डीएनए हिंदी: मार्टिन लूथर की पंक्तियां हैं कि किसी के भी साथ हुआ अन्याय पूरी दुनिया में न्याय के लिए एक खतरा है. शायद यही वजह है कि दुनिया के किसी भी हिस्से में अन्याय के प्रतिकार के तरीकों में बहुत एकरूपता होती है. भारत के ओलंपिक और दूसरी प्रतियोगिताओं में मेडल जीतने वाले पहलवान (Wrestlers Protest) लगभग दो महीने से धरने पर बैठे हैं. अपनी मांगें पूरी नहीं होते देखकर इन पहलवानों ने ऐलान किया है कि अब अपने मेडल गंगा नदी में बहा देंगे. सालों पहले वाकई में एक ओलंपिक पदक विजेता ने अपना स्वर्ण पदक नदी में फेंक दिया था. ऐसा करने वाले कोई और नहीं बल्कि मोहम्मद अली थे. उन्होंने अमेरिका की साम्राज्यवादी नीतियों के विरोध में ऐसा किया था. 

नस्लभेद के विरोध में मोहम्मद अली ने फेंक दिया था मेडल 
1960 ओलंपिक में मोहम्मद अली ने गोल्ड मेडल जीता था और उस वक्त तक उन्होंने इस्लाम नहीं अपनाया था.  उस समय वह बतौर कैशियस क्ले ही जाने जाते थे. 60 के दशक में अमेरिकी समाज में नस्लभेद अपने चरम पर था. मेडल जीतने के बाद  महान बॉक्सर मोहम्मद अली को कई देशों ने नागरिकता भी ऑफर की थी लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया था. रोम ओलंपिक से लौटते वक्त मोहम्मद अली ने प्लेन में एक कविता लिखी थी जिसमें उन्होंने मेडल जीतने के संघर्ष के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका के नागरिक के तौर पर अपनी पहचान पर गर्व जताया था. स्वर्ण पदक जीतने के बाद उन्हें उम्मीद थी कि अमेरिका में उन्हें रंगभेद का सामना नहीं करना पड़ेगा और अपने मेडल से वह इतना प्यार करते थे कि रात में सोते वक्त भी उसे नहीं उतारते थे.

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होटल में बैठने की जगह को लेकर हुआ था विवाद
हालांकि मेडल जीतकर देश लौटे उन्हें ज्यादा वक्त नहीं हुआ था जब एक रेस्तरां में उन्हें और उनके दोस्त पर कुछ श्वेत लोगों ने नस्लभेदी टिप्पणियां की थीं. विवाद बढ़ने के बाद मारपीट भी हुई. अपनी आत्मकथा में उन्होंने लिखा है कि वह नदी का व्यू देखते हुए अपना शेक पीना चाहते थे लेकिन वह जगह सिर्फ श्वेत लोगों के लिए आरक्षित थी. बैरे ने जब उन्हें उठने  के लिए कहा तो उन्होंने अपना मेडल दिखाया था. यह सब देख रहे वहां कुछ श्वेत लड़कों के समूह ने न सिर्फ उनका मजाक उड़ाया बल्कि नस्लभेदी टिप्पणियां भी कीं. इस घटना से मोहम्मद अली इतने आहत हो गए कि उन्होंने वह मेडल ओहियो नदी में फेंक दिया था. बाद में अमेरिका में जब रंगभेद की नीतियां सख्त हुईं और समान अधिकार लागू हुए तो सार्वजनिक तौर पर मोहम्मद अली से इस घटना के लिए माफ़ी मांगी गई थी. ओलंपिक समिति ने उन्हें स्मृति चिह्न के तौर पर एक नया मेडल भी दिया था. 

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गंगा में मेडल फेंकने की जिद पर अड़े पहलवान 
साक्षी मलिक, बजरंग पूनिया, विनेश फोगाट समेत कई पहलवानों पर जंतर मंतर से संसद तक मार्च करने के दौरान पुलिस कार्रवाई हुई. इन सब पर एफआईआर दर्ज कर हिरासत में भी लिया गया था. इसके बाद से सोशल मीडिया पर जमकर राजनीति हो रही है. अब पहलवानों ने कहा कि वह मंगलवार को हरिद्वार जाकर अपने सारे मेडल गंगा में बहा देंगे. प्रदर्शनकारी पहलवानों का कहना है कि यह मेडल देश के लिए जीते थे लेकिन जब हमारा सम्मान ही नहीं है तो इन्हें रखने का क्या फायदा.

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Wrestlers protest sakshi malik vinesh phogat to immerse their medals in ganga once muhammad ali threw away
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कभी मोहम्मद अली ने भी नदी में फेंका था अपना गोल्ड मेडल, अब गंगा में बहाने जा रहे
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कभी मोहम्मद अली ने भी नदी में फेंका था अपना गोल्ड मेडल, अब गंगा में बहाने जा रहे भारतीय पहलवान