डीएनए हिंदी:  लोकप्रिय माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर निजता की गोपनीयता का उल्लंघन करने का आरोप है. वहीं इस मामले में आज ट्विटर के अधिकारी संसदीय समिति के सामने पेश हुए जिसकी अध्यक्षता सांसद शशि थरूर के पास है.  ट्विटर पर उपयोगकर्ता डाटा की गोपनीयता, उल्लंघनों की संभावना और जाटको नाम के एक पूर्व कर्मचारी द्वारा लगाए गए अनियमितताओं के आरोपों सहित कई मुद्दों पर सवाल उठाया गया था.

टेक कंपनी के अधिकारियों की टीम ने कांग्रेस सांसद शशि थरूर के नेतृत्व वाली सूचना और प्रौद्योगिकी के लिए स्थायी समिति को बताया कि यह सख्त डाटा सुरक्षा मानदंडों का पालन करती है और इसके अधिकांश कर्मचारियों के पास उपयोगकर्ता डाटा तक पहुंच नहीं है. पूर्व अधिकारी जाटको ने आरोप लगाया कि भारत सरकार ने ट्विटर को कंपनी में अपना एक एजेंट नियुक्त करने के लिए मजबूर किया था. वहीं इसको लेकर टेक दिग्गज ने स्पष्ट किया कि भारत सरकार ऐसी कोई मांग नहीं की थी.

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नहीं लीक हुआ कोई डाटा

सूत्रों ने बताया कि सदस्य ट्विटर टीम से पता लगाना चाहते थे कि कहीं डेटा लीक तो नहीं हुआ. समझा जाता है कि मौजूद ट्विटर टीम ने सदस्यों को बताया कि सोशल मीडिया दिग्गज द्वारा कोई डेटा लीक नहीं हुआ है. इसके अलावा सदस्यों ने आगे ट्विटर टीम से पूछा कि क्या उपयोगकर्ताओं का डाटा किसी विशेष रूप से या उनमें से कुछ के लिए उपलब्ध था.  ट्विटर ने जानकारी दी कि भारत में किसी भी कर्मचारी के पास उपयोगकर्ता डाटा तक पहुंच नहीं है.

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डाटा नियमों के उल्लंघन पर क्या नियम 

इस कमेटी के सदस्यों ने ट्विटर से पूछा कि क्या उनके पास डाटा के किसी भी उल्लंघन को नियंत्रित करने के लिए कोई तंत्र है, जिस पर ट्विटर के प्रतिनिधियों ने जवाब दिया कि डाटा का उल्लंघन नहीं था. सूत्रों के अनुसार यह सवाल भी पूछा गया था कि क्या ऐसे उदाहरण हैं जहां उपयोगकर्ताओं ने गोपनीय रूप से ट्विटर के डाटा संरक्षण अधिकारी से संपर्क किया था. इसके साथ ही पैनल के सदस्यों ने यह भी विवरण मांगा कि भारत में ट्विटर के लिए कितने कर्मचारी काम कर रहे थे और कितने विशेष रूप से आईटी अनुभाग में और डेटा प्रबंधन के लिए सुरक्षा टीम में थे?

जानकारी के मुताबिक कमेटी के कई सदस्यों का मानना है कि ट्विटर के अधिकारी "संतोषजनक" जवाब नहीं दे सके. वहीं अब कुछ सवालों के जवाब ट्विटर अब लिखित में देगा. सूत्रों ने कहा कि 50 मिनट से अधिक की चर्चा और ठोस जानकारी देने में 'अक्षमता' के बाद, पैनल ने एक सप्ताह के भीतर लिखित जवाब भेजने को कहा है. समिति के समक्ष मौजूद ट्विटर के अधिकारियों शगुफ्ता कामरान, ट्विटर के निदेशक, सार्वजनिक नीति और सरकार के साथ-साथ अन्य अधिकारी शामिल थे. पैनल के सदस्यों ने माइक्रोब्लॉगिंग साइट से उनके प्लेटफॉर्म द्वारा कथित डाटा रिसाव के बारे में भी पूछे गए प्रश्न पूछे थे.

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कंपनी पर लगे थे गंभीर आरोप 

आपको बता दें की कंपनी के पूर्व अधिकारी ज़टको ने दावा किया था कि केंद्र सरकार ने ट्विटर पर सरकारी अधिकारी कर्मचारी के रूफ में नियुक्त करने का दबाव बना रही थी. हालांकि इन आरोपों से ट्विटर ने स्पष्ट तौर पर इनकार किया है.

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Twitter big statement parliamentary committee also clarified data security policy
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Twitter ने संसदीय समिति में दिया बड़ा बयान, डाटा सुरक्षा नीति पर भी दी सफाई
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Twitter ने संसदीय समिति में दिया बड़ा बयान, डाटा सुरक्षा नीति पर भी दी सफाई