राजस्थान रॉयल्स (RR) गुरुवार को जयपुर में मुंबई इंडियंस (MI) से 100 रनों से हारने के बाद IPL 2025 प्लेऑफ की दौड़ से बाहर होने वाली दूसरी टीम बन गई. अब तक उन्होंने जो 11 मैच खेले हैं, उनमें से उन्होंने केवल तीन जीते हैं. मुंबई इंडियंस के हाथों शर्मनाक हार के बाद विश्लेषण का दौर शुरू हो गया है. कारण तलाशे जा रहे हैं कि वो राजस्थान रॉयल्स जो यशस्वी जायसवाल. वैभव सूर्यवंशी, जोफ्रा आर्चर जैसे खिलाड़ियों के कारण आईपीएल 2025 टाइटल की प्रबल दावेदार मानी जा रही थी आखिर इतनी बुरी स्थिति में कैसे आ गई?
यूं तो आईपीएल 2025 में राजस्थान रॉयल्स की परफॉरमेंस के तहत सवाल कई हैं. लेकिन जो बातें आकाश चोपड़ा और अभिनव मुकुंद ने की हैं उन्हें भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. चोपड़ा और मुकुंद को लगता है कि RR की समस्याएं उनके रिटेंशन और नीलामी रणनीति से शुरू हुई हैं.
ध्यान रहे कि RR ने संजू सैमसन, यशस्वी जायसवाल, रियान पराग, ध्रुव जुरेल, शिमरोन हेटमायर और संदीप शर्मा को 120 करोड़ के कुल पर्स में से 79 करोड़ में रिटेन किया. जोस बटलर, ट्रेंट बोल्ट, आर अश्विन, युजवेंद्र चहल और आवेश खान कुछ बड़े नाम थे जिन्हें उन्होंने जाने दिया और नीलामी में वापस नहीं खरीदा.
ईएसपीएन क्रिक इन्फो टाइम आउट पर बात करते हुए चोपड़ा ने इस कहा कि, 'मैं सोच रहा हूं कि एक बार जब उन्होंने (RR ने )ऑल-इंडियन बैटिंग लाइन-अप के साथ जाने का फैसला किया, जिसमें सैमसन सबसे अनुभवी और सबसे उम्रदराज थे, और निचले क्रम में शिमरॉन हेटमायर - एकमात्र विदेशी बल्लेबाजी विकल्प - क्या यह एक व्यवहार्य विकल्प भी है?
चोपड़ा को लगा कि आरआर ने जुरेल (14 करोड़) और हेटमायर (11 करोड़) को बनाए रखने के लिए बहुत अधिक खर्च किया, जिसने उन्हें एक अच्छा गेंदबाजी आक्रमण तैयार करने में बाधा पहुंचाई. उन्होंने जोफ्रा आर्चर, वानिंदु हसरंगा और महेश थीक्षाना को खरीदा, लेकिन तीनों का सीजन औसत से नीचे रहा.
बातचीत में इस बात पर भी बल दिया गया कि आरआर नीलामी की मेज पर एक और कमी को पूरा करने में विफल रहा, वह था ऑलराउंडर की कमी. इसका मतलब था कि, इम्पैक्ट प्लेयर नियम के बावजूद, उनके पास अक्सर बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों में गहराई की कमी थी.
चोपड़ा ने कहा, 'इम्पैक्ट प्लेयर के बावजूद छठा बॉलिंग विकल्प न रखने वाली एकमात्र टीम राजस्थान रॉयल्स थी।' 'अब रियान पराग आपको कुछ ओवर दे रहे हैं, लेकिन क्या वह आपका सबसे अच्छा छठा बॉलिंग विकल्प है? नहीं, वह नहीं है.
बहरहाल जिक्र आरआर के टूर्नामेंट से बाहर होने और चोपड़ा-मुकुंद के बीच हुई बातचीत का हुआ है. तो इतना तो साफ़ है कि अगर नीलामी के वक़्त आरआर ने छोटी छोटी मगर मोटी बातों पर ध्यान दिया होता तो आज उसकी ऐसी हालत नहीं होती.
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