डीएनए हिंदी: क्रिकेट इतिहास में सबसे बड़ी प्रतिस्पर्धा में से एक 'एशेज' सीरीज इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के लिए नाक का सवाल रही है. यह प्रतिष्ठा इस हद तक दाव पर लगी है कि एशेज 2021 में इंग्लैंड की करारी हार के बाद इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड ने मुख्य कोच क्रिस सिल्वरवुड को बाहर का रास्ता दिखा दिया. सिल्वरवुड ने एशेज में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टीम के 4-0 की हार के बाद पद छोड़ दिया है. उन्हें नियुक्त करने वाले प्रबंध निदेशक एशले जाइल्स पर भी गाज गिर चुकी है. उन्हें प्रबंध निदेशक के रूप में पद छोड़ना पड़ा है. 

एंड्रयू स्ट्रॉस बने एमडी
सिल्वरवुड ने कहा, इंग्लैंड का मुख्य कोच बनना एक पूर्ण सम्मान की बात है और मुझे अपने खिलाड़ियों और कर्मचारियों के साथ काम करने पर बहुत गर्व है. एशले जाइल्स के बाद एंड्रयू स्ट्रॉस इंग्लैंड क्रिकेट के एमडी बनाए गए हैं. इंग्लैंड के पूर्व कप्तान एंड्रयू स्ट्रॉस ने अंतरिम आधार पर जाइल्स की जगह ली है. वह मार्च में वेस्टइंडीज के आगामी दौरे के लिए एक कार्यवाहक कोच नियुक्त करेंगे. इंग्लैंड के होबार्ट में अंतिम एशेज टेस्ट हार के साथ ऑस्ट्रेलिया में उनका लगातार 15वां टेस्ट बिना जीत के रहा. 

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रूट के भविष्य पर सवाल
सिल्वरवुड की कोचिंग में इंग्लैंड ने पिछली 8 में से 7 सीरीज हारी हैं. 46 वर्षीय सिल्वरवुड कभी 'प्रमुख चयनकर्ता' थे. टेस्ट कप्तान के रूप में रूट का भविष्य भी ऑस्ट्रेलिया के लिए एशेज में शर्मनाक हार के बाद संदेह के घेरे में आ गया है. ऑलराउंडर बेन स्टोक्स को उनकी जगह लेने के लिए विकल्प माना जा रहा है. 

ब्रिटिश मीडिया ने बताया है कि बल्लेबाजी कोच ग्राहम थोर्प को भी उनके कर्तव्यों से मुक्त किया जा सकता है. सिल्वरवुड के बाहर होने के बाद इंग्लैंड अब 2019 के बाद से अपने तीसरे मुख्य कोच की तलाश में है. 

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क्या है एशेज का इतिहास?

एशेज की कहानी तब शुरू हुई जब ऑस्ट्रेलिया ने अगस्त 1882 में इंग्लैंड का दौरा किया. इंग्लैंड का वर्ल्ड क्रिकेट पर एकतरफा राज था. उसे शिकस्त देना किसी भी टीम के लिए नामुमकिन था. ऑस्ट्रेलिया ने 28 से 29 अगस्त 1882 तक ओवल में खेले गए इकलौते टेस्ट में करिश्मा कर दिखाया. ऑस्ट्रेलिया ने इस टेस्ट मैच में इंग्लैंड पर 7 रन से जीत दर्ज की और इतिहास में अपना नाम दर्ज करा दिया. सीरीज में इंग्लैंड की हार ने उस समय खेल जगत को झकझोर कर रख दिया. द स्पोर्टिंग टाइम्स अखबार ने 'इंग्लिश क्रिकेट की मौत' शीर्षक से स्टोरी पब्लिश कर दुनियाभर के क्रिकेटप्रेमियों का ध्यान खींचा था. 

अखबार ने कहा कि अंग्रेजी क्रिकेट को जला दिया जाएगा और चिता की राख को ऑस्ट्रेलिया भेज दिया जाएगा. जब इंग्लैंड ने अगली बार ऑस्ट्रेलिया का दौरा किया तो अखबार की उस हेडलाइन को सच कर दिखाया. 

ऑस्ट्रेलिया में एक महिला ने स्टंप्स पर लगाई जाने वाली बेल्स जला दीं और राख को छोटे कलश में डाल दिया गया. यह टेराकोटा से बना एक छोटा कलश था. 10.5 सेंटीमीटर ऊंचे इस कलश से बनाई ट्रॉफी पर ही दिसंबर 1882 में एशेज की शुरुआत हो गई. 

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30 दिसंबर 1882 से पहली बार ऑस्ट्रेलिया में यह सीरीज खेली गई जिसमें इंग्लैंड से 2—1 से जीत दर्ज की. 1890 तक इंग्लैंड इसमें अजेय रही लेकिन 1892 में उसे हार का सामना करना पड़ा. हर दो साल में खेली जाने वाली एशेज के तहत अब तक 72 सीरीज हो चुकी हैं जिसमें ऑस्ट्रेलिया ने 34 सीरीज जीती हैं जबकि इंग्लैंड ने 32 सीरीज में जीत दर्ज की है. छह सीरीज ड्रॉ हो चुकी हैं. 

अब जीतने वाले खिलाड़ियों को जश्न मनाने के लिए एक रेप्लिका दी जाती है क्योंकि असली ट्रॉफी बहुत नाजुक होती है. 100 साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी मूल कलश लंदन के लॉर्ड्स क्रिकेट मैदान में मैरीलेबोन क्रिकेट क्लब (एमसीसी) संग्रहालय में मौजूद है. 

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Why did Ashes become a matter for England? Why did coach have to resign after defeat?
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क्यों इंग्लैंड के लिए नाक का सवाल बन गई Ashes?
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क्यों इंग्लैंड के लिए नाक का सवाल बन गई Ashes?