डीएनए हिंदी: West Bengal News- आपने कई तरह का पैशन देखा होगा, लेकिन कभी सिलीगुड़ी के मिन्टू रॉय जैसा जुनून नहीं देखा होगा. मिन्टू रॉय ने बॉलीवुड फिल्म 'टाइटेनिक' देखी तो उन्हें इतनी भा गई कि उन्होंने डूबे हुए पानी के जहाज जैसा घर ही बनाने की ठान ली. पिछले 13 साल से सिलीगुड़ी में मिन्टू अपने सपने के पूरा करने के लिए रात-दिन मेहनत कर रहे हैं. अब उनका घर बनकर लगभग तैयार हो चुका है, जो पूरे इलाके में 'Titanic House' के नाम से फेमस है. अधूरा होने के बावजूद सिलीगुड़ी घूमने के लिए आने वाले टूरिस्ट्स के लिए भी यह अब एक नया अट्रेक्शन पॉइंट बन चुका है, जिसे देखने के लिए वे लोग मिन्टू के 'टाइटेनिक हाउस' पर पहुंच रहे हैं.
लोग सुनकर हंसते थे मिन्टू का ड्रीम
मिन्टू रॉय मूल रूप से पश्चिम बंगाल के नॉर्थ 24 परगना जिले के हेलैन्छा गांव के रहने वाले हैं. करीब 25 साल पहले वे अपने पिता मनरंजन रॉय के साथ सिलीगुड़ी आकर खेती करने लगे थे. सालों पहले जब वे कोलकाता में रहते थे तो उन्होंने टाइटेनिक फिल्म देखी थी. इसके बाद से ही उनका सपना इस फिल्म के जहाज जैसा घर बनाने का था. कोलकाता में उन्होंने बहुत सारे इंजीनियरों से अपने प्रोजेक्ट को लेकर बात की तो उन्होंने इसे अव्यवहारिक बताते हुए उनकी हंसी उड़ाई. किसी ने भी उनके विजन पर यकीन नहीं किया. इसके बाद मिन्टू अपने पिता के साथ सिलीगुड़ी के फासीवाड़ा इलाके में चले आए, लेकिन टाइटेनिक हाउस बनाने का सपना उनके मन में बसा रहा.
साल 2010 में शुरू किया निर्माण
साल 2010 में मिन्टू ने आखिरकार घर का निर्माण शुरू करा दिया. उन्होंने करीब 9.5 डेशिमल भूमि (करीब 42,00 वर्ग फुट) जगह पर अपने मकान को बनवाना शुरू कर दिया. मिन्टू का टाइटेनिक हाउस 39 फुट लंबा और 13 फुट चौड़ा है. उसकी ऊंचाई करीब 30 फुट है. दूर से देखने पर वह पानी के जहाज जैसा ही दिखता है. हालांकि मकान का स्ट्रक्चर बनकर लगभग पूरा हो चुका है. इसके बावजूद करीब 13 साल बाद भी उनका यह सपना अलग-अलग कारणों के चलते आज भी अधूरा है.
कभी पैसे की तंगी हुई तो कभी कारीगर भाग गए
मिन्टू अपने टाइटेनिक हाउस को बनाने में अब तक 15 लाख रुपये खर्च कर चुके हैं. उनका यह सपना अलग-अलग कारणों से अटकता रहा है. इस कारण ही 13 साल बाद भी वे इस टाइटेनिक हाउस को पूरा नहीं कर पाए हैं. कभी पैसे की तंगी ने मिन्टू के हाथ बांध दिए तो कभी कारीगर भाग गए. कारीगर भागने के बाद मिन्टू ने करीब 3 साल नेपाल में रहकर खुद कंस्ट्रक्शन कारीगर का काम सीखा और अब वे अपने सपने को अपने ही हाथों से पूरा कर रहे हैं. वे फसल उगाते हैं, फिर उसे बाजार में बेचते हैं. उससे मिलने वाले पैसे में से घर बनाने के लिए हिस्सा निकालकर काम आगे बढ़ाते हैं.
मां के नाम पर रखेंगे टाइटेनिक हाउस का नाम
मिन्टू का कहना है कि वे साल 2024 तक अपने घर का काम पूरा कर लेना चाहते हैं. उनका सपना इसके टॉप फ्लोर पर एक रेस्टोरेंट बनाने का है ताकि इसे देखने के लिए आने वाले लोग यहां बैठकर खाने-पीने का आनंद ले सकें और उनकी भी आय का जरिया खुल जाए. उनका कहना है कि घर के पूरा होने पर वे इसे अपनी मां का नाम देंगे. फिलहाल आसपास के लोग इसे 'टाइटेनिक हाउस' कहकर ही बुलाते हैं.
पहले भी कर चुके हैं कुछ जुनूनी ऐसा कारनामा
साल 2021 में मध्य प्रदेश में एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी को ताज महल की रिप्लिका जैसा घर बनाकर गिफ्ट किया था. यह घर बिल्कुल ताजमहल जैसा लगता है और उसका फर्श राजस्थान के विश्व प्रसिद्ध मकराना मार्बल से ही बनाया गया था, जिससे असली ताजमहल बना है.
उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के कसेर कलां गांव में भी रिटायर सरकारी क्लर्क फैजुल हसन कादरी ने अपनी बेगम की याद में हूबहू ताजमहल जैसा दिखने वाला मकबरा बनवाया था. करीब 23 लाख रुपये खर्च करने के बाद उनके पास पैसे नहीं बचने के चलते वह बीच में ही रह गया. ताजमहल जैसी बिल्डिंग तो तैयार है, लेकिन कादरी उस पर संगमरमर पत्थर नहीं चढ़वा सके.
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टाइटेनिक मूवी देखकर चढ़ा ऐसा पैशन, इस बंगाली ने बना दिया Titanic House