डीएनए हिंदी: फोन की अहमियत और ज़रूरत बताने के लिए कोई लंबी भूमिका बांधने की जरूरत नहीं क्योंकि इसके बिना एक पल की कल्पना करना भी बेहद मुश्किल है. हमारे हर छोटे से छोटे और बड़े से बड़े काम में हाथ बटाने वाला हमारा फोन पूरे दिन चलता रहे इसलिए सबका ध्यान इसकी बैट्री पर रहता है. यह एक ऐसी चीज़ है जिसकी चिंता हमें हर वक्त रहती है.

यूजर्स को इसी टेंशन से फ्री करने के लिए इन दिनों कंपनियां ऐसे फोन लेकर आ रही हैं जिनका बैट्री बैकअप करीब पूरे दिन का होता है. हां लेकिन इन्हें चार्ज करने में समय लगता है. वहीं इसके साथ ही पिछले कुछ दिनों से मार्केट में फास्ट चार्जिंग का कॉन्सेप्ट आया है. कई स्मार्ट फोन के साथ फास्ट चार्जर्स या डैश चार्जर मिलने लगे हैं. इनसे फोन एक घंटे में फुल चार्ज हो जाता है.

क्या है फास्ट चार्जिंग की साइंस ?

जैसा कि नाम से पता चलता है फास्ट चार्जिंग की सुविधा से उपयोगकर्ता अपने फोन को कम समय में फुल चार्ज कर सकते हैं. यह एक ऐसी प्रोसेस है जिसमें स्मार्ट फोन को ज्यादा पावर सप्लाई की जाती है. चार्जिंग के दौरान स्मार्ट फोन की बैट्री को मिलने वाले वॉट (Watts) की संख्या बढ़ा दी जाती है.

कैसे काम करती है फास्ट चार्जिंग ?

स्टेज 1 - कॉन्सटेंट करंट: कंरट हाई लेवल पर रहता है इसमें कोई उतार-चढ़ाव नहीं होता लेकिन वोल्टेज धीरे-धीरे बढ़ती है. इस स्टेज में फोन को तुंरत ज्यादा पावर सप्लाई की जाती है.

स्टेज 2 - सैचुरेशन: यह वो पॉइंट होता है जब वोल्टेज सबसे हाई होती और करंट कम होता है.

स्टेज 3 - ट्रिकल/टॉपिंग: इस स्टेज में बैट्री फुल चार्ज हो चुकी होती है और पावर धीरे-धीरे कम होने लगती है.

फास्ट चार्जिंग भी एक नॉर्मल चार्जिंग प्रोसेस है. फर्क केवल इतना है कि चार्जिंग केबल के जरिए फोन तक जो इलेक्ट्रिक पावर (एम्पेयर) कन्वर्ट करके भेजी जाती है वो ज्यादा होती है. एक आम चार्जर 2 से 4.2 वोल्ट का होता है. वहीं फास्ट चार्जर 5 से 12 वोल्ट का होता है.

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कैसे काम करते हैं फास्ट चार्जर, क्या है इनकी साइंस?
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फास्ट चार्जिंग की साइंस
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फास्ट चार्जिंग की साइंस

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