डीएनए हिंदी: केरल के कासरगोड में श्री आनंदपद्मनाभ स्वामी मंदिर में प्रसिद्ध शाकाहारी मगरमच्छ बाबिया की रविवार को मौत हो गई. 75 साल की मगरमच्छ बबिया मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र थी. मंदिर के पुजारियों के मुताबिक, दिव्य मगरमच्छ अपना अधिकांश समय गुफा के अंदर बिताती थी और दोपहर में बाहर आती थी. स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, वह उस गुफा की रखवाली करती थी जिसमें भगवान गायब हो गए थे.

मंदिर के अनुसार, वह दिन में दो बार परोसे जाने वाले मंदिर के प्रसाद पर ही रहती थी.

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मंदिर परिसर के अंदर बाबिया की तस्वीरें व्यापक रूप से लगाई गई है. कोई नहीं जानता था कि बाबिया तालाब में कैसे आई और सालों तक मंदिर के भक्त यही सोचते रहे कि बबिया स्वयं भगवान पद्मनाभन की दूत है.

मगरमच्छ को लेकर लोगों का कहना है कि बाबिया कभी भी हिंसक हो गई या भक्तों पर हमला किया ऐसा कही नहीं हुआ. दो साल पहले मगरमच्छ ने मंदिर के गर्भगृह की सीढ़ियों को अपना रास्ता बनाया.

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मंदिर के बारे में कहा जाता है कि 1945 में एक ब्रिटिश सैनिक ने प्रांगण के अंदर एक मगरमच्छ को गोली मार दी थी और कुछ ही दिनों में एक और मगरमच्छ सामने आई, जिसका नाम बाद में बाबिया रखा गया.

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Kerala vegetarian crocodile dies used to guard the holy cave for years
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केरल की शाकाहारी मगरमच्छ की मौत, वर्षों से करती थी पवित्र तालाब की रखवाली
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Babiya crocodile
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केरल की शाकाहारी मगरमच्छ की मौत, वर्षों से करती थी पवित्र गुफा की रखवाली