यानोमामी जनजाति दक्षिण अमेरिका के वेनेजुएला और ब्राजील के दूर-दराज के इलाकों में पाई जाती है. इस जनजाति के लोग विकास की आधुनिक धारा से काफी दूर हैं और अपनी पारंपरिक जीवनशैली को बनाए हुए हैं.
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दक्षिण अमेरिका की यानोमामी (Yanomami) जनजाति अमेरिका के वेनेजुएला और ब्राजील में पाई जाती है. वहीं यहां के लोग अपने मृतक परिजनों के शवों की राख से सूप बनाकर पीते हैं. इस परम्परा को यहां एंडोकैनिबेलिज्म के नाम से जाना जाता है
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इस जनजाति के लोग विकास की आधुनिक धारा दूर हैं और अपनी पारंपरिक जीवनशैली को बनाए हुए हैं. इन्हें 'यानम' या 'सेनेमा' के नाम से भी जाना जाता है. यह जनजाति आज भी आदिम परंपराओं का पालन करती है और इनकी जीवनशैली आधुनिक सभ्यता से बिल्कुल अलग है.
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यानोमामी जनजाति में जब किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है, तो उसे परंपरागत रूप से दफनाने या जला देने के बजाय, शव को पेड़ों की पत्तियों से ढककर कुछ समय के लिए रख दिया जाता है. करीब 30-40 दिन बाद, उस शव को पुनः निकाला जाता है और फिर उसे जलाया जाता है. शव को जलाने के बाद जो उसकी राख बचती है, उसे एकत्रित कर सूप में मिलाकर परिजन पीते हैं. इस परंपरा का पालन अपने मृतक परिजनों की आत्मा की शांति के लिए यानोमामी जनजाती करते हैं. उनके अनुसार, यह प्रक्रिया आत्मा को मोक्ष प्रदान करने और उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है.
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इस अजीब परंपरा के पीछे यानोमामी जनजाति की मान्यता है कि मृतक की आत्मा को तब तक शांति नहीं मिलती जब तक उनके शरीर के अवशेषों को परिवार के सदस्य ग्रहण नहीं कर लेते. उनके मुताबिक, यह प्रक्रिया मृत व्यक्ति की आत्मा को उनके परिजनों के साथ हमेशा के लिए जोड़ती है. जनजाति के लोग मानते हैं कि शव की राख को ग्रहण करने से आत्मा की रक्षा होती है और मृतक के प्रति उनके सम्मान की अभिव्यक्ति होती है.
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यानोमामी जनजाति की यह परंपरा दुनिया के अन्य हिस्सों से काफी अलग और असामान्य है. आधुनिक समाज के लिए यह परंपरा अजीब लग सकती है, लेकिन यानोमामी लोगों के लिए यह जीवन का एक अभिन्न हिस्सा है. यह परंपरा उनकी सांस्कृतिक पहचान और धार्मिक विश्वासों का प्रतीक है.