डीएनए हिंदी: 29 मई को रिजर्व-डे के दिन गुजरात के अहमदाबाद में अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस नरेंद्र मोदी स्टेडियम (Narendra Modi Stadium) में IPL 2023 का फाइनल खेला गया था. गुजरात टाइटंस (GT) के खिलाफ मैच जीतकर चेन्नई सुपरकिंग्स (CSK) ने इस सीजन का खिताब अपने नाम किया था. फाइनल से पहले देश के अलग-अलग राज्यों में आईपीएल के मैचों का आयोजन हुआ लेकिन एक ऐतिहासिक मैदान ऐसा भी है जो कि मैच पाने के लिए पिछले कई वर्षों से संघर्ष करता रहा है. यहां के क्रिकेट फैंस मैदान में क्रिकेट देखना तक भूल चुके हैं. प्रशासन की अनदेखी से लेकर खेल विभाग की नजरंदाजगी के चलते अगर यह कहा जाए कि यह स्टेडियम बहुत जल्द खंडहर बन जाएगा तो यह कहना कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी. ये कोई और नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर का ग्रीनपार्क स्टेडियम (Green Park Stadium) है. देश के सबसे बड़े टूर्नामेंट यानी IPL 2023 के 74 मैचों में से एक भी मैच इस स्टेडियम की झोली में नहीं आया. ग्रीनपार्क की इस अनदेखी की क्या वजहें हैं, जिसके चलते यह स्टेडियम लगातार नजरंदाज किया जा रहा है और आखिर ग्रीन पार्क का इतिहास क्या है, चलिए आज इसके बारे में विस्तार से समझते हैं.
कानपुर के ग्रीन पार्क स्टेडियम के इतिहास की बात करें तो यह 1945 में बनकर तैयार हुआ था. स्टेडियम का नाम मैडम ग्रीन के नाम पर रखा गया था. इसकी वर्तमान दर्शक क्षमता करीब 32,000 लोगो की है. भारतीय क्रिकेट टीम ने साल 1959 में इस मैदान पर पहला टेस्ट मैच जीता था. इस स्टेडियम की खास बात यह भी है कि यहां दुनिया का सबसे बड़ा मैन्युअल रूप से संचालित स्कोरबोर्ड अभी भी लगा हुआ है. वर्तमान भारतीय कप्तान रोहित शर्मा इकलौते ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने इस मैदान पर दो शतक जड़े हैं. यह मैदान 22 सितम्बर 2016 को भारत व न्यूजीलैंड के बीच टेस्ट मैच आयोजित करके भारतीय क्रिकेट टीम के 500वें टेस्ट मैच का गवाह भी बना था.
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साल 2016-17 में हुए थे IPL के मैच
2016 और 2017 में IPL की टीम गुजरात लॉयंस के दो मैच प्रति सीजन इसी मैदान पर खेल गए थे. अब तक इस मैदान पर कुल 22 टेस्ट मैच, 14 वनडे मैच तथा एक T-20 मैच खेले जा चुके हैं. एक वक्त ऐसा था कि जब ग्रीन पार्क अकेला ऐसा स्टेडियम था, जहां अंतर्राष्ट्रीय मैच खेले जाते थे लेकिन अब स्थिति पलट चुकी है. अंतर्राष्ट्रीय मैचों के विपरीत अब यहां घरेलू मैच आयोजित होना भी मुश्किल हो चुके हैं.
टेस्ट मैच
पहला- भारत vs इंग्लैंड- 1952
अंतिम टेस्ट- भारत vs न्यूजीलैंड 2021
वनडे मैच
पहला- भारत vs श्रीलंका 1986
आखिरी- भारत vs न्यूजीलैंड 2017
इसके अलावा मात्र एक टी 20 मैच भारत बनाम इंग्लैंड के बीच जनवरी 2017 में खेला गया था.
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भारतीय टीम को दिए हैं दिग्गज क्रिकेटर्स
कानपुर के इस ग्रीन पार्क स्टेडियम के जरिए भारतीय क्रिकेट टीम को कई होनहार क्रिकेटर्स मिले हैं. दिग्गज मोहम्मद कैफ, सुरेश रैना, आरपी सिंह से लेकर चाइनामैन कुलदीप यादव इसी मैदान पर खेलकर अपने खेल को धार दे चुके हैं. इन खिलाड़ियों के चयन में कानपुर के ग्रीन पार्क का विशेष योगदान रहा है. अंडर-16 से लेकर अंडर-19 के लिए यहां खिलाड़ियों को रेला निकलता है और उनमें चयनित प्रतिभावान खिलाड़ी IPL से लेकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपना खेल का लोहा मनवाते हैं. मशहूर क्रिकेटरों की यादें संजोए हुए यह ग्रीनपार्क आज नजरंदाज किया जा रहा है. कानपुर में आखिरी बार रौनक तब दिखी थी, जब यहां साल 2016 में भारतीय क्रिकेट टीम ने अपना 500वां टेस्ट मैच खेला था. इसकी वजह यह थी कि उस दौरान यहां कई दिग्गज खिलाड़ियों का जमावड़ा भी लगा था.
ग्रीन पार्क में अब क्यों नहीं होते मैच
ग्रीन पार्क की ऐतिहासिक विरासत और दिग्गजों का गढ़ होने के बावूजद स्टेडियम में मैच न होना आश्चर्यजनक बात है. ऐसे में शहर की जनता के मन में सबसे बड़ा सवाल यही रहता है कि आखिर ग्रीन पार्क में अब मैच क्यों नहीं होते हैं. इसका जवाब काफी उलझा हुआ है. ग्रीन पार्क स्टेडियम खेल विभाग के अंतर्गत आता है लेकिन मैचों के आयोजन में यूपीसीए की अहम भूमिका होती है. दोनों के बीच आंतरिक तौर पर कई टकराव हैं जिनका खामियाजा क्रिकेट फैंस को भुगतना पड़ रहा है. सीधे तौर पर खेल विभाग या यूपीसीए के अधिकारियों ने मैच न आयोजित होने के सवालों पर चुप्पी साध रखी है. ग्रीन पार्क के स्पोर्ट्स कॉम्प्लैक्स में फुटबॉल से लेकर बालीवॉल के लोकल मैच तो खूब आयोजित होते हैं लेकिन मुख्य क्रिकेट स्टेडियम बंद पड़ा है.
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क्या इकाना स्टेडियम ने बिगाड़ा खेल
साल 2017 से पहले कानपुर के ग्रीनपार्क स्टेडियम में मैच मिलना आसान माना जाता था क्योंकि एक ही अंतर्राष्ट्रीय स्टेडियम होने के चलते ग्रीन पार्क पर उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन का ज्यादा ध्यान रहता था. साल दो साल में ग्रीन पार्क में मैच जरूर होते थे लेकिन 2017 से सब बदल गया. इसकी एक बड़ी वजह लखनऊ का इकाना स्टेडियम माना जा रहा है. साल 2017 में बनकर तैयार हुआ ग्रीन पार्क से ज्यादा दर्शक क्षमता वाला इकाना स्टेडियम काफी अत्याधुनिक हैं.
पहले मैच के बाद से ही पिछले 5 वर्षों में इकाना में तोबड़तोड़ मैच हो चुके हैं. दर्शक क्षमता और रेवेन्यू के लिहाज से इकाना के आगे ग्रीन पार्क पिछड़ जाता है. ऐसे में यूपीसीए प्रदेश की राजधानी में बने इस स्टेडियम को ज्यादा महत्व देता है, जिसका नतीजा यह है कि पहले से मूलभूत सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहे ग्रीन पार्क की स्थिति इकाना के तैयार होने के बाद से और खराब होती चली गई है.
क्या हैं ग्रीन पार्क में मैच न होने की अहम वजह
ओद्योगिक नगरी के नाम से मशहूर रहा कानपुर शहर पिछले कुछ वर्षों में विकास की रफ्तार में काफी पीछे छूट गया है. इसका नतीजा यह है कि कानपुर ट्रैफिक से लेकर अपनी कई बेसिक सुविधाओं के लिए सघर्ष करता रहा है. इसका सीधा असर ग्रीन पार्क स्टेडियम पर भी पड़ा है. ग्रीन पार्क में मैच न होने की एक बड़ी वजह टेक्नोलॉजी के मामले में स्टेडियम का पिछड़ना माना जाता है. देश के अन्य स्टेडियमों में जिम से लेकर हाईटेक ड्रेसिंग रूम्स, अत्याधुनिक लाइटिंग सिस्टम, 360 डिग्री कैमरा जैसी सुविधाएं मिलती हैं, उनके मुकाबले ग्रीन पार्क में ये सुविधाएं काफी कम पड़ जाती हैं. इसके अलावा कानपुर की एयर कनेक्टिविटी एक बड़ी समस्या है जिसके चलते आम तौर पर कानपुर वाले खिलाड़ियों को लखनऊ एयरपोर्ट से कानपुर लाने के लिए लंबे सड़क मार्ग का जोखिम भरा सफर करना पड़ता है.
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इन सबके बीच एक बड़ी समस्या खिलाड़ियों के ठहरने के लिए मानकों के अनुरूप हाईटेक होटल का न होना भी है. होटलो की यह कमी क्रिकेट मैच कराने की सबसे बड़ी समस्या माना जाता है. इन सभी बातों को कानपुर के हेड कोच और राजू पाल ने भी स्वीकार किया है. UPCA के अधिकारी भी दबे मुंह इन कमियों को स्वीकार करते हैं. इसके अलावा कई बार मैच आयोजित करने को लेकर आवेदन किए जाते हैं लेकिन कई बार स्टेडियम की तकनीकी दिक्कतों के चलते स्टेडियम को टेस्टिंग के दौरान मानक के अनुरूप नहीं पाया गया. नतीजा ये कि ग्रीन पार्क के हाथ में आ रहे अहम इंटरनेशनल मैच भी छिटक गए.
बढ़ सकती है दर्शक क्षमता
बता दें कि पिछले साल ग्रीन पार्क स्टेडियम में रोड सेफ्टी सीरीज के मैच खेले गए थे. उस दौरान यहां दिग्गज क्रिकेटरों का जमावड़ा देखने को मिला था. इसके बाद से यहां कोई और मैच नहीं हुआ है. इसके चलते क्रिकेट जगत के विशेषज्ञ सीधे तौर पर यह स्वीकार कर रहे हैं कि निश्चित तौर पर ग्रीन पार्क में मानकों के लिहाज से दिक्कतें हैं, जिसके चलते मैच नहीं स्वीकृत हो पा रहे हैं. हालांकि अब यह दावा किया जा रहा है कि UPCA और खेलविभाग दोनों ने ही स्टेडियम की दर्शक क्षमता बढ़ाने के लिए प्रस्ताव भेजा है. अब इस पर फैसला कब होगा यह देखना सबसे अहम होगा. दावा है कि यदि इस प्रपोजल को हरी झंडी मिल जाती है तो ग्रीन पार्क की दर्शक क्षमता लगभग 58,000 हो जाएगी.
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मैच हासिल करने की कोशिशें शुरू
दूसरी ओर ग्रीनपार्क में मैच कराने को लेकर कानपुर कमिश्नर डॉक्टर राजशेखर ने कवायद शुरू कर दी है. उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव (खेल) नवनीत सहगल ने 15 अप्रैल को स्टेडियम का दौरा किया था. वहीं इसके बाद ही सीएम योगी के सलाहकार अवनीश अवस्थी ने कानपुर के इस स्टेडियम का दौरा किया था. इस दौरान आए बीसीसीआई के अधिकारियों से भी कानपुर में जल्द क्रिकेट मैच आयोजित करने की गुहार लगाई गई थी.
हाल ही में खबर आई थी कि 36 साल बाद कानपुर के इस ग्रीन पार्क स्टेडियम में 36 साल बाद विश्वकप का क्रिकेट मैच हो सकता है. जानकारी के मुताबिक UPCA ने बीसीसीआई से विश्व कप के 2 मैचों की मांग की है जिसमें एक मैच इकाना और एक ग्रीन पार्क में कराने का प्लान है. इन संभावनाओं के चलते कानपुर में क्रिकेट और खेल विभाग के अधिकारी तैयारी करना शुरू कर चुके हैं. पिच क्यूरेटर शिवकुमार भी मैचों के आयोजन को लेकर सक्रिय हैं. ऐसे में यूपीसीए उम्मीद कर रहा है कि इस बार ग्रीन पार्क के हिस्से दो साल बाद एक मैच आ सकता है.
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एक फैसले पर निर्भर है भविष्य?
अब यह देखना अहम होगा कि कानपुर के इस ग्रीन पार्क स्टेडियम में मैच कराने को लेकर हो रही कवायदें सफल होती है या नहीं. स्टेडियम को लेकर यूपीसीए आधुनिकता के दावे तो कर रहा है लेकिन अगर इस बार भी स्टेडियम को मैच नहीं मिला, तो क्रिकेट फैंस के बीच यह बेहद निराशाजनक होगा, साथ ही ग्रीन पार्क के भविष्य को लेकर सवाल खड़े होने लगेंगे.
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कब खत्म होगा कानपुर के ग्रीन पार्क स्टेडियम का 'सूखा', क्या इस बार क्रिकेट फैंस को मिलेगी खुशखबरी?