भारत ही नहीं दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है. आजादी के 75 सालों में देश ने अंतरिक्ष विज्ञान से लेकर टेक्नोलॉजी की दुनिया में लंबा सफर तय किया है. पिछले 75 साल में खेलों की दुनिया से भी ऐसे बेशुमार पल हैं जिसने देशवासियों को गर्व से भर दिया है. खेलों और खिलाड़ियों से मिले खुशी के ऐसे ही बेशुमार पलों की यादें ताजा करें इन तस्वीरों से.
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1983 वर्ल्ड कप में भारतीय टीम को अंडरडॉग माना जा रहा था. किसी को भी उम्मीद नहीं थी कि कपिलदेव की कप्तानी में टीम इंडिया कमाल कर सकती है. टूर्नामेंट में कपिल की दिलेर कप्तानी में भारतीय खेल ने इतिहास रच दिया था और वर्ल्ड कप जीतकर देश लौटी थी. इस जीत के दशकों बाद भी हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है.
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टी20 का पहला वर्ल्ड कप और महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में युवा खिलाड़ियों ने इतिहास रच दिया था. भारतीय टीम जब वर्ल्ड कप जीतकर लौटी तो पूरा देश खुशी से झूम गया था. यह जीत इसलिए भी खास थी क्योंकि फाइनल में सामने पाकिस्तान की टीम थी.
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2011 के वर्ल्ड कप में एक बार फिर देश ने इतिहास बनते देखा था. वानखेड़े में खेले फाइनल मुकाबले में कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के छक्के के साथ टीम ने वर्ल्ड कप जीत लिया था. इसके बाद अगले कुछ दिन पूरा देश खुशी और गर्व के भावों के बीच झूम रहा था.
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अभिनव बिंद्रा ने 2008 ओलंपिक में निशानेबाजी में गोल्ड मेडल जीता था. यह पल देश के लिए अद्भुत और अविस्मरणीय था. व्यक्तिगत स्पर्धा में भारत का यह पहला गोल्ड था. बीजिंग ओलंपिक में भारतीय खिलाड़ी के सोने का तमगा मानो हर भारतीय के लिए गोल्ड मेडल था. इस खिलाड़ी ने अपनी उपलब्धि से देश को गर्व का शानदार पल दिया था.
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2021 टोक्यो ओलंपिक के उस स्वर्णिम पल को कौन भूल सकता है जब जेवलिन थ्रो में देश के एक सैनिक ने गोल्ड मेडल जीता था. भारतीय सेना के जवान नीरज चोपड़ा ने भाला फेंक में देश के लिए पहला गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया और पूरा देश उनकी उपलब्धि के साथ झूम उठा था. देश को इस जांबाज खिलाड़ी से अभी और भी कई उम्मीदें हैं.
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पीवी सिंधु का नाम सुनकर हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है. देश की मेडलवीर बेटी ने अब तक 2 ओलंपिक में मेडल जीते हैं. कॉमनवेल्थ में ब्रॉन्ज, सिल्वर और गोल्ड मेडल जीता है. हर भारतीय को अपनी स्टार बैडमिंटन खिलाड़ी की उपलब्धियों पर गर्व है.
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एक वक्त में भारत की हॉकी टीम दुनिया में सबसे मजबूत मानी जाती थी. आजादी के बाद भारतीय हॉकी ने ओलंपिक में 1948, 1952, 1956, 1964 और 1980 में गोल्ड मेडल जीता था. हालांकि धीरे-धीरे हॉकी में भारत की बादशाहत खत्म होने लगी थी लेकिन एक बार फिर राष्ट्रीय खेल ने पूरा जोर लगाया है. टोक्यो ओलंपिक में टीम (पुरुष)ब्रॉन्ज मेडल लेकर लौटी है. कॉमनवेल्थ गेम्स में महिला टीम ने ब्रॉन्ज और पुरुष टीम ने सिल्वर मेडल जीता है.
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खेल और खिलाड़ियों की उपलब्धि की बात हो तो सचिन तेंदुलकर का नाम कैसे भूल सकते हैं. मास्टर ब्लास्टर के रिकॉर्ड की लिस्ट तो काफी बड़ी है लेकिन शायद 100 शतकों का रिकॉर्ड ऐसा है जो हर भारतीय को हमेशा याद रहता है. सचिन के 100 शतक पूरे होने पर पूरे देश को लग रहा था कि हर भारतीय ने एक कर्तिमान रच दिया है.
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देश के गर्व के पलों की बात हो तो मीराबाई चानू का नाम जरूर आएगा. ओलंपिक में सिल्वर मेडल के बाद चानू ने कॉमनवेल्थ गेम्स में भी गोल्ड मेडल जीता है. रियो ओलंपिक में अपने खराब प्रदर्शन को भुलाकर जिस तरह उन्होंने गेम में वापसी की है और जैसे दनादन मेडल जीत रही हैं उस पर पूरे देश को गर्व है.
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कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में भारतीय खिलाड़ियों ने अपने प्रदर्शन से देश को खुशी के बेशुमार पल दिए हैं. पदक तालिका में भारत चौथे स्थान पर रहा है. 22 गोल्ड के साथ भारत के नाम कुल 61 मेडल रहे हैं. वेटलिफ्टिंग और बॉक्सिंग जैसे गेम्स में तो भारतीय खिलाड़ियों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है.