डीएनए हिंदी: उत्तर प्रदेश की रामपुर लोकसभा सीट (Rampur Lok Sabha Seat) पर हुए उपचुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार घनश्याम सिंह लोधी (Ghanshyam Singh Lodhi) ने सपा के आसिम रजा को हरा दिया. लोधी ने आसिम रजा को तकरीबन 42 हजार वोटों से शिकस्त दी. घनश्याम लोधी राजनीति के माहिर खिलाड़ी माने जाते हैं. उनकी राजनीति बीजेपी से शुरू हुई थी. फिर कल्याण सिंह के साथ पार्टी से अलग हुए और बाद में बसपा में शामिल हो गए.
घनश्याम लोधी ने अपने राजनीतिक सफर को हर पार्टी के साथ प्रयोग किया है. 2007 में जब बसपा सुप्रीमो मायावती विधानसभा चुनाव जीतकर मुख्यमंत्री बनी तो उन्होंने मौके की नजाकत को देखते हुए अपना दल बदल लिया और बसपा में शामिल हो गए. यहां उन्हें एमएलसी बनाया गया. फिर वर्ष 2009 में एमएलसी रहते हुए बसपा के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ा. हालांकि इस चुनाव में उन्हें सपा प्रत्याशी अभिनेत्री जयाप्रदा से हार का सामना करना पड़ा और वह तीसरे नंबर पर रहे.
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Azam Khan के करीबी थे घनश्याम लोधी
इसके बाद वे कल्याण सिंह की पार्टी में पहुंचे. फिर 2011 समाजवादी पार्टी का दामन थामकर आजम खान के करीबी बन गए. बताया जाता है कि आजम खान के साथ उनका गहरा सियासती रिश्ता रहा है. उनकी छत्र-छाया में घनश्याम लोधी ने अपनी सियासत को आगे बढ़ाया और सूबे की राजनीति में अपना अलग मुकाम हासिल किया. इसकी बानगी 2016 में देखने को मिली जब घनश्याम लोधी को स्थानीय निकाय से विधान परिषद भेजने के लिए आजम खान ने पूरी ताकत झोंक दी थी.
हेलिकॉप्टर से मंगवाया था पार्टी का सिंबल
आजम खान ने घनश्याम सिंह लोधी के लिए सपा द्वारा पहले से तय एमएलसी उम्मीदवार का टिकट कटवा दिया और इनके नाम का ऐलान कर दिया. इतना ही नहीं उनके लिए पार्टी का सिंबल लखनऊ से हेलिकॉप्टर के जरिए रामपुर मंगवाया तब घनश्याम लोधी ने अपना नामांकन दाखिल किया था. बताया जाता है कि घनश्याम लोदी को MLC कैंडिडेट बनाए जाने से सपा के कई बड़े नेताओं में नाराजगी थी. मुलायम सिंह भी लोधी को टिकट नहीं देना चाहते थे, लेकिन आजम खान के दवाब में उन्हें यह करना पड़ा.
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2022 में बीजेपी में हुए थे शामिल
एमएलसी बनने के बाद घनश्याम लोधी आजम खान के राइट हैंड बन गए. लेकिन कहते ने राजनीति में कोई किसी का सगा नहीं होता. समय बदलने के साथ आजम खान और घनश्याम लोधी के बीच दूरियां बढ़ने लगी. लोधी का MLC का 6 वर्ष का कार्यकाल खत्म होता इससे ठीक 2 महीने पहले 2022 में उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया. बीजेपी ने भी उस मौके को भुनाया और घनश्याम लोधी को इसी सीट पर आजम खान के प्रत्याशी के खिलाफ उतार दिया.
आजम खान के करीबी से हुआ मुकाबला
इस सीट पर घनश्याम लोधी का मुकाबला उस प्रत्याशी से हुआ जो आजम खान का दूसरा सबसे करीबी माना जाता है. हम बात कर रहे हैं आसिम रजा की. आसिम रजा घनश्याम लोधी के भी करीबी माने जाते हैं. दोनों ही नेता आजम खान की छत्र-छाया में राजनीति में आगे बढ़े. हालांकि इस चुनाव में यह खासियत रही कि दोनों प्रत्याशियों ने एक-दूसरे के खिलाफ मर्यादा बनाए रखी और व्यक्तिगत प्रहार नहीं किए. बीजेपी कैंडिडेट घनश्याम लोधी ने सपा के आसिम रजा को 42,192 वोटों से हराया.
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Rampur Seat Result: कौन हैं घनश्याम सिंह लोधी? जिनके लिए सपा नेतृत्व से भिड़ गए थे आजम खान