डीएनए हिंदी: रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) के दौरान रूस दुनिया के लगभग 90 प्रतिशत देशों की आंखों में खटक रहा है. संयुक्त राष्ट्र संघ समेत अनेक देशों ने उस पर प्रतिबंध लगा रखे हैं. इन सबके बीच भी अब तक भारत ने रूस का किसी भी मुद्दे पर विरोध नहीं किया है जो कि रूस के लिए एक बेहद सहज स्थिति है. इस बीच ही भारत रूस संबंधों के 75 वर्ष पूरे हो गए हैं. इसको लेकर रूस के राजदूत ने कहा है कि भारत के साथ पहली प्राथमिकता दोस्ती है क्योंकि इससे ज्यादा महत्वपूर्ण कुछ भी नहीं है.
दरअसल, भारत और रूस के बीच राजनयिक संबंधों के 75 साल पूरे होने पर में दिल्ली में रूसी संस्कृति उत्सव मनाया जा रहा है. इस मौके पर भारतीय अधिकारियों के साथ रूसी राजदूत डेनिस अलीपोव भी मौजूद थे. उन्होंने इस दौरान भारत के साथ संबंध को लेकर बहुत बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि भारत के साथ दोस्ती से ज्यादा कुछ भी नही है. उन्होंने इस दौरान यह भी कहा कि पिछले दो वर्षों से वर्षगांठों के दौरान किसी भी तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं हो पाए, जो कि एक अप्रिय स्थिति थी.
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दोस्ती से ज्यादा कुछ भी नहीं
भारत रूस संबंधों को लेकर उन्होंने कहा है कि भारत में एक लोकप्रिय कहावत है, 'दोस्ती से ज्यादा कुछ नहीं होता'. रूस-भारत रणनीतिक साझेदारी के भरोसेमंद और मैत्रीपूर्ण चरित्र दुनिया भर के देशों के लिए एक सटीक उदाहरण है. रूसी राजदूत ने कहा कि कोरोना महामारी के उबरने के बाद आज रात हम रूस और भारत के पारस्परिक सांस्कृतिक उत्सवों की अद्भुत परंपरा को फिर से शुरू कर रहे हैं.
कूटनीतिक रिश्तों के 75 साल
रूस-भारत राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ पर यह हमारे देशों के बीच समृद्ध और विविध सांस्कृतिक बंधनों, ऐतिहासिक मित्रता, आपसी हित और विश्वास का एक बहुत ही ज्वलंत उदाहरण होगा. रूसी राजदूत ने कहा कि दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में एक सप्ताह तक उत्सव चलेगा. नई दिल्ली, मुंबई और कोलकाता में लोग आनंद ले सकेंगे. उन्होंने इस कार्यक्रम को लेकर बताया है कि यह उत्सव रूस और भारत के राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ की सबसे रंगीन प्रदर्शन होगी, जिसे हम इस वर्ष मना रहे हैं.
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रूस के साथ खड़ा है भारत
रूस इस समय पूरी दुनिया में अलग-थलग पड़ चुका है क्योंकि पूरी दुनिया यूक्रेन पर रूसी हमलों से नाराज है. रूस के खिलाफ अनेकों आर्थिक प्रतिबंध भी जारी हैं. वहीं भारत ने इस दौरान रूस को बड़ी राहत देते हुए अनेक प्रतबिंधों के बावजूद रूस से कच्चे तेल (Russian Crude Oil) की खरीद बढ़ा दी है और कृषि संबंधी उर्वरकों के आयात में भी विस्तार किया है जिसके चलते भारत को अतंर्राष्ट्रीय बाजार की तुलना में सस्ता माल मिल रहा है, वहीं रूस को आर्थिक फायदा भी हो रहा है.
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