डीएनए हिंदीः आज 15 नवंबर को दुनिया की आबादी 800 करोड़ (World Population) को पार गई है. अभी साल 2080 तक इसके रुकने का कोई आसार नहीं है. यूएन (UN) के अनुमान के मुताबिक अभी इस धरती पर 250 करोड़ और लोगों का भार थामने के बाद ही आबादी थमेगी. रिपोर्ट में ये भी बताया गया कि अमीर देशों मे जहां पैदा होने से कुल 6.6 करोड़ लोग बढ़े, वहीं प्रवासियों के बसने से आबादी में 8 करोड़ का इजाफा हुआ है.
कहां तक बढ़ेगी दुनिया की आबादी
दुनिया की बढ़ती आबादी पर हम सब के लिए चिंता की बात है. सुकून सिर्फ इस बात का मना सकते हैं कि आबादी बढ़ने की दर थोड़ी धीमी हुई है. साल 1950 के बाद पहली बार आबादी वृद्धि की दर 1 प्रतिशत सालाना से नीचे आई है. यूनाईटेड नेशन का अनुमान कहता है कि साल 2030 तक दुनिया की आबादी 850 करोड़ हो जाएगी. और साल 2050 तक हम 970 करोड़ हो जाएंगे. साल 2080 में जब दुनिया की आबादी 1040 करोड़ पहुंचने के बाद साल अगली सदी के शुरु होने यानि 2100 तक स्थिर बनी रहेगी.
अमीर देशों में आबादी से ज्यादा बढ़े प्रवासी
उंची आय वाले देशों में हमेशा से लोग अपने सपने पूरा करने जाना चाहते हैं. लोगों का ये प्रवासन कई देशों की आबादी को प्रभावित कर रहा है. साल 2000 से 2020 के बीच हाई इंकम देशों में अतंर्राष्ट्रीय प्रवासन (Migration) से 8 करोड़ से ज्यादा लोग आए हैं. दिलचस्प बात ये है कि कुल आबादी की वृद्धि 6.6 करोड़ रही है. कुल आबादी की वृद्धि जन्म और मौतों के अंतर से निकाली जाती है.
पाकिस्तान से हुआ सबसे ज्यादा पलायन
अलग अलग कारणों से दक्षिण एशिया से सबसे ज्यादा पलायन हुआ है. यूनाइटेड नेशंस के डाटा के अनुसार पाकिस्तान में सबसे ज्यादा 1.65 करोड़ लोग अमीर देशों का रुख कर चुके हैं. इसके बाद दूसरा नम्बर वेनुजुएला का है जहां से 48 लाख लोग बेहतर जीवन के लिए देश छोड़ चुके हैं. सीरिया से 46 लाख लोग बाहर गए हैं. वहीं भारत से 35 लाख, बांग्लादेश से 29 लाख, नेपाल से 16 लाख, म्यानमार और श्रीलंका से 10-10 लाख लोग अमीर देशों में चले गए हैं.
बढ़ती आबादी एक मौका भी
यूएन ने अपनी रिपोर्ट में ये भी कहा है कि बढ़ती आबादी खूब सारी समस्याओं के साथ आपके लिए कुछ मौके भी पैदा करती है. आबादी बढ़ने के साथ साथ आपकी कामकाजी आबादी में बढ़ोतरी होती है. ये बढ़ता हुआ जनधन आपके लिए आर्थिक विकास का मौके भी प्रदान करता है. रिपोर्ट के अनुसार सब दक्षिण अफ्रीका और एशिया, दक्षिणी अमेरिका और कैरेबियान देशों में जन्मदर में कमी आने के कारण कामकाजी आबादी में बढ़ोतरी हुई है. यूएन के मुताबिक 25-64 साल के आयुवर्ग को कामकाजी माना जाता है.
आबादी के वर्गों में ये परिवर्तन एक ऐसा सामयिक मौका है जहां पर कोई देश प्रति व्याक्ति विकास (Growth Per Capita) को बढ़ा सकता है. इसे ही डेमोग्राफिक डिविडेंड (Demographic Dividend) कहा जाता है. यूएन ने सलाह दी है कि इस समय का लाभ उठाने के लिए देशों को अपने मानव पूंजी (Human Capital) में निवेश करना चाहिए. नागरिकों को बेहतर शिक्षा और स्वास्थय प्रदान करने से उनकी उत्पादकता में वृद्धि होगी.
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विकसित देशों में जन्मदर नहीं इस कारण बढ़ रही आबादी, पाकिस्तान का है सबसे बड़ा योगदान