भारतीय क्रिकेट के कप्तान और हमारे हिटमैन आज 38 साल के हो गए हैं. रोहित शर्मा वो बल्लेबाज हैं जिन्होंने अपने बल्ले से गेंदबाजों को धूल चटाई और फैंस के दिल में अपनी जगह बनाई. मुंबई का राजा रोहित शर्मा सिर्फ मुंबई नहीं बल्कि सबके दिलों पर राज करने वाले हैं. रोहित शर्मा ने अपनी शानदार बल्लबाजी से कई बड़े रिकॉर्ड्स अपने नाम किए हैं. रोहित शर्मा ने टेस्ट, वनडे और टी20आई सहित अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के सभी प्रारूपों में 343 मैचों में कुल 15,404 रन बनाए हैं. वह एक सलामी बल्लेबाज हैं और उनका बल्लेबाजी औसत 45.43 है.
कोच ने माफ की फीस
एक कैंप में रोहित के खेल को देखकर उनके कोच दिनेश लाड काफी प्रभावित हुए. उन्होंने रोहित शर्मा के पेरेंट्स से एप्रोच करके बेटे को उनके पास कोचिंग देने और स्वामी विवेकानंद इंटरनेशल स्कूल में एडमिशन लेने को कहा. तब उनके पिता ने कहा था कि वो वहां की महंगी फीस अफोर्ड नहीं कर पाएंगे. तब वे बोले कि रोहित को स्कॉलरशिप देंगे, उसकी फीस माफ करवा देंगे. इस तरह रोहित ने कोच दिनेश लाड के गाइडेंस में अपनी जर्नी शुरू की.
ऑफ-स्पिनर बनने का सपना
रोहित ने अपने करियर की शुरुआत एक ऑफ स्पिनर के रूप में की थी. मुंबई के बोरीवली स्पोर्ट्स एंड कल्चरल असोसिएशन से खेलते हुए रोहित ने अपनी क्रिकेट ऐकैडमी में ऑफ ब्रेक की प्रैक्टिस की लेकिन उनके कोच दिनेश लाड़ ने उनकी बल्लेबाजी की क्षमता को पहचान लिया.
भाई के साथ करते थे ये काम
बचपन में रोहित शर्मा टेनिस बॉल से कॉलोनी के कई घरों के कांच तोड़ देते थे. ऐसा कोई दिन नहीं होता जब इसकी शिकाय उनके घर न आती हो. इससे ये साफ होता रोहित को क्रिकेट का जुनून बचपन से ही था. कई बार रोहित को डांट पड़ती और कई बार उस नुकसान की भरपाई के पैसे न होने के कारण उन्हें भला-बुरा भी सुनना पड़ता था. आज वहीं लोग बोलते हैं कि हमें नाज है जिस लड़के ने हमारा कांच फोड़ा, जो आज बड़े-बड़े गेंदबाजों के गेंद तोड़-फोड़ मचा देता है. उनके पिता बताते हैं कि बचपन में रोहित का छोटा भाई विशाल उन्हें आउट कर देता थी फिर भी वो नहीं मानता, विशाल मेरे पास शिकायत लेकर आता- देखो पापा रोहित भैय्या आउट हो गए, फिर भी नहीं मान रहे हैं.
क्रिकेट किट खोने पर मिली अनोखी सजा
रोहित क्रिकेट के लिए अपने मात-पिता से दूर चाचा के यहां बोरिवली में रहने लगे. घर से क्रिकेट ग्राउंड जाने के लिए रोहित भारी किट बैग टांगे अपने दादा-दादी, चाचा के घर (बोरिवली) से चर्चगेट तक लोकल ट्रेन से जाते थे. लोकन ट्रेन में भीड़ होने के कारण एक दिन रोहित का किट बैग ट्रेन से बाहर गिर गया. रोहित अगले स्टेशन पर उतर के अपने बैग को ढूंढ़ने गए, उन्होंने ट्रैक पर दौड़ लगाई, लेकिन उनका बैग नहीं मिला.
रोहित के किट बैग गिरने की बात का कोई भी विश्वास नहीं कर रहा था. उस दिन रोहित क्रिकेट एकेडमी देरी से पहुंचे जिसके कारण उसके कोच दिनेश लाड ने उन्हें ग्राउंड के चक्कर लगाने की सजा दी, सिर्फ फील्डिंग करने के लिए कहा और बैटिंग नहीं करने दी.
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