डीएनए हिंदी: रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध से दुनिया भर में तनाव की स्थिति है.अगर आने वाले कुछ दिनों में दोनों देशों के बीच शांति स्थापित नहीं होती है तो यह युद्ध खतरनाक स्थिति में पहुंच सकता है. इसके पीछे वजह रूस के राष्ट्रपति पुतिन के परमाणु युद्ध से जुड़े संकेत भी हैं. पुतिन पहले ही कह चुके हैं वह परमाणु बम का इस्तेमाल करने से भी नहीं चूकेंगे. अब इस पर अमेरिका ने भी जवाब दिया है. ऐसे में कब यह जंग, परमाणु युद्ध में बदल जाए कहा नहीं जा सकता.
परमाणु युद्ध पर क्या कहा अमेरिका ने ?
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) से सोमवार को पत्रकारों ने पूछा कि क्या अमेरिकी नागरिकों को न्यूक्लियर वॉर के लिए चितिंत होना चाहिए. इस पर राष्ट्रपति बाइडेन ने साफ जवाब दिया 'नहीं'. उन्होंने कहा कि अमेरिका नागरिकों को न्यूक्लियर वॉर को लेकर डरने की जरूरत नहीं है. इस बयान से न्यूक्लियर वॉर को लेकर अमेरिका की तैयारी का अंदाजा भी लगाया जा सकता है. हालांकि इससे पहले व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जेन साकी ने रूस के बयान पर कहा था कि परमाणु हथियारों के संदर्भ में इस तरह के भड़काउ बयानों से बचना चाहिए.
क्या कहा था रूस ने ?
पुतिन ने रविवार को शीर्ष रक्षा अधिकारियों के साथ एक बैठक के बाद कहा था, “नाटो के प्रमुख देशों के शीर्ष अधिकारी, 'हमारे देश के बारे में आक्रामक टिप्पणी कर रहे हैं. इसलिए मैं रक्षा मंत्री और जनरल स्टाफ के प्रमुख को रूसी सेना की डेटेरंट फोर्स को विशेष कॉम्बैट अलर्ट पर रखने का आदेश देता हूं'. इस शब्दावली का इस्तेमाल परमाणु हथियारों के संदर्भ में किया जाता है.
दोनों महाशक्तियों के पास कितने परमाणु हथियार भंडार हैं ?
आर्म्स कंट्रोल एसोसिएशन के अनुसार, रूस का कुल परमाणु भंडार संयुक्त राज्य अमेरिका से ज्यादा है. रूस के पास कुल परमाणु हथियार लगभग 6,250 और अमेरिका के पास करीब 5,500 हैं.आर्म्स कंट्रोल एसोसिएशन का आकलन है कि रूस के पास कुल 1458 वॉरहेड हैं. जिसमें से 527 अंतरमहाद्वीपीय बैलेस्टिक मिसाइलों और बाकी पनडुब्बी से छोड़े जाने वाली मिसाइलों और बमवर्षकों पर मौजूद हैं. वहीं अमेरिका के पास 1389 वॉरहेड हैं जो 665 अंतरमहाद्वीपीय बैलेस्टिक मिसाइलों पर और बाकी पनडुब्बी से छोड़े जाने वाली मिसाइलों और बमवर्षकों पर तैनात हैं.
क्या है दोनों देशों के बीच की New START संधि ?
सामरिक हथियारों को कम करने और सीमित करने के उपायों पर अमेरिका और रूस के बीच हुई संधि को को NEW START संधि के रूप में भी जाना जाता है. साल 2011 में हुई इस संधि के अनुसार दोनों देश अधिकतम 1550 वॉरहेड की तैनाती कर सकते हैं. इस संधि को साल 2021 में पांच साल के लिए आगे बढ़ाया गया है.
ये भी पढ़ें- ये हैं बीते 32 वर्षों में भारत के सबसे बड़े बचाव अभियान, इनका हो चुका Guiness book of World Record में दर्ज नाम
परमाणु हथियारों को लेकर क्या है महाशक्तियों की नीति ?
शीतयुद्ध के समय में रूस (Russia) ने परमाणु हथियारों के सदर्भ में ‘ No First Use’ नीति अपनाई थी. हालांकि 90 के दशक में रूस ने कहना शुरू किया कि वह किसी स्थानीय युद्ध के समय भी अपनी संप्रभुता और राष्ट्रीय अखंडता के खतरे में होने पर परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है. साल 2020 में पुतिन ने एक नई नीति का जिक्र किया जिसमें कहा गया कि रूस पर किसी गैर परमाणु हमले की सूरत में, रूस परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है. वहीं अमेरिका (USA) की परमाणु हथियारों की No First Use नीति नहीं है. ऐसे में दोनों देश बिना किसी परमाणु हमले के भी, किसी भी दुश्मन देश पर परमाणु हमला कर सकते हैं.ऐसे में स्थिति गंभीर होती नजर आ रही है.
रूस की नाराजगी किस बात को लेकर है?
पुतिन अमेरिका से लगातार इस बात को लेकर नाराज है कि यूरोप में इटली, जर्मनी, तुर्की, बेल्जियम और नीदरलैंड में मौजूद NATO बेस पर 100 के करीब न्यूक्लियर हथियारों का भंडार मौजूद है. अमेरिका रूस के और करीब इन हथियारों को तैनात करना चाहता है. हालांकि यह माना जाता है कि यूरोप में मौजूद परमाणु हथियारों को जमीन के अंदर स्टोर किया गया है और इन्हें इस्तेमाल करने के लिए इन्हे फाइटर जेट पर लोड करना होगा.
ये भी पढ़ें- Ukraine के खिलाफ युद्ध पर बोली रूसी जनता- यह पुतिन की सनक है, हम तो अमन चाहते हैं
हमसे जुड़ने के लिए हमारे फेसबुक पेज पर आएं और डीएनए हिंदी को ट्विटर पर फॉलो करें.
- Log in to post comments
Russian-Ukraine War: क्या परमाणु युद्ध की तरफ बढ़ रही है दुनिया? जानें क्या है अमेरिका और रूस की नीति