देश में टैलेंट और मेहनत करने वालों की कमी नहीं है, लेकिन अपने खेल में शिखर तक पहुंचने वाले कम ही लोग होते हैं. आज हम आपको भारतीय क्रिकेट टीम के कुछ ऐसे ही सितारों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने अपनी मेहनत, लगन और लक की मदद से फर्श से अर्श तक का सफर तय किया है. इन खिलाड़ियों ने अपनी कड़ी मेहनत की दम पर ही सफलता हासिल की है. आइए देखते हैं कौन हैं टीम इंडिया के वो मशहूर खिलाड़ी जिन्होंने गरीबी को मात देकर हासिल की बेशुमार शौहरत और आज है करोड़ों की संपत्ति के मालिक...
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रांची में जनमें टीम इंडिया के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की लाइफ पूरी फिल्मी रही है और यही वजह है कि उनकी लाइफ जर्नी पर बॉलीवुड में फिल्म तक बनी. मिडिल क्लास फैमिली से आने वाले धोनी ने अपने में जीवन गरीबी देखी है और कई बार उतार-चढ़ाव झेले हैं. उनके पिता एक समय पर पंप ऑपरेटर का काम किया करते थे और खुद धोनी ने भी घर चलाने में पिता की मदद करने के लिए रेलवे में बतौर टीटीई काम भी किया. लेकिन फिर वक्त का पहिया बदला और धोनी भारत के सबसे सफल कप्तान बनें. उन्होंने ना सिर्फ टीम इंडिया को 2007 में पहला टी20 वर्ल्ड कप दिलाया, बल्कि 2011 का 50 ओवर वर्ल्ड कप भी जिताया. साथ ही साथ चैंपियंस ट्रॉफी में भी जीत दिलाई. धोनी की जितनी तारीफ की जाए उतनी कम है.
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अपने हरफनमौला खेल से देश को कई बार जीत दिलाने वाले रवींद्र जडेजा का सफर भी कठिनाइयों से भरा रहा है. राजपूत परिवार में जन्में जडेजा का जन्म गुजरात के जामनगर शहर में हुआ था और उनके पिता एक वॉचमैन थे. जब वो 17 साल के हुए तब उनकी मां का भी निधन हो गया था. जडेजा की मां एक सरकारी अस्पताल में नर्स थीं. लेकिन जडेजा ने इस मुश्किल वक्त का मजबूती से सामना किया और अंडर-19 वर्ल्ड कप 2006 में उनका चयन हुआ.
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जडेजा ने श्रीलंका में हुए इस वर्ल्ड कप के फाइनल मुकाबले में पाकिस्तान के खिलाफ तीन विकेट भी झटके थे. इसके बाद उन्हें एक बार फिर अंडर-19 वर्ल्ड कप खेलने का मौका मिला. 2008 के अंडर-19 वर्ल्ड कप में भारत जीता. जडेजा टीम के वाइस कैप्टन भी थे. इसके बाद जडेजा ने फिर कभी पलटकर नहीं देखा और अपनी सफलता के लिए दिन रात लगातार मेहनत जारी रखी.
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पिच पर बड़े-बड़े बल्लेबाजों के पसीने निकाल देने वाले टीम इंडिया के तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह अपने करियर के टॉप पर हैं. लेकिन बुमराह आज जो कुछ भी हैं उसके पीछे उनकी मां दलजीत बुमराह की कड़ी मेहनत है. जिन्होंने उन्हें बिना कोई टेंशन लिए बस अपने गेम को बेहतर करते रहने के लिए हमेशा प्रोत्साहित किया. बुमराह जब पांच साल के थे, तब उनके पिता ने दुनिया को अलविदा कह दिया था. तब से लेकर अब तक बुमराह के लिए उनकी मां ही सबकुछ हैं.
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एक इंटरव्यू में उनकी मां ने कहा कि जसप्रीत छोटा था और हम नाइकी (Nike) के शोरूम गए थे जूता लेने. लेकिन वो बहुत महंगा था. मैं उसे ये नहीं दिला पाई. ये कहते-कहते उनकी आंखों में आंसू आ गए थे. बुमराह के लिए उनकी लाइफ का टर्निंग प्वाइंट साल 2013 का आईपीएल था. 19 साल के बुमराह ने मुंबई इंडियंस की ओर से अपना डेब्यू किया था. उन्होंने एक मैच में तीन विकेट लिए विराट कोहली को आउट किया. साथ ही मयंक अग्रवाल और करुण नायर को भी पवेलियन भेजा था.
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गुजरात के ही एक और खिलाड़ी ने टीम इंडिया में खूब शौहरत कमाई. इस खिलाड़ी को आज कुछ लोग कैरिबियन सुपरस्टार बुलाते हैं तो कुछ इनकी फिटनेस की बातें हर समय किया करते हैं. जी हां, हम बात कर रहे हैं टीम इंडिया के ऑलराउंडर हार्दिक पांड्या की. जिन्होंने अपनी लाइफ को स्लो ट्रैक से फास्ट ट्रैक पर लाने के लिए जी तोड़ मेहनत की है. उनके पिता सूरत में गाड़ियों के फाइनेंस का छोटा सा कारोबार चलाते थे. जिसे उन्होंने अपने बच्चों को बेहतर भविष्य देने के लिए बंद कर दिया था और वडोदरा चले आए थे. पैसों की तंगी होने के बाद भी उन्होंने हार्दिक और क्रुणाल को किरण मोरे क्रिकेट एकेडमी में भर्ती कराया. एक अखबार को दिए इंटरव्यू में हार्दिक ने बताया था कि पैसे कमाने के लिए वो और क्रुणाल लोकल टूर्नामेंट खेलते थे, जिसमें उन्हें 400-500 रुपए मिलते थे. पर वक्त का पहिया सभी के लिए एक ना एक दिन जरूर बदलता है. 10 लाख रुपए के बेस प्राइस पर मुंबई इंडियंस ने हार्दिक को 2015 के आईपीएल में खरीदा था. जिसके बाद इस सितारे ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.