डीएनए हिंदी: झारखंड के पलामू जिले में कलेक्टर के पद पर तैनात ए दोड्डे का एक साल काम करने के बाद तबादला हो गया. अपनी फेयरवेल पार्टी में उन्होंने अपनी सादगी और विनम्रता से सबका दिल जीत लिया. दोड्डा ने अपने सहकर्मियों से तोहफे लेने के बजाय उन्हें शॉल देकर सम्मानित किया. बुजुर्ग चपरासी का पैर छूकर आशीर्वाद लिया. अक्सर वरिष्ठ अधिकारियों के अपने मातहत पर रौब जमाने और अपशब्द कहने की खबरें आती हैं. दूसरी ओर दोड्डा जैसे अधिकारी भी हैं जिन्होंने अपने सहकर्मियों का इस तरह से सम्मान किया. सोशल मीडिया पर उनके व्यवहार की तारीफ हो रही है और उनकी विनम्रता से बाकी लोगों को सीखने तक की बात कही जा रही है. दोड्डा का तबादला दुमका में हो गया है.
दफ्तर से निकलते वक्त साथियों को कहा शुक्रिया
पलामू के अपने आखिरी दिन दफ्तर से निकलने से पहले ए दोड्डे ने सभी सहकर्मियों का शुक्रिया अदा किया और उन्हें अपनी तरफ से शॉल देकर सम्मानित किया. दूसरी ओर बुजुर्ग चपरासी नंदलाल से गले मिले और पैर छूकर आशीर्वाद लिया. इस दौरान उनके इस व्यवहार से सब लोग हैरान हो गए. दोड्डा के सहकर्मियों का भी कहना है कि वह बेहद विनम्र और हसमुंख रहने वाले व्यक्ति थे. उनके साथ काम करते हुए कभी भी उन्होंने पद का रौब या धौंस किसी पर नहीं दिखाया. सोशल मीडिया पर उनके व्यवहा की जमकर तारीफ हो रही है.
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आइएएस अधिकारी ए दोड्डे ने नंदलाल के पैर छूते वक्त जो कहा उसने वहां मौजूद बाकी लोगों का दिल छू लिया. दोड्डे ने कहा कि उनके पिता भी एक सरकारी विभाग में चपरासी का काम किया करते थे. इसलिए वह लोगों के अनुभव का सम्मान करते हैं और किसी के भी काम को छोटा या बड़ा नहीं मानते हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि मामूली परिवेश से निकलकर सफलता हासिल करने वाले दोड्डा की कहानी बहुत से लोगों के लिए प्रेरणा की मिसाल है. बड़े पद पर पहुंचने के बाद भी वह अपनी सादगी और विनम्रता नहीं भूले हैं.
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दोड्डा ने कहा, सबका सम्मान करना चाहिए
ए दोड्डा ने कहा कि मेरे पिता चपरासी थे और किसी भी दफ्तर में अधिकारियों की सबसे ज्यादा सहायता चपरासी ही करते हैं. वह पूरे दफ्तर को सुचारू रूप से चलाने में दिन-रात जुटे रहते हैं. इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि वरिष्ट अधिकारियों को अपने मातहत के काम का सम्मान करना चाहिए और उनसे अच्छा व्यवहार करना चाहिए. दोड्डा के इस व्यवहार की काफी तारीफ हो रही है और सोशल मीडिया पर लोग कह रहे हैं कि बड़े पद पर पहुंचकर भी वह अपनी जड़ें नहीं भूले हैं.
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आईएएस का हुआ ट्रांसफर तो बुजुर्ग चपरासी के छू लिए पैर, कही दिल जीतने वाली बात