डीएनए हिंदी: भारत और वेस्टइंडीज़ के बीच वनडे सीरीज़ की शुरुआत शुक्रवार से हो रही है. वनडे सीरीज़ से पहले भारतीय टीम को जीत का दावेदार माना जा रहा है, वजह है कैरेबियन टीम का प्रदर्शन. लेकिन एक दौर था जब वेस्टइंडीज़ के खिलाफ किसी भी टीम को जीत हासिल करने के लिए कड़ी मसक्कत करनी पड़ती थी. हालांकि भारतीय टीम ने न कभी हार मानी है और न ही मैदान छोड़ा है.
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साल 1983 में भारतीय टीम 5 टेस्ट मैचों की सीरीज़ के लिए वेस्टइंडीज़ दौरे पर गई थी. पहले टेस्ट में कैरेबियाई टीम ने भारत को 4 विकेट से हराकर सीरीज़ में 1-0 की बढ़त हासिल कर ली. दूसरा टेस्ट ड्रॉ रहा लेकिन तीसरे टेस्ट में जो हुआ वो इतिहास बन गया. क्रिकेट के सबसे बड़ी राइवलरी के बारे में बात करते हुए भारतीय पूर्व विकेटकीपर बल्लेबाज़ किरण मोरे सुनील गावस्कर की एक ऐसी कहानी बताई, जो हर भारतीय का सीना चौड़ा कर देता है.
चोटिल होने के बाद भी खेली थी ऐतिहासिक पारी
गुयाना में खेले जा रहे तीसरे टेस्ट में सुनील गावस्कर वेस्टइंडीज़ के महान गेंदबाज़ की गेंद पर चोटिल हो गए. लिटिल मास्टर 49 रन बनाकर बल्लेबाज़ी कर रहे थे. गेंद उनके सिर में लगी थी, जिसकी वजह से मैदान पर किरण मोरे आइस बॉक्स लेकर पहुंचे. जब उन्होंने गावस्कर से आइस के लिए पूछा, तो उन्होंने मोरे को मैदान से बाहर जाने के लिए कहा. इसके बाद सुनील गावस्कर ने जमकर वेस्टइंडीज़ के सभी गेंदबाज़ो का सामना किया और दिन के खेल की समाप्ति तक वो 147 रन बनाकर नाबाद थे.
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हालांकि वो मैच ड्रॉ रहा लेकिन सुनील गावस्कर ने बता दिया कि अगर हौसलें बुलंद हों, तो कोई कितना भी खतरनाक गेंदबाज़ क्यों न हो आपके सामने उसे घुटने टेकने पड़ सकते हैं. गावस्कर ने 335 मिनट बल्लेबाज़ी की और नाबाद 147 रन बनाए. वो सीरीज़ भारत ने 2-0 से गंवा दी लेकिन गावस्कर की पारी इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गई.
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