डीएनए हिंदी: Delhi Metro Latest News- गाजियाबाद और नोएडा वालों के लिए एक अच्छी खबर है. आपस में सटे इन दोनों शहरों के बीच की दूरी अब सड़कों के साथ ही मेट्रो लाइन से भी खत्म होगी, जिससे रोजाना ऑफिस आने-जाने के लिए जाम में फंसने का चक्कर खत्म हो जाएगा. दरअसल गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (GDA) और उत्तर प्रदेश हाउसिंग बोर्ड (Uttar Pradesh Housing Board) ने नोएडा और गाजियाबाद के बीच मिलकर मेट्रो लाइन बनाने का निर्णय लिया है. यह नई मेट्रो लाइन नोएडा इलेक्ट्रॉनिक सिटी में खत्म होने वाली दिल्ली मेट्रो की मौजूदा ब्लू लाइन का ही विस्तार होगा, जो इंदिरापुरम और वसुंधरा से होते हुए साहिबाबाद तक पहुंचेगी. इससे मोहननगर से रोजाना नोएडा के लिए आने वाले हजारों लोगों को लाभ होगा और इस रास्ते का जाम भी पूरी तरह खत्म हो जाएगा. इस रूट की डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) तैयार करने का जिम्मा दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (DMRC) को दिया गया है, जिसने काम शुरू कर दिया है.
GDA और हाउसिंग बोर्ड लगाएंगे आधा-आधा पैसा
Zee News की रिपोर्ट के मुताबिक, इस नई मेट्रो लाइन को बनाने में आने वाला खर्च GDA और यूपी हाउसिंग बोर्ड के बीच 40-40 फीसदी बांटा जाएगा, जबकि 20 फीसदी हिस्सा केंद्र सरकार देगी. साहिबाबाद में रैपिड रेल का मौजूदा स्टेशन ही इस नई मेट्रो लाइन का भी आखिरी स्टेशन होगा. इससे रैपिड रेल का ट्रैक भी नोएडा के साथ सीधे मेट्रो लाइन से जुड़ जाएगा. फिलहाल दिल्ली मेट्रो की ब्लू लाइन यमुना बैंक स्टेशन से दो अलग-अलग ट्रैक में बंट जाती है. एक ट्रैक नोएडा इलेक्ट्रॉनिक सिटी तक आता है, जबकि दूसरा ट्रैक गाजियाबाद के वैशाली में खत्म होता है. वैशाली वाले ट्रैक को भी रैपिड रेल ट्रैक के साथ दिल्ली के आनंद विहार में जोड़ने की तैयारी की जा रही है. इससे दिल्ली-मेरठ रैपिड रेल से आने वाले लोग आसानी से दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में पहुंच सकेंगे. साथ ही रैपिड रेल से सफर करने को बढ़ावा मिलने से दिल्ली की सड़कों पर भी ट्रैफिक का बोझ कुछ हद तक कम होगा.
फंडिंग के कारण अटकी हुई थी योजना
नोएडा-गाजियाबाद को मेट्रो लाइन के जरिये जोड़ने की योजना कई साल से अधर में है. उत्तर प्रदेश सरकार को इस योजना के खर्च में 50 फीसदी हिस्सा देना था, जबकि केंद्र सरकार को 20 फीसदी खर्च करना था. बाकी 30 फीसदी खर्च GDA, हाउसिंग बोर्ड और नगर निगम को उठाना था, लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार ने इस प्लान को खारिज कर दिया था. अब जीडीए और हाउसिंग बोर्ड के बीच हुई एक बैठक में नए फंडिंग पैटर्न पर सहमति बन गई है.
1,517 करोड़ रुपये के खर्च का अनुमान
GDA उपाध्यक्ष आरके सिंह के मुताबिक, मेट्रो लाइन के विस्तार पर करीब 1,517 करोड़ रुपये के खर्च का अनुमान लगाया गया है. हालांकि असल खर्च DMRC से नई DPR मिलने के बाद ही पता चलेगा. गाजियाबाद के जिला मजिस्ट्रेट का भी पद संभाल रहे आरके सिंह ने जीडीए और हाउसिंग बोर्ड में बराबर खर्च बांटे जाने को बिल्कुल सही बताया. उन्होंने कहा, यह कॉरिडोर जीडीए प्रशासित इंदिरापुरम और हाउसिंग बोर्ड प्रशासित वसुंधरा से गुजरेगा. इसलिए यह उचित है कि दोनों एजेंसियां बराबर खर्च करें.
GDA लेगा 500 करोड़ का कर्ज
आर्थिक तंगी से जूझ रहे GDA को इस मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए करीब 500 करोड़ रुपये के कर्ज की जरूरत होगी, जिसके लिए वह एनसीआर प्लानिंग बोर्ड से कर्ज लेने की योजना बना रहा है. हालांकि जीडीए पहले ही NCR Planning Board से हिंडन एलिवेटेड रोड प्रोजेक्ट के लिए 800 करोड़ रुपये का कर्ज ले चुका है. फिर भी उसे उम्मीद है कि बोर्ड उसका नए कर्ज का अनुरोध भी स्वीकार कर लेगा.
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