डीएनए हिंदी: मैरी कॉम, सरिता देवी, जेनी आरएल और लेखा केसी के बाद भारतीय महिला मुक्केबाजों की सूची में एक और नाम जुड़ गया है- निकहत जरीन. निकहत पांचवीं भारतीय महिला मुक्केबाज़ हैं जिन्होंने विश्व चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल जीता है.गुरुवार को इस्तांबुल में महिला विश्व चैंपियनशिप के फ्लाइवेट (52 किग्रा) वर्ग के एकतरफा फाइनल में निकहत थाईलैंड की जिटपोंग जुटामस को 5-0 से हराकर विश्व चैंपियन बनीं. पीएम मोदी से लेकर देश-दुनिया की तमाम हस्तियों से उन्हें बधाई और शुभकामनाएं मिलीं.
रिजल्ट सुनते ही खुशी से कूद पड़ीं, आंसू भी नहीं रुके
25 साल की उम्र में विश्व चैंपियन बनना कितनी बड़ी उपलब्धि है ये तो सभी जानते हैं, मगर निकहत का ये सफर तय कैसे हुआ इसके बारे में कम ही लोगों को पता होगा. जिन्होंने निकहत को जीत दर्ज करते देखा होगा, उनकी आंखों में जरूर उनका खुशी से कूद पड़ना और खुशी के आंसुओं में सराबोर हो जाना हमेशा के लिए कैद हो गया होगा. वो दृश्य कुछ ऐसा था- जरीन ने दाएं हाथ से दमदार मुक्के बरसाते हुए अंतिम दौर में मुकाबला अपने पक्ष में मोड़ लिया था. फिर जैसे ही विजेता की घोषणा हुई जरीन अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख सकीं. वह खुशी में कूदने लगी और उनके आंसू भी नहीं रुके. जुटामस के खिलाफ यह जरीन की दूसरी जीत है. इससे पहले वह 2019 में थाईलैंड ओपन में भी जुटामस को हरा चुकी हैं.
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ट्विटर पर ट्रेंड होने का सपना
जीत के बाद जब मीडिया से रूबरू हुईं तो निकहत को एक पत्रकार ने बताया कि वह ट्विटर पर ट्रेंड कर रही हैं. ये जानकर भी उनकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा. कहने लगीं, 'क्या सच में मैं ट्विटर पर ट्रेंड कर रही हूं, मेरा सपना रहा है कि एक दिन मैं ट्विटर पर ट्रेंड करूं और अगर मैं आज कर रही हूं तो ये जानकर मुझे बहुत खुशी हो रही है.'
मैरी कॉम से भी हो चुका है विवाद
निकहत जरीन मैरी कॉम से भी भिड़ चुकी हैं. दरअसल बॉक्सिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया ने छह बार की वर्ल्ड चैंपियन एमसी मैरीकॉम को ओलंपिक में बिना ट्रॉयल के ही 51 किलोग्राम भारवर्ग में भारत का प्रतिनिधि बना दिया था. इस वजह से ट्रायल में निकहत को मैरीकॉम के खिलाफ उतरने भी नहीं दिया था. इस पर समिति के चेयरमैन राजेश भंडारी ने कहा था कि वह निकहत को फ्यूचर के लिए सेव कर रहे हैं. इस बात की जानकारी जब निकहत को हुई तो उन्होंने इसके खिलाफ आवाज़ उठाई. उन्होंने खेल मंत्री किरण रिजिजू को चिट्ठी लिखी और ट्रायल की मांग की. ट्रायल हुए तो एमसी मैरीकाम जीती, लेकिन उन्होंने मैच के बाद निकहत से हाथ भीं नही मिलाया था.
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पिता ने दी बॉक्सिंग की ट्रेनिंग
बॉक्सिंग की दुनिया से पहला परिचय निकहत के पिता ने करवाया था. बताया जाता है कि एक साल तक उनके पिता मोहम्मद जमील अहमद ने ही उन्हें ट्रेनिंग दी थी. निखत का जन्म 14 जून 1996 को तेलंगाना के निजामाबाद में हुआ था. उन्होंने 13 साल की उम्र में ही बॉक्सिंग शुरू कर दी थी. निखत ने करियर का पहला मेडल 2010 में नेशनल सब जूनियर मीट में जीता था. इसके अगले ही साल 15 साल की उम्र में उन्होंने देश को इंटरनेशनल गोल्ड मेडल जिताया था. उन्होंने तुर्की में 2011 में महिला जूनियर और यूथ वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप के फ्लाइवेट में स्वर्ण जीता था.
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Nikhat Zareen: मैरी कॉम को दी थी चुनौती, विश्व चैंपियन बनने के बाद पूछा, ' क्या मैं सचमुच ट्विटर पर ट्रेंड कर रही हूं?'