India Canada War: भारत और कनाडा के बीच बढ़ते कूटनीतिक तनाव के बीच कई सवाल उठ रहे हैं. कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो ने 'खालिस्तान मुद्दे' को इस समय क्यों उठाया है. कई विश्लेषक इसे वोट बैंक की राजनीति के नजरिए से देख रहे हैं. कनाडा को इस मामले में "फाइव आईज" इंटेलिजेंस अलायंस का समर्थन भी मिला है, जिसने स्थिति को और जटिल कर दिया है. इस पूरे घटनाक्रम पर बीजिंग भी अपनी नज़रें गड़ाए हुए है. खासकर भारत और फाइव आईज के बीच इस विवाद को बढ़ता देखते हुए. चीनी विशेषज्ञ इसे अगले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से जोड़कर देख रहे हैं.
कनाडा के साथ भारत के राजनयिक विवाद थमने का नाम ही नहीं ले रहा है. वहीं इस पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने खुलकर अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कनाडा पर दोहरे मानदंड अपनाने का आरोप लगाया है. जयशंकर के अनुसार, कनाडा अपने राजनयिकों को विदेशी धरती पर जिस प्रकार से काम करने की अनुमति देता है, वही स्वतंत्रता वह अन्य देशों के राजनयिकों को देता है. यह एक बड़ा विरोधाभास है, जिसे नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता.
कनाडा को दोहरा मापदंड बताया
जयशंकर ने एनडीटीवी वर्ल्ड समिट के दौरान कहा कि कनाडा के राजनयिक भारत में आकर सेना और पुलिस से संबंधित जानकारी इकट्ठा करते हैं, लेकिन जब भारत के राजनयिक कनाडा में इसी प्रकार की गतिविधियों में शामिल होते हैं, तो उन्हें तमाम तरह के प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता है. यह कनाडा की नीति का दोहरा चेहरा है. उन्होंने आगे कहा कि जब भारत विरोधी तत्व भारतीय नेताओं और राजनयिकों को धमकाते हैं, तो कनाडा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हवाला देकर कार्रवाई से बचने की कोशिश करने लगता है.
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दो दशकों में दुनिया में काफी बदलाव हो रहे हैं
जयशंकर ने यह भी कहा कि वैश्विक व्यवस्था अब पश्चिमी देशों के प्रभुत्व से मुक्त हो रही है. इसमें भारत व चीन जैसे देशों की भूमिका लगातार आगे बढ़ रही है. इस वैश्विक पुनर्संतुलन की प्रक्रिया आसान नहीं होगी. इससे कुछ विवाद एवं चुनौतियां बढ़ने की संभावना है. पिछले दो दशकों में दुनिया में काफी बदलाव हुए हैं और यह प्रक्रिया अभी भी जारी है.
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Canada-India के मतभेद का BRICS में दिखेगा असर? ट्रूडो सरकार की नीतियों पर जयशंकर ने जताई थी नराजगी