21 नवंबर को पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा (KPK) प्रांत के क़ुर्रम जनजातीय जिले में शुरू हुआ शिया और सुन्नी समुदायों के बीच संघर्ष थमने का नाम नहीं ले रहा है. इस पूरी घटना की शुरुआत शिया कारवां पर हुए हमले से हुई, जिसमें कम से कम 42 लोग मारे गए. इस हमले के बाद शिया समुदाय ने बदले में हिंसा फैलाना शुरू किया, जिसके कारण इलाके में संघर्ष ने तूल पकड़ लिया और मरने वालों की संख्या बढ़ गई.
150 से अधिक लोगों की जान गई
पिछले कुछ महीनों में इस हिंसा ने 150 से ज्यादा लोगों की जान ले ली है. शनिवार को स्थिति और भी खराब हो गई, जब 82 लोग मारे गए, जिनमें 16 सुन्नी और 66 शिया शामिल थे. इस बढ़ते मौत के आंकड़े ने स्थानीय प्रशासन को हस्तक्षेप करने पर मजबूर किया. जिसके बाद खैबर पख्तूनख्वा सरकार ने एक उच्च स्तरीय आयोग का गठन किया, ताकि बढ़ते तनाव को कम किया जा सके.
शवों और बंदियों के आदान-प्रदान का समझौता
शिया और सुन्नी समूहों के प्रतिनिधियों ने मिलकर एक अस्थायी संघर्षविराम पर सहमति जताई. दोनों पक्षों ने 7 दिन का युद्धविराम लागू करने का फैसला किया, जिसके तहत मृतकों के शवों का आदान-प्रदान करने पर समझौता हुई है. पकड़े गए लोगों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं. सरकार का एक प्रतिनिधिमंडल शिया और सुन्नी नेताओं से मुलाकात कर रहा है और यह सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहा है कि संघर्षविराम का पालन किया जाए.
स्थिति अब भी तनावपूर्ण
हालांकि शिया कारवां पर हमले की जिम्मेदारी किसी ने नहीं ली है. दोनों पक्षों के बीच स्थिति अब भी तनावपूर्ण है, बावजूद इसके कि संघर्षविराम समझौता हो चुका है. यह क्षेत्र अभी भी अपने लंबे समय से चले आ रहे सांप्रदायिक विभाजन के साथ जूझ रहा है, जो उसके सामाजिक ताने-बाने में गहरे घाव छोड़ चुका है.
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पाकिस्तान में फिर भड़की सांप्रदायिक हिंसा, सिया-सुन्नी संघर्ष में 150 लोगों की मौत, जानें पूरा मामला