डीएनए हिंदी: भारत में जब भी प्रीमियम एसयूवी कार (Premium SUV Cars) जिक्र होता है तो पहला नाम लोगों के दिमाग में जो आता है, वो टोयोटा फॉर्च्यूनर (Toyota Fortuner) का ही है. इसे भारत में एक स्टेटस सिंबल तक के तौर पर देखा जाता है. कंपनी की सबसे ज्यादा बिकने वाली इस एसयूवी में सभी तरह के प्रीमियम फीचर्स मिलते हैं. हालांकि यह कार प्रीमियम कीमत में भी आती है. इसकी कीमत (Fortuner Onroad Price) की बात करें तो इसका बेस मॉडल 32.59 लाख रुपये से शुरू होता है. वहीं टॉप मॉडल करीब 50.34 लाख रुपये का पड़ता है. दिलचस्प बात यह है कि कंपनी इतनी महंगी कार बेचने के बावजूद इससे राई के बराबर मुनाफा कमा पाती है जो कि करीब 50000 रुपये का माना जाता है.
दरअसल, टोयोटा ने अपनी प्रीमियम कार टोयोटा फॉर्च्यूनर (Toyota Fortuner) से अपने मुनाफे को लेकर बड़ा खुसाला किया है कि कंपनी एक एसयूवी बेचने पर सिर्फ करीब ₹50,000 कमाती है, जबकि डीलरों को एक एसयूवी बेचने पर लगभग ₹1 लाख मिलते हैं. इस मामले में एक बड़ी खबर यह है कि इस कार से सबसे ज्यादा कमाई सरकार की होती है क्योंकि दावा यह किया जा रहा है कि इस कार पर सरकार करीब 18 लाख रुपये तक कमा लेती है.
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Tax का है बड़ा खेल
अब सवाल यह उठता है कि आखिर कंपनी से ज्यादा पैसा सरकार कैसे कमा रही है. इसका बड़ा कारण टैक्स माना जाता है. इसके जरिए केंद्र और राज्य की सरकारें मोटी कमाई करती है. रिपोर्ट के मुताबिक जीएसटी दायरे के तहत एक वाहन पर दो अलग-अलग कॉम्पोनेंट्स के साथ टैक्स लगाया जाता है. ऐसे में टैक्स भार में 28 प्रतिशत जीएसटी और 22 प्रतिशत जीएसटी मुआवजा सबटैक्स शामिल है.
ऐसे में टोयोटा फॉर्च्यूनर के लिए यह पैसा करीब 5 लाख और 7 लाख रुपये से अधिक है. कार की ऑन-रोड कीमत में रजिस्ट्रेशन, रोड टैक्स, डीजल मॉडल के लिए ग्रीन सेस और फास्ट टैग जैसे घटक शामिल होते हैं. यह सारा पैसा सरकारी खजाने में जाता है. इसके चलते सरकार करीब 18 लाख रुपये तक कमा लेती है. आम आदमी को लगता है कि कार की कीमत कंपनियों ने बढ़ा रखी है लेकिन उसकी असल वजह कार कंपनी नहीं बल्कि भारत का टैक्स सिस्टम है जिससे चीजों की कीमत दोगुनी होती जा रही है.
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कंपनी को 50 हजार का ही होता है फायदा
अब बात कंपनी की करें तो कार के बनाने से लेकर बिक्री तक के प्रोसेस में 3 स्टेज होती हैं. इनमें मैन्युफैक्चरर, डीलर और सरकार का मुनाफा जुड़ा रहता है. ऐसे में सबसे कम पैसा कंपनी के हिस्से ही आता है. एक बड़ा हिस्सा सरकार लेती है तो दूसरा हिस्सा डीलर्स खा जाते हैं जिसके बाद कंपनी के हिस्से सबसे कम पैसा आता है.
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50 लाख की मिलती है फॉर्च्युनर लेकिन Toyota की कमाई केवल 50 हजार, समझिए क्या है बड़ा खेल