डीएनए हिंदी: मोबाइल पर अपनी क्रिकेट टीम बनाइए और लाखों रुपये जीतिए. सुनने में बेहद लुभावनी लगने वाली ऐसी ही टैगलाइन से लुभाने वाली ऑनलाइन गेमिंग ऐप्स (Online Game Apps) पर अब सरकारी शिकंजा कसने की तैयारी है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक सरकारी पैनल ने भारत में ऑनलाइन गेम्स के लिए एक रेगुलेटरी बॉडी बनाने की सिफारिश की है. ये रेगुलेटरी बॉडी ऐसी गेमिंग ऐप्स पर नजर रखेगी, जो स्किल या लक बाय चांस पर आधारित हैं. साथ ही इस पैनल ने इन गेमिंग ऐप्स के जुए के अड्डे में तब्दील होने से रोकने और प्रतिबंधित फॉर्मेट्स को ब्लॉक करने के लिए कठोर नियम भी बनाने की सिफारिश की है.

Reuters की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के शीर्ष अधिकारियों के इस पैनल ने कई महीनों की कवायद से देश में ऑनलाइन गेमिंग सेक्टर को रेगुलराइज करने के लिए ड्राफ्ट तैयार किया है. इस बहुप्रतीक्षित रिपोर्ट से देश में हजारों करोड़ की इंडस्ट्री बन चुके इस सेक्टर के भविष्य की दिशा तय होने की संभावना है. 

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31 अगस्त को सरकार को सौंपी जा चुकी है रिपोर्ट

रॉयटर्स के मुताबिक, यह गोपनीय ड्राफ्ट रिपोर्ट 31 अगस्त को सरकार को सौंपी जा चुकी है. ड्राफ्ट में IT मंत्रालय के तहत एक नई रेगुलेटरी बॉडी के गठन की सिफारिश की गई है, जो यह तय करेगी कि कौन से ऑनलाइन गेम्स स्किल या गेम के तौर पर क्वालिफाई करते हैं. इसके बाद उन सभी के नियमन और कानूनी दायरे तय किए जाएंगे.

करीब 108 पेज की रिपोर्ट में पूरा लीगल फ्रेमवर्क पेश किया गया है. इस रिपोर्ट में स्पष्ट कहा गया है कि देश को नए संघीय ऑनलाइन गेमिंग (Digital India Act) कानून की जरूरत है, जो सरकार को प्रतिबंधित गेमिंग फॉर्मेट्स के खिलाफ सजा देने और ब्लॉक करने की शक्ति वाले प्रावधानों के साथ ही उनके नियमन की फ्लेक्सिबिल्टी दे सके. पैनल ने यह स्पष्ट किया है कि यह लीगल सभी तरह के स्किल गेम्स पर लागू होगा, चाहे वे फ्री हों या फिर पे-टू-प्ले फॉर्मेट के तहत सेवाएं दे रहे हैं.

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चेतावनी भी दी, कई गेम्बलिंग वेबसाइट हो गई हैं पॉपुलर

पैनल ने साफतौर पर गेम्बलिंग के बजाय केवल ऑनलाइन स्किल गेम्स को ही मान्यता देने की सिफारिश की है, जिन्हें सरकार हैंडल करे. पैनल ने यह भी नोट किया है कि बहुत सारी गैरकानूनी ऑफशोर बेटिंग व गेम्बलिंग वेबसाइट भारतीय यूजर्स में बेहद पॉपुलर हो गई हैं. इससे बचाव के लिए पैनल ने प्रस्तावित डिजिटल इंडिया कानून में प्रतिबंधित गेम्स की लिस्ट भी शामिल करने की सिफारिश की है.

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IT मंत्रालय तैयार करेगा अब फाइनल रिपोर्ट

पैनल की इस ड्राफ्ट रिपोर्ट के आधार पर अब केंद्रीय IT मंत्रालय एक फाइनल रिपोर्ट तैयार करेगा. इसके बाद यह रिपोर्ट मंजूरी के लिए कैबिनेट सचिवालय को भेजी जाएगी. हालांकि यह सब काम कब तक पूरा हो जाएगा, इसकी कोई डेडलाइन तय नहीं की गई है. 

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आइए अब जानते हैं कि क्यों पड़ी है इस नियमन की जरूरत...

40,000 करोड़ की इंडस्ट्री बनने का है अनुमान

भारत में मोबाइल गेमिंग इंडस्ट्री बेहद तेजी से ग्रोथ कर रही है. PitchBook के डाटा के मुताबिक, साल 2021 के दौरान भारत में पैसे खर्च कर गेम खेलने वाले करीब 9.5 करोड़ लोग चिह्नित किए गए थे. आंकड़ों के मुताबिक, मौजूदा समय में देश में हर साल करीब 1.5 बिलियन डॉलर (करीब 12 हजार करोड़ रुपये) का बिजनेस फिलहाल ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री कर रही है. इस बिजनेस पर सरकार को कोई राजस्व नहीं मिलता है. इस बिजनेस के अगले तीन साल में यानी साल 2025 तक बढ़कर 5 बिलियन डॉलर (करीब 40,000 करोड़ रुपये) सालाना तक पहुंचने का अनुमान है. 

इंडियन ट्रेड ग्रुप फिक्की (FICCI) और कंसल्टिंग फर्म EY की साल 2020 की रिपोर्ट में बताया गया था कि ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री ने भारत में साल 2019 में 65 अरब रुपये का बिजनेस किया था. इसमें करीब 46 अरब रुपये यानी 71 फीसदी हिस्सेदारी रियल मनी की थी.

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विदेशी निवेशक ले रहे हैं दिलचस्पी

भारतीय ऑनलाइन गेमिंग ऐप्स के मार्केट में अब विदेशी निवेशकों की भी तेजी से दिलचस्पी बढ़ी है. पिछले दिनों में टाइगर ग्लोबल (Tiger Global) और सिक्युओइया कैपिटल (Sequoia Capital) जैसे विदेशी निवेशकों ने ड्रीम11 (Dream11), मोबाइल प्रीमियर लीग (Mobile Premier League या MPL) जैसे मशहूर fantasy cricket  गेमिंग स्टार्टअप्स में निवेश किया है. 

टॉप इंडियन क्रिकेटर्स के ब्रांड एंडोर्समेंट की बदौलत रियल मनी गेमिंग ऐप्स में निवेशको की दिलचस्पी और ज्यादा बढ़ी है. PitchBook डाटा के मुताबिक, ड्रीम11 की वेल्यु करीब 8 बिलियन डॉलर (करीब 60 हजार करोड़ रुपये) और मोबाइल प्रीमियर लीग की वेल्यू करीब 2.5 बिलियन डॉलर (करीब 19 हजार करोड़ रुपये) है.

विदेशी निवेशकों के आने के बाद ऑनलाइन गेमिंग बिजनेस में यूरोपीय देशों की जुआ खेलाने वाली वेबसाइट्स के बैकडोर एंट्री करने की संभावना बढ़ गई थी. इसके चलते भी इस बिजनेस को रेगुलराइज किया जा रहा है.

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ब्लू व्हेल जैसे जानलेवा गेम्स के कारण बढ़ी चिंता भी कारण

ऑनलाइन गेम्स इंडस्ट्री में बड़ी तेजी से ऐसे गेम्स के एंट्री करने से भी चिंता बढ़ी है, जो टास्क पूरा कर स्टार बनने के नाम पर बच्चों को सुसाइड या अन्य कोई खतरनाक कारनामा करने के लिए उकसा रही हैं. ब्लू व्हेल गेम के कारण ऐसी बहुत सारी घटनाएं सामने आई हैं. इसके अलावा बच्चों में ऑनलाइन गेम्स की लत शराब व नशीली दवाओं की तरह बड़े पैमाने पर बढ़ने के कारण भी इस सेक्टर के लिए नियम-कायदे तय करने जरूरी माने गए थे. 

इससे बचाव के लिए कुछ 'de-addiction measures' लागू करने की आवश्यकता मानी गई थी. इनमें गेम खेलने के दौरान समय का वार्निंग मैसेज व एडवाइजरी यूजर को दिखाना और रियल मनी ऐप्स में पैसा जमा करने या निकालने की एक सीमा तय करना शामिल था.

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Online Gaming Apps की नहीं चलेगी मनमानी, जानिए सरकारी पैनल की सिफारिशें
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Online Gaming Apps की नहीं चलेगी मनमानी, जानिए सरकारी पैनल की सिफारिशें