डीएनए हिंदी: कुछ साल पहले तक लंबी दूरी के धावक के नाम पर भारत का कोटा खाली रहता रहता था. लेकिन 13 सितंबर 1994 को महाराष्ट्र के बीड जिले के मांडवा गांव में जन्मे अविनाश साबले उस जगह को भर दिया. अविनाश साबले एक साधारण परिवार में पले-बढ़े. अविनाश के माता-पिता किसान थे और अविनाश को 6 किलोमीटर पैदल चलकर अपने स्कूल जाना पड़ता था. अविनाश कभी भी खेल में करियर बनाने के बारे में नहीं सोचते थे लेकिन आज उन्होंने भारत को स्टीपलचेज में रजत पदक दिलाकर इतिहास रच दिया.
#SuperSable does it again!
— Athletics Federation of India (@afiindia) August 6, 2022
Personal Best & National Record effort of 8.11.20 from Avinash Sable wins him a #CommonwealthGames2022 Silver Medal in the men's 3000m steeplechase @birminghamcg22 #India 🇮🇳 is proud of you Champion!
Photo- @WorldAthletics (Oregon22) pic.twitter.com/7JCyXiZmYh
साबले ने कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 के मेंस 3000 मीटर स्टीपलचेज के फाइनल में शनिवार को दूसरा स्थान हासिल किया और सिल्वर जीत लिया. साबले की कहानी सबसे अलग है. उन्होंने खुद को कभी स्पोर्ट्स ले जाने के बारे में नहीं सोचा था. सेना में भर्ती होकर वो अपने परिवार का पालन करना चाहते थे. अविनाश साबले 12वीं क्लास के बाद आर्मी में भर्ती हो गए और 5 महार रेजिमेंट का हिस्सा बने. अपनी सर्विस के दौरान वो सियाचिन में माइनस डिग्री में भी रहे, तो रेगिस्तान के इलाकों में 50 डिग्री तापमान में भी खुद को तपाया.
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आर्मी में रहते हुए उन्हें एथलेटिक्स इवेंट में खेलने का मौका मिला. क्रॉस कंट्री के साथ खेलों में उन्होंने न चाहते हुए भी अपने करियर की शुरुआत की. हालांकि उनकी प्रतिभा जल्द ही सबके सामने आ गई. हालांकि चोट के बाद उनका वजन काफी बढ़ गया. लेकिन साबले ने वापसी की और 15 किलो से अधिक वजन कम कर फिर से दौड़ना शुरू किया और अब अविनाश ने रेस को दिल से लेन शुरू कर दिया था. 2017 में उनके सेना के कोच ने उन्हें स्टीपलचेज में दौड़ने की सलाह दी. इसतरह भारत के स्टीपलचेजर की शुरुआत हुई.
भुवनेश्वर में आयोजित 2018 ओपन नेशनल में साबले ने 3000 मीटर स्टीपलचेज में 8: 29.88 का समय निकाला और 30 साल के नेशनल रिकॉर्ड को 0.12 सेकेंड से तोड़ दिया. साबले ने पटियाला में आयोजित 2019 फेडरेशन कप में 8.28.89 का समय निकाला और नया नेशनल रिकॉर्ड स्थापित किया. किसी बड़े मंच पर भले ही साबले का कॉमनवेल्थ खेलों में पहल पदक हो लेकिन उन्हें इस खेल में आए हुए ज्यादा समय नहीं हुआ है और उम्मीद है कि आगे में भारत का तिरंगा लहराते रहेंगे.
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