डीएनए हिंदी: कई जगहों पर सामान खरीदने या ऑटो-टैक्सी का किराया देने पर छुट्टे पैसे की समस्या आती है. कई बार ग्राहक या विक्रेता में से कोई एक अपने पैसे छोड़ देता है और यह सब सामान्य तौर पर चलता है. ऐसा ही एक मामला रेलवे के टिकट बुकिंग क्लर्क के साथ हुआ. यह मामला ऐसा हो गया कि सिर्फ 6 रुपये के लिए इस टिकट क्लर्क की नौकरी चली गई. बात इतनी थी कि इस टिकट बुकिंग क्लर्क ने टिकट बुकिंग के लिए दिए गए पैसों में 6 रुपये छुट्टे नहीं लौटाए थे.
यह मामला मुंबई का है. यह मामला अब बॉम्बे हाई कोर्ट तक पहुंचा है और हाई कोर्ट ने नौकरी से निकाले गए शख्स को राहत देने से इनकार किया है. हाई कोर्ट का मानना है कि ऐसा कोई सबूत नहीं है कि क्लर्क ने यह दर्शाया हो कि उसकी मंशा 6 रुपये लौटाने की होगी. क्लर्क पर लगे आरोपों को ठोस सबूतों के साथ साबित किया गया है ऐसे में राहत नहीं दी जा सकती है. हाई कोर्ट ने क्लर्क की याचिका खारिज करते हुए अप्रैल 2004 के आदेश को कायम रखा है.
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सिर्फ 6 रुपये के लिए चली गई थी नौकरी
बताया गया कि राजेश वर्मा 31 जुलाई 1995 में क्लर्क बने थे. विजिलेंस की टीम के दो जवान 30 अगस्त 1997 को राजेश के पास टिकट खरीदने आए. 500 का नोट दिया और टिकट 214 रुपये की थी. लौटाने थे कुल 286 लेकिन राजेश ने 280 रुपये ही लौटाए. इसी के बाद विजिलेंस की टीम ने छापेमारी कर दी और राजेश वर्मा के पास की एक आलमारी से 450 रुपये मिले और रेलवे कैश में कुल 58 रुपये कम मिले. इसके बाद कार्रवाई की गई और 31 जनवरी 2002 को राजेश वर्मा को नौकरी से निकाल दिया गया.
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राजेश वर्मा को रेलवे अथॉरिटी से कोई राहत नहीं मिली तो उन्होंने केंद्रीय प्रशासकीय न्यायाधिकरण (CAT) में आवेदन किया. कैट ने जवाब नहीं दिया तो हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी. हाई कोर्ट ने कहा कि राजेश वर्मा ने दया के लिए अर्जी दी और नए सिरे से नौकरी पर रखने का अनुरोध किया इसका मतलब है कि वह अपनी गलती स्वीकार करते हैं.
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रेल टिकट बुकिंग क्लर्क ने नहीं लौटाए थे 6 रुपये छुट्टे, चली गई नौकरी