डीएनए हिंदी: आर्थिक और राजनीतिक संकट के दौर से गुजर रहे श्रीलंका की बदहाली की कई तस्वीरें बीतें दिनों सामने आईं. जनता का रोष सड़कों से संसद और फिर राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री के आवास तक पहुंच गया. इसके चलते श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को देश छोड़कर ही भागना पड़ा था. लगभग दो महीने बाद अब वह देश लौट आए हैं. विरोध प्रदर्शन, इस्तीफे की मांग और लगातार हो रही हिंसक घटनाओं के बीच राजपक्षे 13 जुलाई को देश छोड़कर भाग गए थे. जानिए अब वह किस आधार पर वापस आए हैं? क्या जनता ने उन्हें स्वीकार कर लिया है? राजपक्षे के लिए आगे की चुनौतियां क्या होंगी? और कैसा है अब श्रीलंका का हाल?
कड़ी सुरक्षा के बीच श्रीलंका पहुंचे राजपक्षे
जिस वक्त राजपक्षे ने अपना देश छोड़ा था उस वक्त वहां उनकी जान तक को खतरा था. ऐसे में जब कड़ी सुरक्षा के साथ ही शुक्रवार को भंडारनायके अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचे. रिपोर्ट्स के मुताबिक कई मंत्री भी उनकी अगुवानी के लिए एयरपोर्ट पर मौजूद थे. यह भी बताया जा रहा है कि श्रीलंका के मौजूदा राष्ट्रपति रानिल विक्रमासिंघे ने भी उन्हें सुरक्षा और देश की शांति का विश्वास दिलाया है. 18 अगस्त कौ दोनों के बीच बातचीत हुई थी. इसी के बाद राजपक्षे ने देश वापस लौटने की तैयारी शुरू की. हालांकि भड़की हुई देश की जनता को ऐसे में संभालना और शांति सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती हो सकती है.
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राजपक्षे के रहने का क्या होगा इंतजाम
‘डेली मिरर’ की रिपोर्ट के अनुसार गोटबाया राजपक्षे एक सरकारी बंगले में रहेंगे. उस इलाके की सुरक्षा के लिए एक बड़ा सुरक्षा दल भी नियुक्त किया जाएगा. पूर्व राष्ट्रपति के रूप में राजपक्षे के लिए सरकारी बंगले के साथ ही अन्य सुविधाओं की भी व्यवस्था की जा रही है.
विपक्षी पार्टी कर रही हैं सजा की मांग
राजपक्षे के देश वापस लौटने को लेकर विपक्षी पार्टियों का कहना है कि देश का नागरिक होने की वजह से उन्हें वापस आने का पूरा अधिकार है. मगर अब उनके खिलाफ मामला चलाया जाना चाहिए. बता दें कि इस दौरान अगर राजपक्षे दोषी पाए जाते हैं तो उन्हें मिली इम्यूनिटी कानूनी रूप से खत्म हो जाएगी. यह जानना भी जरूरी है कि देश लौटने से पहले गोटाबाया अमेरिका में ग्रीन कार्ड पाने की भी कोशिश कर रहे थे.
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अब तक थाईलैंड में थे राजपक्षे
बता दें कि गोटबाया राजपक्षे पहले श्रीलंका वायुसेना के विमान के जरिए कोलंबो से मालदीव भागे थे. मालदीव से वह सिंगापुर रवाना हुए थे, जहां से उन्होंने 14 जुलाई को अपना इस्तीफा भेजा था. बाद में राजपक्षे थाईलैंड चले गए थे. इस सबके बाद श्रीलंका की संसद ने तत्कालीन कार्यवाहक राष्ट्रपति और छह बार प्रधानमंत्री रह चुके रानिल विक्रमसिंघे को उनके उत्तराधिकारी के रूप में चुना था. विक्रमसिंघे को 225 सदस्यीय संसद में सबसे बड़े दल श्रीलंका पोदुजना पेरामुना (एसएलपीपी) का समर्थन हासिल था.
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Sri Lanka: 7 हफ्ते बाद देश लौटे गोटबाया राजपक्षे, अब क्या मिलेंगी सुविधाएं, क्या होंगी चुनौतियां जानें सब कुछ