विश्व बैंक के वर्किंग पेपर में कहा गया है कि ग्रामीण और शहरी गरीबी में 2011-2019 के दौरान 14.7 और 7.9% की गिरावट आई है. देखा जाए तो भारत में गरीबी पिछले एक दशक में कम हुई है. 2 साल के कोविड महामारी के बाद गरीबी में कमी वाले आंकड़े अर्थव्यवस्था के लिए बेहतर संकेत जरूर हैं.
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विश्व बैंक पॉलिसी रिसर्च के वर्किंग पेपर में भारत में गरीबी घटने की बात सामने आई है. भारत में चरम गरीबी में 2011 की तुलना में 2019 में 12.3% की कमी आई है. गरीबी का आंकड़ा 2011 में 22.5% से घटकर 2019 में 10.2% हो गया है. गरीबी में ग्रामीण क्षेत्रों में तुलनात्मक रूप से तेज गिरावट आई है. अर्थव्यवस्था के लिहाज से यह अच्छे संकेत हैं.
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अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की ओर से भी गरीबी कम होने की दिशा में अच्छी खबर आई है. आईएमएफ की ओर से प्रकाशित वर्किंग पेपर में भी कहा गया था कि भारत ने चरम गरीबी को लगभग समाप्त कर दिया है. साथ ही, राज्य की ओर से दिए जाने वाले खाद्य हैंडआउट्स के माध्यम से 40 वर्षों में उपभोग असमानता अपने निम्नतम स्तर पर है.
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शहरी भारत की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी में कमी अधिक आई है. ग्रामीण गरीबी 2011 में 26.3% से घटकर 2019 में 11.6% हो गई है. शहरी क्षेत्रों में यह गिरावट इसी अवधि के दौरान 14.2% से घटकर 6.3% हो गई है. विश्व बैंक के वर्किंग पेपर में कहा गया है कि ग्रामीण और शहरी गरीबी में 2011-2019 के दौरान 14.7 और 7.9 प्रतिशत अंक की गिरावट आई है. भारत में गरीबी पिछले एक दशक में कम हुई है लेकिन उतनी नहीं जितनी पहले सोचा गया था.
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स्टडी में कहा गया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी में सुधार की बड़ी वजह है कि छोटी जोत वाले किसानों की स्थिति में भी बदलाव आया है. अध्ययन के अनुसार, छोटे आकार की जोत वाले किसानों ने अपनी आय में पहले की तुलना में अच्छा इजाफा महसूस किया है. स्टडी के मुताबिक, 'सबसे छोटी जोत वाले किसानों के लिए वास्तविक आय में दो सर्वेक्षण (2013 और 2019) के बीच वार्षिक रूप से 10% की वृद्धि हुई है. जबकि सबसे बड़ी जोत वाले किसानों के लिए 2% की वृद्धि हुई है.'
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विश्व बैंक का पेपर काफी अहम है, क्योंकि भारत के पास हाल की अवधि का कोई आधिकारिक अनुमान नहीं है. अंतिम व्यय सर्वेक्षण 2011 में राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (NSSO) की ओर से जारी किया गया था. उस वक्त देश ने गरीबी और असमानता के आधिकारिक अनुमान भी जारी किए थे. खास बात यह है कि 8 साल के आंकड़ों से यह स्पष्ट हुआ है कि भारत में गरीबों की संख्या में कमी आई है और यह अर्थव्यवस्था और विकास दर के लिए अच्छे संकेत हैं.