पाकिस्तान चुनाव नतीजे आ चुके हैं, कौन सी पार्टी सरकार बनाएगी और प्रधानमंत्री कौन बनेगा? ये सवाल अब तक अनसुलझा है. भारत ने पाकिस्तान में हुए इस बार के चुनाव में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है. साल 2018 में जब इमरान खान की पार्टी PTI ने सरकार बनाई थी और इमरान खान प्रधानमंत्री बने थे. भारत ने उस वक्त इमरान खान को बधाई दी थी. पाकिस्तान में हुए चुनाव को लेकर इस बार चीन कुछ ज्यादा ही उत्साहित है. सोमवार को चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता Mao Ning ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की है.
इस दौरान उनसे पत्रकारों ने पाकिस्तान में हुए चुनाव (Pakistan Election Result) पर सवाल पूछा. इसके जवाब में Mao Ning ने पाकिस्तानियों को देश में हुए साफ-सुथरे और निष्पक्ष चुनाव के लिए बधाई दी. उन्होंने उम्मीद जताई कि पाकिस्तान की राजनीतिक पार्टियां एकजुटता दिखाते हुए स्थिर सरकार का गठन जल्द करेंगी.
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चीन की नजर में पाकिस्तान में हुए हैं निष्पक्ष चुनाव
अब यहां मजेदार बता ये कि चीन, पाकिस्तान में हुए जिन चुनाव को निष्पक्ष और शांतिपूर्ण बता रहा है, वो चुनाव कितने निष्पक्ष और बिना धांधली के हुए हैं. दुनिया ने उनकी तस्वीरों को पिछले 12 दिनों में कई बार देखा है. पाकिस्तान में नवाज शरीफ के राजनीतिक दल PML(N) को छोड़ दें, तो ज्यादातर दलों ने धांधली के आरोप लगाए हैं. पाकिस्तान में कितने बड़े स्तर पर वोटों की धांधली हुई, इसे देखकर तो रावलपिंडी का एक सीनियर अफसर आत्मग्लानी महसूस करने लगा.
रावलपिंडी के कमिश्नर ने ही लगाया है आरोप
रावलपिंडी के कमिश्नर लियाकत अली ने आरोप लगाया था कि मुख्य चुनाव आयुक्त और सुप्रीम कोर्ट के एक शीर्ष न्यायाधीश भी धांधली में शामिल थे. वोटों की धांधली करके उन्होंने ऐसे Independent candidates को हरवा दिया, जो 70 से 80 हजार वोटों से आगे चल रहे थे. पाकिस्तान के नेता, पाकिस्तान के अफसर दावा कर रहे हैं कि देश में चुनाव ना निष्पक्ष हुए, ना शांतिपूर्ण तरीके से हुए है.
चीन आधिकारिक तौर पर पाकिस्तान के लोगों को बधाई दे रहा है. चुनाव नतीजों को अवाम की पसंद बताने की कोशिश में लगा है. जबकि चुनाव के दौरान पाकिस्तान में ही ये सब कुछ हो रहा था...
- PTI समर्थित निर्दलीय उम्मीदवारों को प्रचार से रोका गया
- वोटिंग के दिन देश में Internet बंद किया गया
- वोटिंग के दौरान वोटों की चोरी की गई
- वोटिंग सेंटर से बैलेट बॉक्स लूटे गए
- काउंटिंग के दौरान वोटों की हेराफेरी हुई
- नियम दरकिनार कर नतीजों में देरी की गई
- PTI समर्थित उम्मीदवारों से बदसलुकी की गई
- वोटिंग और काउंटिंग के दौरान हिंसक घटनाएं हुई
- चुनाव में प्रत्याशियों के ऑफिस पर आतंकी हमले हुए
- चुनाव के दौरान 100 से ज्यादा लोग हमलों में मारे गए
पाकिस्तान की सरकार ने चुनाव में धांधली पर की है लीपापोती
इतना कुछ तो दुनिया के सामने आ सका, लेकिन जिसे पाकिस्तान की मौजूदा सरकार ने छिपा लिया उसका तो कुछ अता-पता ही नहीं है. चुनाव और नतीजों में जिस तरह का ड्रामा हुआ, उसे लेकर अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपियन यूनियन ने भी चिंता जाहिर की थी और चुनाव में धांधली की जांच की मांग की थी. बावजूद इसके सिर्फ चीन को ही ऐसा लगता है कि पाकिस्तान में चुनाव बहुत अच्छे से संपन्न हुए हैं, जो पूरी तरह निष्पक्ष हैं. इसलिए पाकिस्तान की अवाम बधाई की पात्र है.
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चीन के कर्ज के जाल में उलझा हुआ है पड़ोसी देश
चीन के नजरिये से पाकिस्तान में चुनाव लोकतांत्रिक तरीके से हुए हैं. चीन को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि दुनिया पाकिस्तान के चुनाव पर क्या कहती और सोचती है। इसलिए सवाल ये कि चीन को पाकिस्तान के चुनाव में इतना Interest क्यों है, तो इसकी बड़ी वजह पाकिस्तान में चल रहे चीन के प्रोजेक्ट और पाकिस्तान को दिया गया अरबों रुपयों का कर्ज है.
CPEC में चीन ने किया है भारी निवेश
चीन एक ऐसा देश है, जिसने दुनिया के करीब दो दर्जन देशों को अपने कर्जजाल में फंसा रखा है. चीन उन्हीं देशों को कर्ज देने में प्राथमिकता देता है, जिनके जरिये अपने हित साध सके. इन्हीं में पाकिस्तान भी शामिल है. पाकिस्तान में अपने सबसे बड़े प्रोजेक्ट CPEC यानी China Pakistan Economic Corridor पर चीन काम कर रहा है. इस प्रोजेक्ट पर बीजिंग ने करीब 60 अरब डॉलर निवेश किये हैं.
चीन की जरूरत है पाकिस्तान में स्थिर सरकार
अगर पाकिस्तान में अस्थिर सरकार रहती है तो CPEC प्रोजेक्ट में अड़चनें आएंगी. इस प्रोजेक्ट से जुड़े चीनी इंजीनियर्स को कई बार कट्टरपंथी संगठन निशाना बना चुके हैं. ऐसे में अस्थिर सरकार आने से चीन को आर्थिक तौर पर नुकसान उठाना पड़ सकता है. यही वजह है कि चीन पाकिस्तान में हुए चुनाव को निष्पक्ष बता रहा है और चाहता है कि किसी तरह इस देश में सरकार का गठन हो.पाकिस्तान चुनाव में चीन के Interest की दूसरी वजह अरबों रुपये का वो कर्ज है, जो चीन ने पाकिस्तान को दिया है.
- पाकिस्तान पर इस समय 128 बिलियन डॉलर का कुल विदेशी कर्ज है, इसमें से एक तिहाई से ज्यादा पाकिस्तान ने चीन से लिया है.
- विश्व बैंक के Data के मुताबिक पाकिस्तान पर चीन का 46 बिलियन डॉलर का कर्ज है.
- जबकि अमेरिका में विलियम और मैरी यूनिवर्सिटी के एक Research Insititue Aiddata की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान पर चीनी कर्ज की राशि 77.3 बिलियन डॉलर है.
- 77.3 बिलियन डॉलर को रुपये में Convert करें तो ये राशि साढ़े 6 लाख करोड़ रुपये बनते हैं.
- चीन ने सबसे ज्यादा कर्ज पाकिस्तान को ही दिया है, दूसरे नंबर पर अंगोला है, जिसे 36.3 बिलियन डॉलर यानी 3 लाख करोड़ रुपये कर्ज दिया है.
- दुनिया के कई देश ऐसे हैं, जिन्होंने अपनी जीडीपी का 20 फीसदी तक कर्ज चीन से लिया हुआ है.
दूसरे देश नहीं दे रहे पाकिस्तान को कर्ज
पाकिस्तान के लिए साढ़े 6 लाख करोड़ रुपये इतनी मोटी रकम है, जिसे मौजूदा स्थिति में चुका पाना असंभव सा है. अगर पाकिस्तान में राजनीतिक संकट लंबे समय तक बना रहता है, तो इससे पाकिस्तान आर्थिक संकट में धंसता चला जायेगा। इससे चीन का पैसा भी फंस जायेगा। और ऐसा चीन किसी भी सूरत में नहीं चाहेगा। पाकिस्तान की वित्तीय हालत कितनी ख़राब है, इसका अंदाजा इन तथ्यों से लगा सकते हैं.
- पाकिस्तान को हाल के दिनों में सऊदी अरब से 5 बिलियन डॉलर का नया कर्ज लेना पड़ा है.
- पाकिस्तान ने UAE से 2 बिलियन डॉलर के नए कर्ज की मांग की है.
- इसके अलावा चीन से 2 बिलियन डॉलर और IMF से 1 बिलियन डॉलर कर्ज मांगा है.
पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता से चीन को हो सकता है नुकसान
पाकिस्तान में अस्थिर सरकार की वजह से चीन अपना पैसा फंसाना नहीं चाहेगा, क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में चीन को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है. श्रीलंका और जांबिया इसके ताजा उदाहरण हैं। श्रीलंका जब चीन का कर्ज चुकाने में नाकाम हुआ, तो चीन ने उसका Hambantota Port, 99 साल के लिए lease पर ले लिया। इसी तरह चीन ने पाकिस्तान का Gwadar Port, कई हाईवे और मोटरवे अपने पास गिरवी रखे हुए हैं। क्योंकि, पाकिस्तान तो चीन के लिए उसकी एक कॉलोनी की तरह है.
हालांकि, ऐसा करके चीन दिये गए कर्ज की पूर्ति करने में कुछ हद तक कामयाब तो हो जाता है. इससे उसकी छवि खराब होती है. इसलिए चीन नहीं चाहता है कि पाकिस्तान में राजनीतिक संकट बना रहे. और इसी वजह से चीन पाकिस्तान के चुनाव में इतनी ज्यादा दिलचस्पी दिखा रहा है.
चीन के लिए चुनाव और लोकतंत्र दोनों ही अपरिचित
लोकतंत्र, चुनाव, हंग असेंबली और राजनीतिक दल, ये सब चीन के लिए नया सा है. चीन में Single Party सिस्टम है, वहां ना मीडिया को सच दिखाने की आजादी है, ना ही निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग ही है. इसलिए चीन में लोकतांत्रिक चुनाव का कोई महत्व नहीं रह जाता. सोचिए, जिस देश में लोकतंत्र ही ना हो, उस देश को लोकतंत्र की खूबसूरती का क्या पता होगा. इसलिए पाकिस्तान में जिस तरह से धांधली और वोटों की चोरी करके चुनाव हुए और नतीजे आए. चीन को वो निष्पक्ष और साफ-सुथरे चुनाव लगते हैं.
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