डीएनए हिंदी: गूगल से इस समय सीसीआई से लेकर भारत सरकार की नियमों को लेकर ठनी है और इस बीच अब भारत में एक नया ऑपरेटिंग सिस्टम लॉन्च हुआ है जो कि 'भरोस' (BharOS) के तौर पर सामने आया है. इसके कई परीक्षण किए जा चुके हैं जो कि सफल रहे हैं. केद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव और धर्मेंद्र प्रधान ने भी इसका परीक्षण किया है. अश्विनी वैष्णव ने कहा है कि यह एक अच्छी शुरुआत है और इस सफर में आगे जाकर मुश्किलें आएंगी और वैश्विक ताकते हैं मुश्किलें पैदा करने की कोशिश करेंगी.

बता दें कि आईआईटी मद्रास की इन्क्यूबेटेड फर्म ने इस भरोस  को विकसित किया है. इस मोबाइल सिस्टम की खासियत यह है कि इसे कॉमर्शियल ऑफ दर शेल्फ हैंडसेट पर भी इन्स्टॉल किया जा सकता है. केंद्रीय मंत्री  ने इस भरोस पर विश्वास जताया है और इसे प्रयास को अब सफल बनाने की भी योजनाएं हैं. 

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क्यों है खास है यह BharOS

BharOS एक मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम है जिसका मकसद यूज़र्स को उनके डिवाइस की सिक्योरिटी और प्राइवेसी पर ज़्यादा कंट्रोल देना है. BharOS में कोई ब्लोटवेयर या डिफॉल्ट ऐप्स शामिल नहीं है, जिससे यूज़र्स को ज्यादा स्टोरेज स्पेस मिलता है. नया OS प्राइवेट ऐप स्टोर सेवाओं (PASS) तक भी पहुंच प्रदान करेगा, जो विशेष संस्थाओं से ट्रस्टेड ऐप प्रदान करते हैं.

खास बात यह है कि इस भरोस सॉफ्टवेयर  में बिना किसी डिफॉल्ट ऐप्स के, यूजर्स को किसी ऐसे ऐप का इस्तेमाल करने के लिए भी मजबूर नहीं किया जाता है, जिस पर वे भरोसा नहीं कर सकते हैं. BharOS एंड्रॉयड की तरह नेटिव ओवर द एयर (NOTA) अपडेट प्रदान करता है, जिसका मतलब है कि सॉफ्टवेयर अपडेट डिवाइस पर ऑटोमैटिक रूप से डाउनलोड और इंस्टॉल हो जाएंगे.

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Android से कैसे अलग हैं BharOS

BharOS  एंड्रॉइड ओपन सोर्स प्रोजेक्ट पर बेस्ड है, इसलिए यह एक तरह से एंड्रॉइड जैसा ही है और आईओएस से काफी अलग है. Android और BharOS के बीच एकमात्र अंतर यह है कि BharOS में बाद में Google की कोई भी सर्विस शामिल नहीं है, जिससे यूजर्स अपनी पसंद के किसी भी एप्लिकेशन को डाउनलोड कर सकते हैं.

BharOS बिना किसी प्री-इंस्टॉल्ड एप्लिकेशन के भी आता है, जो यूजर्स को एपीके फाइल डाउनलोड करने का ऑप्शन देता है जो इंटरनेट पर आसानी से पाई जा सकती हैं. BharOS की डिफॉल्ट ब्राउजिंग और मैसेजिंग ऐप्स डकडकगो और सिग्नल थर्ड पार्टी सर्विसेज हैं.  BharOS “नेटिव ओवर द एयर” (नोटा) अपडेट देता है, जो डिवाइस को सिक्योर रखने में मदद करता है. Google Play सर्विस के अभाव में BharOS चलाने वाले डिवाइस पर स्पेसिफिक प्राइवेट ऐप स्टोर सर्विस (पास) से ट्रस्टेड ऐप डाउनलोड किए जा सकते हैं.

Android और iOS से भी ज्यादा सिक्योर BharOS

BharOS वैसे सभी Android ऐप्स चला सकता है, और इस तरह यह iOS की तुलना में Android इकोसिस्टम के ज्यादा करीब है. यह स्पष्ट नहीं है कि ऑपरेटिंग सॉफ़्टवेयर पब्लिक के लिए कब अवेलेबल होगा, और क्या यह रेगुतर यूजर्स के लिए उपलब्ध होगा या नहीं. 

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वहीं कंपनी की प्रेस रिलीज में इसके मेकर्स ने कहा कि वे अपने ओएस से भारत के 100 करोड़ स्मार्टफोन यूजर्स को बेनिफिट दे सकते हैं. इसके मेकर्स का यह भी कहना है कि BharOS एंड्रॉइड और आईओएस दोनों की तुलना में अधिक सिक्योर है और यह प्रत्येक डिवाइस की बैटरी लाइफ को बेहतर बना सकता है.

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क्या है ये BharOs? Android और iOS से कितना अलग है ये नया ऑपरेटिंग सिस्टम
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