस प्रस्ताव को 19-17 से अपने पक्ष में खारिज कराने में सफल हो गया.
एक्सपर्ट्स भारत के इस मूव को जम्मू-कश्मीर से जोड़कर देख रहे हैं, जहां पाकिस्तान लगातार मानवाधिकार हनन का आरोप लगाता रहा है. माना जा रहा है कि भारत के शिनजियांग मुद्दे पर वोटिंग में भाग लेने के बाद चीन पाकिस्तान के जरिए कोई ऐसा ही कदम उठाने की कोशिश कर सकता था. भारतीय अधिकारियों ने वोटिंग में भाग नहीं लेने को लेकर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है.
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India has abstained from voting on a draft resolution in the UN Human Rights Council on holding a debate on the human rights situation in China’s Xinjiang province: Sources
— ANI (@ANI) October 6, 2022
शिनजियांग में रहते हैं 1 करोड़ मुस्लिम
शिनजियांग प्रांत में करीब 1 करोड़ मुस्लिम उइगर रहते हैं, जिन पर चीन की तरफ से अत्याचार करने का मुद्दा मानवाधिकार समूह पिछले कई साल से उठाते रहे हैं. समूहों का आरोप है कि चीन ने करीब 10 लाख उइगरों को उनकी इच्छा के विरुद्ध कथित ‘पुनर्शिक्षा शिविरों’ में हिरासत में रखा हुआ है. साल 2017 से लगातार चीन में उइगर व अन्य मुस्लिम बहुल समुदायों के मानवाधिकार हनन से जुड़े गंभीर आरोप ये मानवाधिकार समूह संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय और संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार तंत्र के सामने उठाते रहे हैं. अमेरिका भी चीन पर इस एरिया में योजनाबद्ध नरसंहार का आरोप लगाता रहा है, जिन्हें बीजिंग खारिज करता रहा है.
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अमेरिकी नेतृत्व वाला समूह चाहता था चर्चा कराना
शिनजियांग की इस स्थिति पर चर्चा के लिए संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) में मसौदा प्रस्ताव पेश किया गया था, जिसका विषय 'चीन के जिनजियांग उइगर स्वायत्त क्षेत्र में मानवाधिकारों की स्थिति पर चर्चा' रखा गया था. यह प्रस्ताव अमेरिका के नेतृत्व वाले एक कोर ग्रुप ने पेश किया था, जिसमें कनाडा, डेनमार्क, फिनलैंड, आइसलैंड, नॉर्वे, स्वीडन और ब्रिटेन शामिल हैं. इस प्रस्ताव का समर्थन तुर्की समेत कई अन्य देशों ने भी किया था.
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चीन के समर्थन में पड़े ज्यादा वोट, खारिज हुआ प्रस्ताव
अमेरिका के समर्थन के बावजूद 47 सदस्य वाली UNHRC में यह प्रस्ताव खारिज हो गया. चीन समेत 19 देशों ने प्रस्ताव के खिलाफ वोट दिए, जबकि 17 सदस्य देशों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया. भारत समेत 11 देश वोटिंग से गायब रहे, जिनमें ब्राजील, मेक्सिको और यूक्रेन भी शामिल थे.
चीन के राजदूत की चेतावनी के कारण तो नहीं हटा भारत!
चीन के राजदूत ने वोटिंग शुरू होने से पहले सभी देशों को चेतावनी दी. चीनी राजदूत चेन झू (Chen Xu) ने कहा, आज चीन को टारगेट किया जा रहा है. कल दूसरे विकासशील देश भी निशाना बनाए जाएंगे. यह प्रस्ताव दूसरे देशों के मानवाधिकार रिकॉर्ड की भी जांच करने के लिए मिसाल कायम करेगा. इस प्रस्ताव पर बहस 'नए टकरावों' की तरफ लेकर जाएगी.
एक्सपर्ट्स का मानना है कि भारत के वोटिंग से दूर रहने का कारण यही बयान है. भारत को डर है कि चीन आगे चलकर इसी प्रस्ताव का हवाला देकर पाकिस्तान के साथ मिलकर कश्मीर पर प्रस्ताव पेश कर सकता है. इससे कश्मीर में सबकुछ सही होते हुए भी नए विवाद शुरू हो सकते हैं.
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UN मानवाधिकार कार्यालय ने भी चीन को माना था दोषी
UN मानवाधिकार कार्यालय ने 31 अगस्त को जारी अपनी रिपोर्ट में शिनजियांग में मानवाधिकार उल्लंघन का स्तर बेहद गंभीर होने की बात मानी थी. रिपोर्ट में इसे मानवता के खिलाफ अपराध करार दिया गया था, जिससे चीन पर दबाव बढ़ा था. UNHRC में प्रस्ताव खारिज होने के बावजूद मानवाधिकार समूह इसे पॉजिटिव मान रहे हैं. ह्यूमन राइट्स वॉच में चीन की निदेशक सोफी रिचर्डसन के मुताबिक, यह इतिहास में पहला मौका है, जब संयुक्त राष्ट्र ने शिनजियांग में मानवाधिकार की स्थिति को चर्चा लायक माना है.
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UNHRC में भारत चीन के खिलाफ वोटिंग से हटा, क्या कश्मीर को लेकर था डर