डीएनए हिंदी: मीराबाई चानू (Mirabai Chanu Gold Medal) ने कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में गोल्ड मेडल जीतकर देश को गर्व से भर दिया है. ओलंपिक में सिल्वर जीतने के बाद उन्होंने इस प्रतियोगिता में गोल्ड पर निशाना साधा है. मणिपुर की इस वेटलिफ्टर की जिंदगी में बहुत उतार-चढ़ाव आए हैं. उन्हें पैसों की तंगी से लेकर डिप्रेशन तक झेलना पड़ा है. हालांकि, 27 साल की इस खिलाड़ी ने कभी पीछे मुड़कर देखना नहीं सीखा है और बड़ी से बड़ी मुश्किल को अपने हौसले के दम पर हराया है.
Mirabai Chanu Depression Story
मीराबाई चानू के आर्थिक संघर्ष और गरीबी को मात देने की कहानी हम सब जानते हैं लेकिन कम ही लोगों को पता है कि इस चैंपियन खिलाड़ी ने डिप्रेशन को भी मात दी है. चानू ने खुद यह कहानी बताई है कि वह बुरी तरह से निराश थीं और उन्होंने तो इस खेल को ही छोड़ने का मन बना लिया था. रियो ओलंपिक में 'डिड नॉट फिनिश' अपने नाम के आगे देखना उनके लिए बहुत निराशाजनक अनुभव था.
एक मीडिया समूह को दिए इंटरव्यू में मीराबाई चानू ने बताया था कि साल 2016 में रियो ओलंपिक में उनका प्रदर्शन निराशाजनक था. इस दौरान वह काफी हताश हो गई थीं और लगातार अवसाद में जा रही थीं. एक ऐसा वक्त भी आ गया था कि उन्होंने वेटलिफ्टिंग को ही छोड़ने का मन बना लिया था हालांकि, उस वक्त में उनके परिवार, कोच और सपोर्ट स्टाफ ने उन्हें अवसाद से निकलने में मदद की थी.
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रियो ओलंपिक के बाद की दमदार वापसी
मीराबाई चानू ने 2016 ओलंपिक के खराब प्रदर्शन के बाद अपने-आप को मजबूत बनाया और अपनी पूरी ताकत खेल में झोंक दी थी. उनकी कड़ी मेहनत और ट्रेनिंग का नतीजा देश ने देखा है.
पहले गोल्ड कोस्ट 2018 कॉमनवेल्थ गेम्स में उन्होंने गोल्ड मेडल जीता और फिर टोक्यो ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है. 2022 कॉमनवेल्थ गेम्स में भी उन्होंने दोबारा गोल्ड मेडल जीता है.
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Mirabai Chanu CWG Record
मीराबाई ने 49 किलो भार वर्ग के स्नैच राउंड के पहले प्रयास में 84 किलो, दूसरे प्रयास में 88 किलो का भार उठाकर रिकॉर्ड बनाया था. अब तक कॉमनवेल्थ गेम्स में स्नैच राउंड में किसी महिला वेटलिफ्टिर ने स्नैच में 88 किलो का वजन नहीं उठाया है.
इसके बाद बारी क्लीन एंड जर्क की थी और उसमें भी उन्होंने कमाल कर दिया था. 109 किलो के पहले प्रयास में ही प्रतिद्वंद्वियों से बड़ी बढ़त बना ली थी. दूसरे प्रयास में 113 वजन उठाकर उन्होंने गोल्ड के लिएअपनी दावेदारी पुख्ता कर दी थी. तीसरा प्रयास उनका असफल रहा था और वह 115 किलो का वजन नहीं उठा पाई थीं.
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ओलंपिक में सिल्वर कॉमनवेल्थ में गोल्ड, डिप्रेशन और गरीबी को हरा यूं दनादन मेडल जीत रहीं मीराबाई चानू