आदिवासी साहित्य सिर्फ हिंसा झेल रहे प्रतिरोधी जीवन का बयान नहीं : लानुसांगला त्जुदिर

Jaipal-Julius-Hanna sahitya samaroh: आदिवासी लोग केवल दुख और संघर्ष को जीवन का पर्याय नहीं मानते. वे शांतिप्रिय, सहजीवी दुनिया के पक्षधर हैं और अपने साहित्य में इसी को रचनात्मक काल्पनिक कौशल के साथ प्रस्तुत करते हैं. ये बातें नागालैंड से आईं आओ-नागा साहित्यकार और प्रकाशक लानुसांगला त्जुदिर ने कहीं.

आदिवासी जीवन की पैरोकार कविताएं, पढ़ें कवि-एक्टिविस्ट वंदना टेटे की तीन रचनाएं

Tribal Life: आदिवासी कवि-एक्टिविस्ट वंदना टेटे की कविताओं, लेखों में आदिवासी जीवन और उनका समाज खूब उभर कर आता है. देश भर के साहित्यिक व अकादमिक संगोष्ठियों में दिए गए उनके वक्तव्य आदिवासी जीवन दर्शन के रूप में पहचाने गए.

इन 3 रचनाकारों को मिलेगा जयपाल-जुलियुस-हन्ना साहित्य सम्मान, 26 नवंबर को होगा समारोह

Tribal Literature: ‘जयपाल-जुलियुस-हन्ना साहित्य सम्मान’ के लिए अरुणाचल की डॉ. ताबिङ तुनुङ, महाराष्ट्र के संतोष पावरा और पश्चिम बंगाल के अलीपुरद्वार की डॉ. पूजा प्रभा एक्का का चयन किया गया है. बता दें कि आदिवासी भाषा, लेखन और साहित्य को प्रोत्साहित करने के लिए इस अवार्ड की स्थापना पिछले साल की गई है.

अनुच्छेद 370 के बाद 371 पर भी खतरा? UCC से क्यों आशंकित हैं पूर्वोत्तर के लोग, समझिए पूरा मामला

Uniform Civil Code North East: यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर पूर्वोत्तर के राज्यों के जनजातीय लोगों में एक तरह की आशंका फैली है कि उनके रीति-रिवाज इससे खत्म हो जाएंगे.

UCC Row: आदिवासी क्यों कर रहे हैं समान नागरिक संहिता का विरोध, किन बातों पर है ऐतराज?

UCC Row: छत्तीसगढ़ में जनजातीय समूह यूनिफॉर्म सिविल कोड का विरोध कर रहे हैं. सीएम भूपेश बघेल ने पूछा कि अगर यूसीसी लागू किया गया तो जनजातीय समुदायों की संस्कृति और परंपराओं का क्या होगा.