डीएनए हिंदी: World News in Hindi- इस समय दुनिया भर की निगाहें रूस पर लगी हुई हैं. दरअसल कहीं नहीं जाने वाले उत्तर कोरिया के शासक किम जोंग उन इस समय रूस के दौरे पर हैं. किम जोंग चार साल बाद कोरिया से बाहर निकले हैं. वे रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन से मिलने मास्को पहुंचे हैं. कम्युनिस्ट विचारधारा पर चलने वाले देशों के दोनों नेताओं की मुलाकात बुधवार को हुई है. दोनों के बीच ये मुलाकात वोस्तचिन कॉस्मोड्रॉम में हुई, जहां से रूस अपने स्पेस मिशन लॉन्च कर करता है. इस दौरान जहां पुतिन ने उत्तर कोरिया को हर तरीके का सैन्य सहयोग देने की बात कही है, वहीं किम जोंग उन ने पुतिन के यूक्रेन पर हमले को सही बताते हुए उनका समर्थन कर दिया है. दोनों नेताओं के इन बयानों को अमेरिका के खिलाफ एक नए गठजोड़ की तरह देखा जा रहा है. ऐसे में ये भी सवाल उठ रहे हैं कि अपने-अपने देश में तानाशाह जैसी स्थिति में राज कर रहे दोनों नेताओं के बीच इस दोस्ती का कारण क्या है और क्यों दोनों एक-दूसरे के इतने करीब आ रहे हैं कि रूस-उत्तर कोरिया की दोस्ती का नया पन्ना खुलता दिख रहा है. 

इन सभी सवालों के जवाब के लिए आपको 5 बातों की जानकारी होनी चाहिए, जो हम आपको बता रहे हैं.

1. ग्लोबल सिचुएशन के कारण आए हैं करीब

रूस और उत्तर कोरिया, दोनों ही कम्युनिस्ट विचारधारा के आधार पर चलने वाले देश हैं. ऐसे में दोनों के बीच नजदीकी का पहला आधार यही है, लेकिन इस कॉमन फैक्टर के बावजूद आज तक दोनों देशों में ज्यादा घनिष्ठता नहीं रही है. अब पुतिन और किम जोंग यदि एक-दूसरे के करीब आ रहे हैं तो इसका कारण मौजूदा ग्लोबल सिचुएशन है, जिसके चलते दोनों नेताओं को एक-दूसरे का साथ देकर एक गठजोड़ तैयार करने की जरूरत दिख रही है. दरअसल उत्तर कोरिया हो या रूस, दोनों की ही इमेज ग्लोबल लेवल पर दूसरे देशों को परेशान करने वाले की बनी हुई है. उत्तर कोरिया रोजाना दक्षिण कोरिया पर हमले की धमकी देता है, जबकि रूस ने पहले ही यूक्रेन के खिलाफ डेढ़ साल से 'Just Fight' शुरू कर रखी है. 

2. अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध और अमेरिका विरोध भी है दोस्ती का कारण

पुतिन हों या किम जोंग उन, दोनों ही कट्टर अमेरिका विरोधी माने जाते हैं. डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति रहने के दौरान दोनों देशों के बीच रिश्ते थोड़े नर्म हुए थे, लेकिन जो बाइडेन के प्रशासन ने किम पर शिकंजा कसने को ही तवज्जो दी है. इसी तरह पुतिन भी यूक्रेन पर हमले के बाद अमेरिका के निशाने पर हैं. अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने पुतिन को हराने के लिए यूक्रेन को खुलकर हथियारों की मदद भी दी है. उत्तर कोरिया और रूस, दोनों को ही कठोर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का भी सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में एक-दूसरे की इकोनॉमी संभालने के लिए भी उन्हें साथ आने की जरूरत दिख रही है. दोनों ही नेताओं को ये लगता है कि उनके करीबी रिश्ते उन्हें कई फायदे पहुंचा सकते हैं. चीन के साथ कॉमन फ्रेंडशिप भी दोनों देशों के करीब आने का आधार बन रही है. 

3. रूस को गोला-बारूद तो कोरिया को तकनीक की जरूरत

यूक्रेन के खिलाफ लड़ाई लंबी खिंचने के कारण रूस के पास गोला-बारूद की व्यापक कमी हुई है. दूसरी तरफ, उत्तर कोरिया की डिफेंस इंडस्ट्री बड़े पैमाने पर गोला-बारूद निर्माण करने की क्षमता रखती है. ऐसे में पुतिन की योजना यूक्रेन युद्ध के लिए उत्तर कोरिया से गोला-बारूद खरीदने की है. दूसरी तरफ, किम जोंग उन को भी अपनी डिफेंस इंडस्ट्री के लिए कई खास तरह की तकनीक की जरूरत है, जो रूस से उन्हें मिल सकती हैं. अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, किम जोंग उन की चाहत पुतिन से न्यूक्लियर पनडुब्बियां या उन्हें बनाने की तकनीक हासिल करना है, जो पहले से ही मिसाइल तकनीक में बेहद आगे बढ़ चुके प्योंगयांग को और ज्यादा मजबूत बना देगी. पुतिन को भी इससे रूसी हथियारों के लिए एक नया मार्केट मिलने की संभावना दिख रही है. एक-दूसरे की जरूरत को पूरा करने की ये क्षमता भी पुतिन और किम जोंग को करीब ला रही है. पुतिन ने किम जोंग से मुलाकात के बाद उत्तर कोरिया को हर तरह का सैन्य सहयोग देने की घोषणा भी की है. दोनों देशों के जल्द ही संयुक्त सैन्य अभ्यास करने की संभावना भी लग रही है.

4. उत्तर कोरिया की खाने की भूख मिटा सकता है रूस

उत्तर कोरिया के पास हथियारों की कमी नहीं है, लेकिन लगातार अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के कारण आयात में आ रही परेशानी ने उसके यहां खाद्यान्न संकट पैदा कर रखा है. चीन की तरह उत्तर कोरिया की खबरें भी बाहरी दुनिया तक बहुत ज्यादा नहीं पहुंचती हैं, लेकिन आम जनता के भूखों मरने की खबरें कई बार सामने आ चुकी हैं. दूसरी तरफ, यूक्रेन से युद्ध के बावजूद रूस के खाद्यान्न उत्पादन पर बहुत ज्यादा प्रभाव नहीं हुआ है. ऐसे में किम जोंग उन भी जानते हैं कि पुतिन से दोस्ती करने पर वे उत्तर कोरिया की जनता के पेट की भूख मिटाने का भी इंतजाम कर सकते हैं.

5. संयुक्त राष्ट्र में रूस की वीटो पॉवर भी दोनों की नजदीकी का कारण

उत्तर कोरिया पर संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद में लगे प्रतिबंधों पर रूस के भी हस्ताक्षर रहे हैं यानी इन्हें लागू करने में उसकी पूरी तरह सहमति रही है. लेकिन पिछले दिनों रूस ने इन प्रतिबंधों पर समर्थन से पीछे हटने के संकेत भी दिए हैं. BBC Hindi के मुताबिक, रूसी अख़बार 'मोस्कोव्स्की कॉस्मोलेट्स' ने पिछले हफ्ते एक लेख में कहा था कि मॉस्को ने सुरक्षा परिषद के उन प्रस्तावों पर अपने दस्तखत किए थे, लेकिन कोई बात नहीं एक दस्तखत को भी मिटाया जा सकता है. ये दावा रूस की विदेश और रक्षा नीति परिषद के चेयरमैन फ़्योदोर लुक्यानोव के हवाले से किया गया था. निश्चित तौर पर किम जोंग को यह बयान बेहद भाया होगा. रूस के पास संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में वीटो पॉवर है यानी उसके पास किसी भी प्रस्ताव को रोकने का ठीक वैसे ही अधिकार है, जैसे चीन परिषद में पाकिस्तानी आतंकियों के खिलाफ आने वाले प्रस्ताव को रोक देता है. किम जोंग को भी पता है कि पुतिन की दोस्ती के जरिये वे इस पॉवर का लाभ ले सकते हैं.

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Kim Jong Un vladimir Putin meet north korea Russia friendship ukraine war read all explained
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पुतिन और किम जोंग उन में कैसे और क्यों हो रही दोस्ती, 5 बातें जो आपको पता होनी च
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Kim Jong Un और Vladimir Putin के बीच मीटिंग हुई है.
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Kim Jong Un और Vladimir Putin के बीच मीटिंग हुई है.

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पुतिन और किम जोंग उन में कैसे और क्यों हो रही दोस्ती, 5 बातें जो आपको पता होनी चाहिए

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