एक साल से भी ज्यादा वक्त से हमास और इजरायल के बीच चल रहे संघर्ष (Israel Hamas War) के बाद आखिरकार सीजफायर के लिए सहमति बन गई है. मिडिल ईस्ट में जारी संघर्ष को रोकने में डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने अहम भूमिका निभाई है. उन्होंने अपने खास दोस्त विटकॉफ को मिडिल ईस्ट का दूत बनाकर भेजा है. बता दें कि कुछ हफ्ते पहले ही ट्रंप ने हमास को अल्टीमेटम दिया था कि उनके शपथ ग्रहण से पहले (20 जनवरी) सभी बंधकों को रिहा कर दे, नहीं तो अंजाम बहुत बुरा हो सकता है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो यह बयान बेंजामिन नेतन्याहू पर भी दबाव बनाने के लिए काफी था.
खास दोस्त को सौंपी मिडिल ईस्ट की जिम्मेदारी
मिडिल ईस्ट का दूत बनाकर डोनाल्ड ट्रंप ने अपने खास दोस्त और गोल्फ पार्टनर विटकॉफ को भेजा है. द गार्डियन के मुताबिक, विटकॉफ के पास इससे पहले कूटनीतिक अनुभव नहीं था, लेकिन ट्रंप ने उन पर भरोसा जताया. दोहा में शबात की बैठक के दौरान इजरायली अधिकारियों से विटकॉफ की मुलाकात हुई थी. सूत्रों के मुताबिक, उन्होंने स्पष्ट शब्दों में इजरायल के पीएम को बताया कि अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति चाहते हैं कि किसी भी तरह से उनके शपथ ग्रहण से पहले समझौता हो जाना चाहिए. मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि यह बैठक काफी तनावपूर्ण थी, लेकिन आखिरकार सीजफायर पर सहमति बन गई है.
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डोनाल्ड ट्रंप का हमास के लिए रुख रहा है बेहद सख्त
हमास के लिए अगर डोनाल्ड ट्रंप की रणनीति की बात की जाए, तो वह काफी सख्त रहा है. वह खुले तौर पर इस्लामिक टेररिज्म शब्द का भी इस्तेमाल करते हैं. सिर्फ हमास ही नहीं बल्कि ईरान को लेकर भी ट्रंप प्रशासन ने अपने पहले कार्यकाल में सख्ती दिखाई थी. सीजफायर के लिए सहमति बनने पर ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा कि इस बात की खुशी है कि इजरायल और अमेरिका के बंधक अपने परिवारों से मिल पाएंगे. व्हाइट हाउस में प्रवेश किए बिना ही हमने बड़ी जीत हासिल की है.
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संघर्ष विराम के लिए डोनाल्ड ट्रंप ने बेंजामिन नेतन्याहू पर बनाया दबाव? खास दोस्त को सौंपी मिडिल ईस्ट की जिम्मेदारी