नई दिल्ली और ढाका के बीच बढ़ता तनाव अब खुलकर सामने आने लगा है. बांग्लादेश की अंतरिम यूनुस सरकार ने भारत में आयोजित न्यायिक ट्रेनिंग कार्यक्रम में अपने 50 जजों की भागीदारी को रद्द कर दिया है. यह फैसला बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुरूप लिया गया.इस पूरे मामले पर अभी तक बांग्लादेश कि सरकार के तरफ से कोई कारण स्पष्ट नहीं किया है.
रद्द हुआ ट्रेनिंग कार्यक्रम
डेली स्टार की रिपोर्ट के अनुसार, ये जज मध्य प्रदेश की राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी और राज्य न्यायिक अकादमी में एक दिवसीय ट्रेनिंग में शामिल होने वाले थे. इसमें जिला एवं सत्र जज, अतिरिक्त जिला जज, और सहायक जज जैसे विभिन्न स्तरों के अधिकारी शामिल थे. ट्रेनिंग की सभी लागत भारत सरकार उठाने वाली थी.
राजनीतिक और सांप्रदायिक तनाव की झलक
दरअसल, भारत और बांग्लादेश के रिश्ते पिछले कुछ समय से तनावपूर्ण रहे हैं. अगस्त 2024 में शेख हसीना सरकार को सरकार से हंटने वाले छात्रों के आंदोलन के बाद मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार का गठन हुआ था. इसके बाद, बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर बढ़ते हमले और उनके पूजा स्थलों को निशाना बनाए जाने की घटनाओं ने भारत की चिंता बढ़ा दी थी.
बांग्लादेश सरकार की सफाई
बता दें, हाल ही में एक हिंदू भिक्षु की गिरफ्तारी और जमानत से इनकार करने पर भारत ने ढाका को आधिकारिक तौर पर चिंता जताई थी. विशेषज्ञों का मानना है कि इन घटनाओं ने न्यायिक ट्रेनिंग कार्यक्रम रद्द करने में भूमिका निभा सकती है.
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भारत-बांग्लादेश रिश्तों पर असर
विदेश मामलों के जानकार का मानना है कि यह रद्दीकरण दोनों देशों के बीच न्यायिक और सांस्कृतिक सहयोग पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है. भारत और बांग्लादेश के संबंध पहले ही मोहम्मद यूनुस सरकार के सत्ता में आने के बाद से नाजुक स्थिति में हैं.
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बांग्लादेश ने भारत में जजों की ट्रेनिंग पर लगाई रोक, सियासी रिश्तों में एक बार फिर दिखी दरार, जानें पूरी बात