डीएनए हिंदीः 29 तारीख से पितृपक्ष प्रारंभ हो रहा है. पितृ पक्ष के दिन पूर्वजों की आत्मा की शांति की कामना के लिए तर्पण, श्राद्धकर्म करने की प्रथा है. इनके निमित्त श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान करने से पितर तृप्त होते हैं. इस साल पितृपक्ष 29 सितंबर से शुरू होगा. इसका समापन 14 अक्टूबर को होगा. इस दौरान बेटे और पोते पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करने के लिए श्राद्ध करते हैं. लेकिन सिर्फ बेटे ही नहीं. परिवार की महिला सदस्यों की बेटियां भी श्राद्ध, तर्पण की हकदार हैं. धर्मसिंधु ग्रंथ, मनुस्मृति, वायु पुराण, मार्कंडेय पुराण और गरुड़ पुराण जैसे कई धार्मिक ग्रंथों में महिलाओं को श्राद्ध और पिंडदान करने का अधिकार दिया गया है.
शास्त्रों के अनुसार, यदि परिवार में कोई बेटा नहीं है, तो बेटी या परिवार की अन्य महिला सदस्य पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म कर सकती हैं . श्राद्ध के अलावा महिलाएं पिंडदान भी कर सकती हैं.
पुत्र के अभाव में श्राद्ध और पिंडदान कौन कर सकता है?
- यदि पुत्र न हो तो उसकी पुत्री, पत्नी और पुत्रवधू श्राद्ध और पिंड कर सकती हैं. गरुड़ पुराण के अनुसार लड़कियां अपने पिता का श्राद्ध आदरपूर्वक कर सकती हैं. पिता की आत्मा गांठ को स्वीकार कर बेटी को आशीर्वाद देती है.
- इसके अलावा यदि परिवार का बेटा श्राद्ध के समय अनुपस्थित हो तो भी महिलाएं श्राद्ध कर सकती हैं. इसका उल्लेख वाल्मिकी रामायण में भी मिलता है. सीता ने स्वयं राजा दशरथ को पिंडदान दिया था.
- यदि पुत्र न हो तो मृतक का भतीजा, भतीजा, चचेरा भाई का पुत्र पिता का श्राद्ध कर सकता है .
- यदि परिवार में कोई नहीं है तो मृतक के शिष्य, मित्र, रिश्तेदार, पारिवारिक पुजारी श्राद्ध करने के हकदार हैं.
श्राद्ध और पिंडदान के दौरान महिलाओं को क्या याद रखना चाहिए?
- श्राद्ध, पिंडदान के दौरान महिलाओं को कई बातों का ध्यान रखना चाहिए.
- श्राद्ध कर्म के दौरान महिलाओं को सफेद या पीले रंग के कपड़े पहनने चाहिए.
- विवाहित स्त्रियों का पूजन करना अधिक उचित है.
- पितृ तर्पण के दौरान महिलाओं को जल में कुश और काले तिल नहीं डालने चाहिए.
- यदि आपको तिथि याद नहीं है तो बूढ़े पुरुषों और महिलाओं का नवमी को और बच्चों का पंचमी पर श्राद्ध किया जा सकता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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महिलाएं भी पितरों को दे सकती हैं जल और कर सकती हैं श्राद्ध, बस नियमों का करें पालन