भारत के अमन सहरावत (Aman Sehrawat) ने पेरिस ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है. यह अमन का पहला ओलंपिक ही है और इसकी शुरुआत उन्होंने कांस्य पदक के साथ की है. पुरुषों के 57 किलोग्राम भार वर्ग में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम कर लिया है. रेसलिंग में पूरा देश विनेश फोगाट से पदक की उम्मीद कर रहा था, लेकिन उनके डिसक्वालिफिकेशन के बाद सारी नजरें इस युवा के ऊपर ही थीं. पदक जीतने के बाद वह काफी खुश और भावुक नजर आ रहे थे. उन्होंने पदक देश और माता-पिता के नाम किया.
माता-पिता और देश के नाम समर्पित किया पदक
अमन सहरावत ने पदक माता-पिता और देश के नाम समर्पित करते हुए कहा कि मैदान में उतरने से पहले उनके दिमाग में सिर्फ मेडल जीतने का सपना था. उन्होंने कहा, 'देश के लिए पदक जीतकर खुश हूं. यह पदक मैं अपने मदर-फादर और देश को समर्पित करता हूं.' बता दें कि 22 साल के इस रेसलर के माता-पिता का निधन महज 11 साल की उम्र में हो गया था.
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एकतरफा अंदाज में जीती बाजी
अमन ने पुअर्तो रिको के रेसलर को ब्रॉन्ज मेडल मैच में एकतरफा अंदाज में 13-5 से शिकस्त देकर पदक अपने नाम किया है. शुरुआत में ली लीड को बरकरार रखने में कामयाब हुए और फिर उसे आखिरी तक बढ़ाकर रखने में भी सफल रहे. इस जीत के साथ ही उन्होंने अपने डेब्यू ओलंपिक में पदक के साथ खाता खोला है. अमन को इस कैटेगरी में पदक का प्रबल दावेदार माना जा रहा था, लेकिन वह सेमीफाइनल मैच नहीं जीत पाए थे.
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ब्रॉन्ज मेडल जीतने पर बोले अमन सहरावत, 'मां-पापा और देश को समर्पित'