डीएनए हिंदी: शिरोमणि अकाली दल ने उस वक्त बड़ा फैसला लिया था जब पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह (Beant Singh) की हत्या के दोषी बलवंत सिंह राजोआना की बहन को कमलदीप कौर राजोआना को संगरूर लोकसभा उपचुनाव में अपना उम्मीदवार बनाया. लेकिन वह अपनी जमानत भी नहीं बचा सकीं. जिसके बाद शिरोमणि अकाली दल (बी) का यह ट्रंप कार्ड भी फेल हो गया.
हालांकि, शिअद (B) ने दावा किया कि कमलदीप कौर संयुक्त पंथिक उम्मीदवार थीं, लेकिन चुनाव से पहले भी पंथिक उम्मीदवारों के बीच मतभेद तब सामने आए जब शिअद (ए) के अध्यक्ष सिमरनजीत सिंह मान ने संगरूर संसदीय चुनाव से अपना नामांकन पत्र दाखिल किया. इससे सुखबीर सिंह बादल के नेतृत्व में शिरोमणि अकाली दल (बी) को भी बड़ा झटका लगा, जिन्होंने 'एकीकरण' अभियान शुरू किया था और शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) परिसर में तेजा सिंह समुंदरी हॉल में एक बैठक भी की थी. उनका मकसद संगरूर सीट पर एक संयुक्त चेहरा उतारना था.
यह भी पढ़ें- इमरान खान ने बतौर पीएम किया था गबन, तोहफे में मिली घड़ियां बेचकर कमाए करोड़ों
लेकिन जब नतीजे सामने आए तो Shiromani Akali Dal (Amritsar) के मुखिया सिमरनजीत सिंह मान जीत ने सबको चौंका दिया. इससे ज्यादा आश्चर्य की बात यह रही कि संयुक्त पंथिक उम्मीदवार कमलदीप कौर राजोआना को सिर्फ 44,428 मिले. जबकि सिमरनजीत सिंह को 2,70,722 वोट हासिल हुए. राजोआना से ज्यादा तो बीजेपी उम्मीदवार केवल सिंह ढिल्लों को मत हासिल हुए. उन्हें 66,298 वोट मिले.
अकाली को 2022 के चुनाव में मिली थीं 3 सीटें
शिअद (बी) के पतन की शुरुआत 2017 के विधानसभा चुनाव से हुई. अकाली ने 2012 के विधानसभा चुनाव में 56 सीटों पर जीत दर्ज की थी लेकिन 2017 के चुनाव में वह सिर्फ 15 सीटों पर ही सिमट कर रह गई. अब 2022 के विधानसभा चुनाव में अकाली सिर्फ तीन सीटें ही जीत पाई. जिससे पार्टी को बढ़ा झटका लगा. इस चुनाव में पार्टी के दिग्गज नेताओं को भी हार का सामना करना पड़ा.
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों पर अलग नज़रिया, फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.
- Log in to post comments
संगरूर लोकसभा उपचुनाव हारने के बाद अब अकाली के पास क्या हैं रास्ते?